यहां विधि शास्त्र (Jurisprudence) से संबंधित 100 महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

यहां विधि शास्त्र (Jurisprudence) से संबंधित 100 महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर दिए गए हैं:

1. विधि शास्त्र (Jurisprudence) क्या है?
उत्तर: विधि शास्त्र, कानून और न्याय के सिद्धांतों, उनके स्रोतों, और उनके प्रयोजनों का अध्ययन करने वाली एक शाखा है।

2. क्या प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत है?
उत्तर: प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत यह मानता है कि कानूनों का उद्देश्य नैतिकता और प्राकृतिक अधिकारों की रक्षा करना है, जो मानव स्वभाव और तर्क पर आधारित होते हैं।

3. हर्ट के अनुसार ‘विधि’ क्या है?
उत्तर: हर्ट के अनुसार, विधि एक व्यवस्थित प्रणाली है जो समाज में व्यवस्था बनाए रखने के लिए नियमों और निर्देशों का पालन करती है। वे इसे “कानूनी नियमों का एक संकलन” मानते हैं।

4. ‘कानूनी यथार्थवाद’ (Legal Realism) का क्या मतलब है?
उत्तर: कानूनी यथार्थवाद एक सिद्धांत है जो मानता है कि कानून का वास्तविक प्रभाव उसके लिखित शब्द से ज्यादा न्यायधीशों के निर्णयों और सामाजिक संदर्भों पर निर्भर करता है।

5. हंस केल्सन का ‘प्योर थ्योरी ऑफ लॉ’ क्या है?
उत्तर: हंस केल्सन की ‘प्योर थ्योरी ऑफ लॉ’ के अनुसार, कानून एक निष्पक्ष और निरपेक्ष प्रणाली है, जिसका विश्लेषण केवल कानूनी तत्वों पर किया जाना चाहिए, न कि राजनीतिक, सामाजिक या नैतिक दृष्टिकोण से।

6. ‘प्राकृतिक न्याय’ का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था?
उत्तर: प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत अरस्तू और सोमरसट के शास्त्रियों ने प्रतिपादित किया था।

7. ‘कानूनी positivism’ के सिद्धांत के प्रवर्तक कौन थे?
उत्तर: ‘कानूनी positivism’ के सिद्धांत के प्रमुख प्रवर्तक जेरमी बेंटम और जॉन ऑस्टिन थे। इसके अनुसार, कानून वह है जो राज्य द्वारा निश्चित किया जाता है और किसी अन्य नैतिक या धार्मिक सिद्धांतों से स्वतंत्र होता है।

8. विधि के स्रोत क्या होते हैं?
उत्तर: विधि के मुख्य स्रोतों में संविधान, विधायिका द्वारा बनाए गए कानून, न्यायालय के निर्णय (precedent), और मान्य सांस्कृतिक या धार्मिक नियम शामिल होते हैं।

9. ‘व्यावहारिक विधि’ (Pragmatic Jurisprudence) क्या है?
उत्तर: व्यावहारिक विधि एक प्रकार की न्यायशास्त्र है जो व्यवहारिक परिस्थितियों में कानून के प्रभाव का अध्ययन करती है, न कि केवल सिद्धांतों पर आधारित होती है।

10. ‘कानूनी संस्थाएँ’ (Legal Institutions) किसे कहा जाता है?
उत्तर: कानूनी संस्थाएँ वे संगठन या प्रणालियाँ होती हैं जो कानून का निर्माण, कार्यान्वयन और प्रवर्तन करती हैं, जैसे न्यायालय, पुलिस, और विधायिका।

11. ‘प्राकृतिक न्याय’ के दो मुख्य सिद्धांत कौन से हैं?
उत्तर: प्राकृतिक न्याय के दो मुख्य सिद्धांत हैं: (1) नाटक का सिद्धांत (Audi alteram partem) और (2) न्याय का सिद्धांत (Nemo judex in causa sua).

