IndianLawNotes.com

रक्तदान और ब्लड बैंक से जुड़े कानूनी प्रावधान : एक विस्तृत अध्ययन

रक्तदान और ब्लड बैंक से जुड़े कानूनी प्रावधान : एक विस्तृत अध्ययन

प्रस्तावना

मानव जीवन अमूल्य है और उसके संरक्षण में रक्तदान की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। आपातकालीन स्थितियों, ऑपरेशन, दुर्घटनाओं, प्रसूति संबंधी जटिलताओं, थैलेसीमिया, हीमोफीलिया तथा अन्य रक्त संबंधी बीमारियों में रक्त की उपलब्धता ही जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर तय करती है। इसी कारण रक्तदान को सबसे महान दान माना जाता है।
किन्तु रक्तदान और ब्लड बैंक का संचालन केवल सामाजिक दायित्व नहीं है, बल्कि यह एक कानूनी रूप से विनियमित गतिविधि भी है। भारत में रक्त की सुरक्षा, शुद्धता, और दानकर्ताओं तथा प्राप्तकर्ताओं दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई कानून और नियम बनाए गए हैं। इस लेख में हम रक्तदान और ब्लड बैंक से जुड़े कानूनी प्रावधानों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।


रक्तदान का महत्व

  1. जीवनरक्षक साधन – आपातकालीन चिकित्सा में रक्त ही एकमात्र विकल्प है।
  2. सामाजिक योगदान – स्वेच्छा से रक्तदान करना मानवता की सेवा है।
  3. चिकित्सीय अनुसंधान – रक्त और इसके अवयव चिकित्सा शोध के लिए उपयोगी होते हैं।
  4. नैतिक जिम्मेदारी – स्वस्थ व्यक्ति समाज के लिए योगदान देता है।

भारत में रक्तदान और ब्लड बैंक का कानूनी ढांचा

भारत में रक्तदान और ब्लड बैंक के संचालन को नियंत्रित करने वाले प्रमुख अधिनियम और प्रावधान इस प्रकार हैं :

1. औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 (Drugs and Cosmetics Act, 1940)
  • रक्त और उसके अवयवों को ‘ड्रग्स’ (औषधि) की श्रेणी में रखा गया है।
  • इसके अंतर्गत रक्त का संग्रह, भंडारण, परीक्षण और वितरण दवा के समान नियंत्रित किया जाता है।
  • धारा 18 के तहत बिना लाइसेंस रक्त का संग्रह और आपूर्ति अपराध है।
  • केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और राज्य औषधि नियंत्रक इसकी देखरेख करते हैं।
2. औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 (Drugs and Cosmetics Rules, 1945)
  • भाग XII-B में ब्लड बैंक और रक्त उत्पादों से संबंधित नियम हैं।
  • ब्लड बैंक खोलने के लिए Drug Controller General of India (DCGI) से लाइसेंस लेना आवश्यक है।
  • लाइसेंस के लिए आवश्यक शर्तें –
    • योग्य पैथोलॉजिस्ट/डॉक्टर की नियुक्ति।
    • सुरक्षित और स्वच्छ स्थान।
    • उपकरण और स्टाफ की उपलब्धता।
    • WHO और NACO के मानकों का पालन।
3. भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860
  • धारा 269 और 270 – यदि कोई व्यक्ति संक्रमित रक्त देता है और उससे किसी को बीमारी फैलती है तो यह अपराध है।
  • धारा 336, 337, 338 – लापरवाही से किसी की जान खतरे में डालने पर दंडनीय अपराध।
4. राष्ट्रीय रक्त नीति (National Blood Policy), 2002
  • रक्तदान को स्वैच्छिक और नि:शुल्क होना चाहिए।
  • रक्त की खरीद-फरोख्त और व्यावसायिक रक्तदान पर पूर्ण प्रतिबंध।
  • ब्लड बैंक के लिए न्यूनतम मानक तय।
  • HIV, हेपेटाइटिस, मलेरिया और सिफलिस जैसी बीमारियों की स्क्रीनिंग अनिवार्य।
  • रक्त अवयव पृथक्करण (component separation) को बढ़ावा।
5. सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय – Common Cause v. Union of India (1996)
  • वाणिज्यिक रक्तदान को अवैध घोषित किया।
  • केवल स्वैच्छिक रक्तदान को वैध माना।
  • सरकार को निर्देश दिया कि देशभर में सुरक्षित और पर्याप्त रक्त की आपूर्ति सुनिश्चित करे।
6. राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के दिशानिर्देश
  • हर रक्तदान से पहले दानकर्ता की चिकित्सीय जाँच अनिवार्य।
  • रक्त की जांच – HIV, HBV, HCV, मलेरिया, सिफलिस।
  • केवल 18–65 वर्ष आयु वर्ग के स्वस्थ व्यक्ति ही रक्तदान कर सकते हैं।
  • दानकर्ता का वजन कम से कम 45–50 किलो और हीमोग्लोबिन न्यूनतम 12.5 gm% होना चाहिए।
  • दो रक्तदान के बीच कम से कम 3 माह का अंतर अनिवार्य।
7. क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट्स (पंजीकरण और नियमन) अधिनियम, 2010
  • सभी ब्लड बैंक को पंजीकरण कराना आवश्यक।
  • मानक प्रोटोकॉल, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना।
8. सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005
  • सरकारी ब्लड बैंक की कार्यप्रणाली, लाइसेंस, रक्त उपलब्धता आदि की जानकारी सार्वजनिक।
9. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
  • ई-ब्लड बैंक पोर्टल और डिजिटल रिकार्ड्स की सुरक्षा हेतु लागू।