12. न्यायशास्त्र का ‘प्राकृतिक अधिकार’ (Natural Rights) से क्या संबंध है?
उत्तर: प्राकृतिक अधिकार वे अधिकार होते हैं जो मनुष्य को जन्म से प्राप्त होते हैं, जैसे जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति के अधिकार। इनका संबंध प्राकृतिक न्यायशास्त्र से है।

13. ‘हैबियस कॉर्पस’ (Habeas Corpus) का क्या अर्थ है?
उत्तर: ‘हैबियस कॉर्पस’ एक कानूनी अधिकार है जो किसी व्यक्ति को अवैध या अनधिकृत गिरफ्तारी से बचाता है और उसे न्यायालय में पेश करने की मांग करता है।

14. ‘न्यायिक समीक्षा’ (Judicial Review) क्या है?
उत्तर: न्यायिक समीक्षा वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा न्यायालय किसी विधायिका द्वारा पारित कानून या सरकार के कार्यों की संवैधानिकता का परीक्षण करते हैं।

15. ‘न्याय का आदर्श’ (Ideal of Justice) क्या है?
उत्तर: न्याय का आदर्श यह है कि सभी व्यक्तियों को समान और निष्पक्ष तरीके से न्याय प्राप्त हो, और सभी के अधिकारों की रक्षा की जाए।

16. ‘कानूनी सिद्धांत’ (Legal Theory) का क्या उद्देश्य है?
उत्तर: कानूनी सिद्धांत का उद्देश्य कानून के बुनियादी तत्वों और उनके सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक प्रभावों को समझना और व्याख्यायित करना है।

17. ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता’ (Personal Liberty) क्या है?
उत्तर: व्यक्तिगत स्वतंत्रता वह अधिकार है जिसके तहत हर व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार कार्य करने, सोचने और रहने की स्वतंत्रता मिलती है, बशर्ते वह दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन न करे।

18. ‘सामाजिक न्याय’ (Social Justice) के सिद्धांत क्या होते हैं?
उत्तर: सामाजिक न्याय का उद्देश्य समाज में समानता, अधिकारों की रक्षा और गरीबों और हाशिए पर रहने वालों के लिए विशेष ध्यान देना है।

19. ‘लोकहित याचिका’ (Public Interest Litigation) क्या है?
उत्तर: लोकहित याचिका एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके तहत कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक हित में न्यायालय से किसी सरकारी या निजी संस्था के खिलाफ याचिका दायर कर सकता है।

20. विधि के आदर्श सिद्धांतों के बारे में कौन सा विचारधारा सबसे महत्वपूर्ण है?
उत्तर: विभिन्न विचारधाराएँ जैसे ‘प्राकृतिक कानून’, ‘कानूनी यथार्थवाद’, और ‘कानूनी सकारात्मकता’ विधि के आदर्श सिद्धांतों पर अलग-अलग दृष्टिकोण प्रदान करती हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण विचारधारा वह है जो समाज में न्याय और समानता को बढ़ावा देती है।

21. ‘न्यायिक सक्रियता’ (Judicial Activism) क्या है?
उत्तर: न्यायिक सक्रियता वह प्रवृत्ति है जिसमें न्यायालय अपनी भूमिका को केवल विवादों के समाधान तक सीमित नहीं रखता, बल्कि संविधान और कानून की व्याख्या करके सामाजिक सुधार की दिशा में सक्रिय रूप से कार्य करता है।

22. ‘विधिक न्याय’ (Legal Justice) के सिद्धांत क्या हैं?
उत्तर: विधिक न्याय के सिद्धांतों में समानता, निष्पक्षता, पारदर्शिता और कानूनी अधिकारों की रक्षा शामिल हैं।

23. ‘कानूनी प्रमाण’ (Legal Evidence) क्या होता है?
उत्तर: कानूनी प्रमाण वह सामग्री होती है जिसे अदालत में प्रस्तुत किया जाता है ताकि यह साबित किया जा सके कि कोई घटना या कार्य हुआ था या नहीं।

24. ‘समाजवादी न्याय’ (Socialist Justice) का क्या मतलब है?
उत्तर: समाजवादी न्याय का उद्देश्य समाज में समानता और न्याय की स्थिति को सुनिश्चित करना है, विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए जो सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से वंचित हैं।

25. ‘धार्मिक न्याय’ (Religious Justice) के सिद्धांत क्या होते हैं?
उत्तर: धार्मिक न्याय के सिद्धांत वह होते हैं जो किसी समाज की धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं के आधार पर न्याय व्यवस्था को लागू करने की कोशिश करते हैं।

26. ‘सामाजिक नीति’ (Social Policy) और ‘कानूनी नीति’ (Legal Policy) में अंतर क्या है?
उत्तर: सामाजिक नीति समाज के विकास, सुरक्षा और कल्याण को ध्यान में रखते हुए बनाई जाती है, जबकि कानूनी नीति न्याय और कानून के सिद्धांतों को लागू करने की प्रक्रिया है।

27. ‘विधिक मूल्य’ (Legal Values) क्या होते हैं?
उत्तर: विधिक मूल्य वे मूल्य होते हैं जो कानून और न्याय के आधार पर समाज के मूलभूत सिद्धांतों को परिभाषित करते हैं, जैसे समानता, स्वतंत्रता, और न्याय।

28. विधि में ‘विवाद समाधान’ (Dispute Resolution) का क्या तरीका होता है?
उत्तर: विधि में विवाद समाधान के तरीके में बातचीत, मध्यस्थता, पंचायती न्याय, और न्यायालयी प्रक्रिया शामिल होती है।

29. ‘कानूनी उत्तरदायित्व’ (Legal Liability) क्या है?
उत्तर: कानूनी उत्तरदायित्व वह दायित्व होता है जिसके तहत किसी व्यक्ति को अपने कार्यों के लिए कानून के तहत जिम्मेदार ठहराया जाता है।

30. ‘अन्याय के खिलाफ संघर्ष’ (Struggle Against Injustice) का कानूनी दृष्टिकोण क्या है?
उत्तर: अन्याय के खिलाफ संघर्ष का कानूनी दृष्टिकोण यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को न्याय पाने का अधिकार है और इसके लिए कानूनी उपाय उपलब्ध हैं।

31. ‘कानूनी अधिकार’ (Legal Rights) क्या होते हैं?
उत्तर: कानूनी अधिकार वे अधिकार होते हैं जो किसी व्यक्ति को कानून द्वारा प्राप्त होते हैं और जिनका उल्लंघन करने पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।

32. ‘कानूनी कर्तव्यों’ (Legal Duties) का क्या मतलब है?
उत्तर: कानूनी कर्तव्य वह जिम्मेदारी है जिसे कानून किसी व्यक्ति से अपेक्षापूर्वक निभाने की मांग करता है।

33. ‘प्राकृतिक कानून’ (Natural Law) क्या है?
उत्तर: प्राकृतिक कानून का सिद्धांत यह मानता है कि कुछ कानून जन्मजात होते हैं और ये मानव स्वभाव और नैतिकता पर आधारित होते हैं।

34. ‘विधिक उद्देश्य’ (Legal Objective) क्या होता है?
उत्तर: विधिक उद्देश्य वह लक्ष्य है जो कानून को हासिल करना होता है, जैसे समाज में शांति बनाए रखना, समानता और न्याय सुनिश्चित करना।

35. ‘विधिक संरक्षण’ (Legal Protection) का क्या अर्थ है?
उत्तर: विधिक संरक्षण से तात्पर्य उन कानूनों से है जो व्यक्ति या समुदाय को किसी भी प्रकार के अन्याय या शोषण से बचाने के लिए बनाए गए हैं।