ब्लड बैंक से जुड़े कानूनी प्रावधान

  1. लाइसेंसिंग
    • बिना लाइसेंस ब्लड बैंक चलाना अपराध।
    • लाइसेंस राज्य औषधि नियंत्रक और DCGI की संयुक्त अनुशंसा से दिया जाता है।
  2. सुविधाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर
    • शीत भंडारण, परीक्षण प्रयोगशाला, स्टरलाइजेशन यूनिट आवश्यक।
    • प्रशिक्षित स्टाफ और चिकित्सक की उपलब्धता।
  3. दानकर्ता की जाँच
    • स्वास्थ्य इतिहास, शारीरिक परीक्षण और प्रयोगशाला परीक्षण अनिवार्य।
  4. रक्त का परीक्षण
    • HIV, Hepatitis B & C, Syphilis, Malaria की जांच।
    • संक्रमित रक्त मिलने पर उसे तुरंत नष्ट करना।
  5. रिकॉर्ड रखरखाव
    • हर रक्तदान और ट्रांसफ्यूजन का रिकॉर्ड कम से कम 5 वर्ष तक रखना।
    • इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड भी वैध।
  6. रक्त का वितरण और मूल्य निर्धारण
    • रक्त मुफ्त होना चाहिए, केवल प्रोसेसिंग चार्ज लिया जा सकता है।
    • मूल्य निर्धारण NACO और राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार।
  7. निरीक्षण और दंड
    • ड्रग इंस्पेक्टर और स्वास्थ्य अधिकारी नियमित निरीक्षण कर सकते हैं।
    • नियमों के उल्लंघन पर लाइसेंस निलंबित या रद्द।
    • दोषियों पर जुर्माना और जेल की सजा।

कानूनी उल्लंघन की स्थिति

  • बिना लाइसेंस ब्लड बैंक संचालन → 3 साल तक की सजा और जुर्माना।
  • संक्रमित रक्त देना → IPC के तहत दंडनीय अपराध।
  • रिकॉर्ड न रखना → लाइसेंस रद्द और दंड।
  • रक्त की खरीद-फरोख्त → अवैध व्यापार माना जाएगा।

न्यायालयीन दृष्टिकोण

  • Common Cause v. Union of India (1996) – वाणिज्यिक रक्तदान पर रोक।
  • State of Punjab v. Mohinder Singh Chawla (1997) – स्वास्थ्य सेवा नागरिक का मौलिक अधिकार।
  • Paschim Banga Khet Mazdoor Samity v. State of West Bengal (1996) – आपातकालीन चिकित्सा और रक्त उपलब्ध कराना राज्य की जिम्मेदारी।

रक्तदान और ब्लड बैंक से जुड़े व्यावहारिक चुनौतियां

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में ब्लड बैंक की कमी।
  2. स्वैच्छिक रक्तदाताओं की संख्या अभी भी पर्याप्त नहीं।
  3. अवैध रूप से संचालित ब्लड बैंक और बिचौलियों की समस्या।
  4. इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और डेटा सुरक्षा का अभाव।
  5. संक्रमण और नकली रिपोर्ट का खतरा।

सुधार और सुझाव

  1. स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा – जागरूकता अभियान और प्रोत्साहन।
  2. डिजिटल ई-ब्लड बैंक पोर्टल – रक्त की उपलब्धता और पारदर्शिता।
  3. सख्त निगरानी और दंड – अवैध ब्लड बैंक पर तुरंत कार्रवाई।
  4. गोपनीयता सुरक्षा – दानकर्ता और प्राप्तकर्ता की जानकारी सुरक्षित।
  5. इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार – हर जिला स्तर पर आधुनिक ब्लड बैंक।
  6. निरंतर प्रशिक्षण – स्टाफ और डॉक्टरों को मानक प्रोटोकॉल का प्रशिक्षण।

निष्कर्ष

रक्तदान न केवल मानव जीवन बचाने का साधन है बल्कि यह मानवता की सबसे बड़ी सेवा है। किंतु रक्त की शुद्धता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कठोर कानूनी प्रावधान आवश्यक हैं। भारत में Drugs and Cosmetics Act, National Blood Policy, और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों ने रक्तदान एवं ब्लड बैंक व्यवस्था को कानूनी आधार प्रदान किया है।
आज आवश्यकता है कि हम स्वैच्छिक रक्तदान को व्यापक सामाजिक आंदोलन के रूप में विकसित करें और ब्लड बैंक संचालन में पूर्ण पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करें। तभी हम एक सुरक्षित, सुलभ और विश्वसनीय रक्त सेवा प्रणाली स्थापित कर पाएंगे।