36. ‘सार्वजनिक नीति’ (Public Policy) का क्या संबंध है?
उत्तर: सार्वजनिक नीति का उद्देश्य समाज के कल्याण और सर्वोत्तम हित की प्राप्ति है, और यह सरकार द्वारा बनाई जाती है ताकि समग्र विकास हो सके।

37. ‘न्याय का लोकतांत्रिक दृष्टिकोण’ (Democratic Approach to Justice) क्या है?
उत्तर: न्याय का लोकतांत्रिक दृष्टिकोण यह है कि न्याय सभी नागरिकों को समान और निष्पक्ष रूप से मिलना चाहिए, बिना किसी भेदभाव के।

38. ‘अंतर्राष्ट्रीय न्यायशास्त्र’ (International Jurisprudence) क्या है?
उत्तर: अंतर्राष्ट्रीय न्यायशास्त्र वह विधि है जो विभिन्न देशों के बीच संबंधों और उनके कानूनी मामलों का समाधान करती है, जैसे युद्ध अपराध और मानवाधिकार उल्लंघन।

39. ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार’ (Rights of Personal Liberty) किस प्रकार से कानूनी दृष्टिकोण से संरक्षित होते हैं?
उत्तर: व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार संविधान और अन्य विधियों के माध्यम से संरक्षित होते हैं, और इन अधिकारों का उल्लंघन होने पर कानूनी उपाय किए जाते हैं।

40. ‘कानूनी अधिग्रहण’ (Legal Acquisition) का क्या मतलब है?
उत्तर: कानूनी अधिग्रहण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था को कानूनी रूप से संपत्ति या अधिकार मिलते हैं।

41. ‘विधि के अस्तित्व की प्रमाणिकता’ (Legitimacy of Law) क्या है?
उत्तर: विधि के अस्तित्व की प्रमाणिकता इस बात पर निर्भर करती है कि वह कानून समाज के नैतिक और राजनीतिक सिद्धांतों के अनुरूप है या नहीं।

42. ‘न्याय का उद्देश्य’ (Objective of Justice) क्या है?
उत्तर: न्याय का उद्देश्य समाज में शांति, समानता, और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है, ताकि किसी के अधिकारों का उल्लंघन न हो।

43. ‘सार्वजनिक हित’ (Public Interest) क्या होता है?
उत्तर: सार्वजनिक हित का अर्थ है समाज के सामान्य कल्याण के लिए बनाए गए नियम, नीतियां, और योजनाएं।

44. ‘न्यायिक शक्ति’ (Judicial Power) का क्या अर्थ है?
उत्तर: न्यायिक शक्ति से तात्पर्य न्यायालयों की वह शक्ति है जिसके माध्यम से वे कानूनों का निर्धारण करते हैं, मामले सुनते हैं और न्याय प्रदान करते हैं।

45. ‘प्रारंभिक कानूनी शिक्षा’ (Initial Legal Education) क्या है?
उत्तर: प्रारंभिक कानूनी शिक्षा वह शिक्षा है जो छात्रों को कानूनी सिद्धांतों और प्रक्रियाओं की नींव प्रदान करती है, जैसे कानून के मूल सिद्धांत और कानूनी शब्दावली।

46. ‘कानूनी न्याय’ (Legal Justice) का सिद्धांत क्या है?
उत्तर: कानूनी न्याय का सिद्धांत यह मानता है कि सभी व्यक्तियों को समान और निष्पक्ष तरीके से कानून के तहत न्याय मिलना चाहिए।

47. ‘न्यायपालिका का स्वतंत्रता’ (Independence of Judiciary) क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: न्यायपालिका की स्वतंत्रता इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि न्यायालय बिना किसी बाहरी दबाव के निष्पक्ष रूप से निर्णय लें।

48. ‘कानूनी नीति’ (Legal Policy) और ‘सामाजिक नीति’ (Social Policy) के बीच अंतर क्या है?
उत्तर: कानूनी नीति कानूनों के निर्माण और प्रवर्तन से संबंधित है, जबकि सामाजिक नीति समाज के सामान्य कल्याण के लिए बनाए गए निर्णय और योजनाओं से संबंधित है।

49. ‘विधिक व्यक्तित्व’ (Legal Personality) क्या है?
उत्तर: विधिक व्यक्तित्व का तात्पर्य उस व्यक्तित्व से है जो कानून के तहत अधिकारों और कर्तव्यों का धारक हो सकता है, जैसे व्यक्ति, कंपनियाँ, या अन्य संगठन।

50. ‘समानता का अधिकार’ (Right to Equality) का कानूनी महत्व क्या है?
उत्तर: समानता का अधिकार यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति या समूह के साथ जाति, धर्म, लिंग या अन्य आधारों पर भेदभाव नहीं किया जाए।

51. ‘संविधानिक न्याय’ (Constitutional Justice) क्या है?
उत्तर: संविधानिक न्याय वह न्याय होता है जो संविधान के अनुसार न्यायिक विचारधारा और सिद्धांतों का पालन करते हुए दिया जाता है।

52. ‘धार्मिक न्याय’ (Religious Justice) क्या होता है?
उत्तर: धार्मिक न्याय वह न्याय होता है जो किसी धर्म विशेष की शास्त्रों, परंपराओं और नियमों के आधार पर दिया जाता है।

53. ‘न्यायिक अवलोकन’ (Judicial Review) क्या है?
उत्तर: न्यायिक अवलोकन वह प्रक्रिया है जिसमें न्यायालय किसी विधायिका द्वारा पारित कानून की संवैधानिकता की जांच करता है।

54. ‘विधिक अपराध’ (Legal Offenses) क्या होते हैं?
उत्तर: विधिक अपराध वे कार्य होते हैं जो कानून द्वारा अपराध माने जाते हैं और जिनके लिए सजा दी जाती है।

55. ‘न्यायिक अंतरविरोध’ (Judicial Conflict) क्या है?
उत्तर: न्यायिक अंतरविरोध उस स्थिति को कहा जाता है जब न्यायालयों के निर्णय या विचारों में कोई विरोधाभास होता है।

56. ‘सार्वजनिक नीति का न्याय’ (Public Policy Justice) क्या होता है?
उत्तर: सार्वजनिक नीति का न्याय वह न्याय है जो समाज की समृद्धि, कल्याण और सामान्य भलाई के लिए लागू किया जाता है।

57. ‘आर्थिक न्याय’ (Economic Justice) क्या है?
उत्तर: आर्थिक न्याय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि समाज में सभी व्यक्तियों को समान आर्थिक अवसर मिलें और गरीबी और आर्थिक विषमताओं को कम किया जाए।

58. ‘कानूनी अनुशासन’ (Legal Discipline) क्या है?
उत्तर: कानूनी अनुशासन वह शास्त्र है जो कानून के सिद्धांतों, प्रक्रियाओं और उनके लागू करने के तरीकों का अध्ययन करता है।

59. ‘न्यायिक फैसले की आधारशिला’ (Foundation of Judicial Decisions) क्या होती है?
उत्तर: न्यायिक फैसले की आधारशिला न्याय, तर्क और कानून की सही व्याख्या पर आधारित होती है।

60. ‘कानूनी सुधार’ (Legal Reform) क्या है?
उत्तर: कानूनी सुधार वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कानूनों में आवश्यक बदलाव किए जाते हैं ताकि वे समाज की बदलती आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुरूप हों।

61. ‘आध्यात्मिक न्याय’ (Spiritual Justice) क्या है?
उत्तर: आध्यात्मिक न्याय वह न्याय है जो व्यक्ति के आत्मिक और धार्मिक कल्याण के लिए प्रयुक्त होता है।

62. ‘शास्त्रविरोधी न्याय’ (Anti-Scriptural Justice) क्या होता है?
उत्तर: शास्त्रविरोधी न्याय वह न्याय है जो किसी धार्मिक शास्त्र या परंपरा के खिलाफ होता है और धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के आधार पर दिया जाता है।

63. ‘विधिक चेतना’ (Legal Consciousness) क्या है?
उत्तर: विधिक चेतना वह सामाजिक जागरूकता होती है जो व्यक्तियों में कानून और उनके अधिकारों के प्रति संवेदनशीलता उत्पन्न करती है।

64. ‘प्राकृतिक अधिकारों का उल्लंघन’ (Violation of Natural Rights) का कानूनी प्रभाव क्या है?
उत्तर: प्राकृतिक अधिकारों का उल्लंघन व्यक्ति के मानवाधिकारों के उल्लंघन के समान होता है, और इसके लिए कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।

65. ‘आधिकारिक आदेश’ (Official Orders) क्या होते हैं?
उत्तर: आधिकारिक आदेश वह आदेश होते हैं जो सरकार या कोई कानूनी प्राधिकृत संस्था द्वारा दिए जाते हैं और जिनका पालन करना आवश्यक होता है।

66. ‘समान नागरिक अधिकार’ (Equal Civil Rights) क्या हैं?
उत्तर: समान नागरिक अधिकार वे अधिकार होते हैं जो सभी नागरिकों को समान रूप से प्राप्त होते हैं, जैसे वोट देने का अधिकार, शिक्षा का अधिकार आदि।

67. ‘कानूनी नियमों की प्रकृति’ (Nature of Legal Rules) क्या होती है?
उत्तर: कानूनी नियमों की प्रकृति यह होती है कि वे समाज में अनुशासन और शांति बनाए रखने के लिए बनाए गए होते हैं, और इनका पालन सभी नागरिकों पर अनिवार्य होता है।

68. ‘व्यावहारिक न्याय’ (Practical Justice) का क्या मतलब है?
उत्तर: व्यावहारिक न्याय वह न्याय होता है जो समाज की वास्तविक परिस्थितियों और मुद्दों को ध्यान में रखते हुए दिया जाता है।

69. ‘संविधानिक शासन’ (Constitutional Governance) क्या है?
उत्तर: संविधानिक शासन वह शासन प्रणाली है जो संविधान के द्वारा निर्धारित सिद्धांतों और नियमों के आधार पर चलती है।

70. ‘न्यायिक स्वतंत्रता’ (Judicial Independence) क्यों आवश्यक है?
उत्तर: न्यायिक स्वतंत्रता आवश्यक है ताकि न्यायालय स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकें और बाहरी दबावों से बच सकें, जिससे कानून का पालन सही तरीके से हो सके।

71. ‘कानूनी प्रणाली का उद्देश्य’ (Objective of Legal System) क्या है?
उत्तर: कानूनी प्रणाली का उद्देश्य समाज में निष्पक्षता, समानता, और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

72. ‘सामाजिक समानता’ (Social Equality) और ‘कानूनी समानता’ (Legal Equality) में अंतर क्या है?
उत्तर: सामाजिक समानता समाज में आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक समानता की स्थिति को दर्शाती है, जबकि कानूनी समानता का मतलब है कि सभी व्यक्तियों को कानून के तहत समान अधिकार प्राप्त हों।

73. ‘न्याय का वैज्ञानिक दृष्टिकोण’ (Scientific Approach to Justice) क्या है?
उत्तर: न्याय का वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह है कि न्यायिक प्रक्रियाएँ और सिद्धांत तर्कसंगत और प्रमाणों पर आधारित होनी चाहिए, जैसे किसी वैज्ञानिक सिद्धांत की पुष्टि होती है।

74. ‘कानूनी प्रभाव’ (Legal Impact) क्या होता है?
उत्तर: कानूनी प्रभाव वह परिवर्तन होता है जो कानून के लागू होने से समाज या व्यक्तियों पर पड़ता है।

75. ‘अधिकारों का उल्लंघन’ (Violation of Rights) क्या है?
उत्तर: अधिकारों का उल्लंघन तब होता है जब किसी व्यक्ति के कानूनी या संविधानिक अधिकारों का अतिक्रमण किया जाता है।

76. ‘प्राकृतिक न्याय के नियम’ (Principles of Natural Justice) क्या हैं?
उत्तर: प्राकृतिक न्याय के नियमों में ‘नाटक का सिद्धांत’ (Audi alteram partem) और ‘न्याय का सिद्धांत’ (Nemo judex in causa sua) शामिल हैं।

77. ‘संविधानिक दायित्व’ (Constitutional Duties) क्या होते हैं?
उत्तर: संविधानिक दायित्व वे कर्तव्य होते हैं जो प्रत्येक नागरिक और सरकारी संस्था पर संविधान द्वारा लगाए गए होते हैं।

78. ‘कानूनी उल्लंघन’ (Legal Violation) क्या है?
उत्तर: कानूनी उल्लंघन वह स्थिति होती है जब किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा कानून का उल्लंघन किया जाता है।

79. ‘न्यायिक अवकाश’ (Judicial Vacancies) का क्या महत्व है?
उत्तर: न्यायिक अवकाश से तात्पर्य है जब न्यायालय में कोई पद खाली होता है और उसे भरने की आवश्यकता होती है।

80. ‘समाजवादी न्याय का सिद्धांत’ (Theory of Socialist Justice) क्या है?
उत्तर: समाजवादी न्याय का सिद्धांत यह मानता है कि कानून समाज के सभी वर्गों के लिए समान अवसर और अधिकार प्रदान करता है, खासकर उन वर्गों के लिए जो आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से वंचित हैं।

81. ‘कानूनी प्रतिबंध’ (Legal Restrictions) क्या होते हैं?
उत्तर: कानूनी प्रतिबंध वे सीमाएँ होती हैं जो कानून किसी व्यक्ति या संस्था की गतिविधियों पर लागू करता है, जैसे व्यापार, संपत्ति के अधिकार आदि।

82. ‘समानता का अधिकार’ (Right to Equality) संविधान में कहां है?
उत्तर: समानता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 तक दिया गया है।

83. ‘न्याय का प्रदर्शन’ (Dispensation of Justice) क्या है?
उत्तर: न्याय का प्रदर्शन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा न्यायालय किसी मामले में न्याय प्रदान करता है, और यह पूरी तरह से कानूनी और निष्पक्ष होना चाहिए।

84. ‘कानूनी सहायता’ (Legal Aid) क्या है?
उत्तर: कानूनी सहायता वह प्रक्रिया है जिसके तहत गरीब या कमजोर व्यक्तियों को न्याय प्राप्त करने के लिए मुफ्त या सस्ती कानूनी सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।

85. ‘समाज में न्याय की स्थिति’ (State of Justice in Society) क्या है?
उत्तर: समाज में न्याय की स्थिति उस समाज में होने वाली न्यायिक प्रक्रियाओं की निष्पक्षता, समानता और पारदर्शिता को दर्शाती है।

86. ‘कानूनी व्यवस्था की संरचना’ (Structure of Legal System) क्या होती है?
उत्तर: कानूनी व्यवस्था की संरचना न्यायालयों, विधायिका, कार्यपालिका, और विभिन्न कानूनी संस्थाओं के बीच संगठनात्मक ढांचे को दर्शाती है।

87. ‘कानूनी साक्षात्कार’ (Legal Interviews) क्या होते हैं?
उत्तर: कानूनी साक्षात्कार वे साक्षात्कार होते हैं जो किसी विशेष कानूनी मामले में गवाहों या विशेषज्ञों से लिए जाते हैं।

88. ‘कानूनी कार्यवाही’ (Legal Proceedings) क्या है?
उत्तर: कानूनी कार्यवाही वह प्रक्रिया है जिसमें किसी मामले की सुनवाई, प्रमाणों का विश्लेषण, और अंतिम निर्णय लिया जाता है।

89. ‘न्याय का सिद्धांत’ (Theory of Justice) क्या है?
उत्तर: न्याय का सिद्धांत यह मानता है कि प्रत्येक व्यक्ति को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के अनुसार समान और निष्पक्ष तरीके से न्याय मिलना चाहिए।

90. ‘कानूनी विश्लेषण’ (Legal Analysis) क्या है?
उत्तर: कानूनी विश्लेषण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कानून के सिद्धांतों, कार्यप्रणालियों और फैसलों का अध्ययन और मूल्यांकन किया जाता है।

91. ‘समाज के लिए कानूनी नीति’ (Legal Policy for Society) क्या होती है?
उत्तर: समाज के लिए कानूनी नीति वह नीति होती है जो समाज के भले के लिए कानूनी सुधारों और फैसलों का निर्धारण करती है।

92. ‘विधिक दृष्टिकोण’ (Legal Perspective) क्या है?
उत्तर: विधिक दृष्टिकोण वह तरीका होता है जिसमें किसी घटनाक्रम या स्थिति को कानून की दृष्टि से देखा जाता है।

93. ‘कानूनी विरोध’ (Legal Opposition) क्या होता है?
उत्तर: कानूनी विरोध वह स्थिति होती है जब किसी कानूनी मामले में एक पक्ष दूसरे पक्ष का विरोध करता है और अपनी स्थिति को सिद्ध करने के लिए कानूनी तर्क प्रस्तुत करता है।

94. ‘न्यायपालिका की भूमिका’ (Role of Judiciary) क्या है?
उत्तर: न्यायपालिका की भूमिका है कानून की व्याख्या करना, अधिकारों की रक्षा करना, और संविधान के सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित करना।

95. ‘कानूनी सुधार’ (Legal Reforms) किसे कहा जाता है?
उत्तर: कानूनी सुधार से तात्पर्य है कानून में सुधार और अद्यतन करना ताकि वह समाज के बदलते परिप्रेक्ष्य के अनुरूप हो।

96. ‘कानूनी समाजशास्त्र’ (Sociology of Law) क्या है?
उत्तर: कानूनी समाजशास्त्र वह अध्ययन है जो कानून के समाज पर प्रभाव और समाज में कानून के स्थान और विकास को समझने का प्रयास करता है।

97. ‘न्यायिक संरक्षण’ (Judicial Protection) क्या होता है?
उत्तर: न्यायिक संरक्षण से तात्पर्य उन उपायों से है जिनका उपयोग न्यायालय व्यक्तियों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं की रक्षा करने के लिए करता है।

98. ‘कानूनी अभ्यास’ (Legal Practice) क्या है?
उत्तर: कानूनी अभ्यास वह पेशेवर कार्य होता है जो वकील और कानूनी पेशेवरों द्वारा न्यायालयों में प्रतिनिधित्व, सलाहकार सेवाएँ और अन्य कानूनी कार्यों में किया जाता है।

99. ‘सार्वजनिक हित’ (Public Interest) में कानून क्या भूमिका निभाता है?
उत्तर: कानून सार्वजनिक हित को सुनिश्चित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि समाज के सभी व्यक्तियों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं की रक्षा की जाए।

100. ‘कानूनी व्यवस्था के प्रभाव’ (Impact of Legal System) क्या होते हैं?
उत्तर: कानूनी व्यवस्था के प्रभाव समाज में शांति, न्याय, समानता और अनुशासन बनाए रखने में होते हैं, साथ ही समाज की समृद्धि और विकास में भी योगदान करते हैं।