“मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत उत्तरदायित्व की सीमा: G. Nagarathna एवं अन्य बनाम G. Manjunatha एवं अन्य (सुप्रीम कोर्ट – 2025)”

शीर्षक:
“मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत उत्तरदायित्व की सीमा: G. Nagarathna एवं अन्य बनाम G. Manjunatha एवं अन्य (सुप्रीम कोर्ट – 2025)”


भूमिका:
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (Motor Vehicles Act, 1988) सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों और उनके आश्रितों को न्याय और मुआवज़ा प्रदान करने हेतु एक सामाजिक कल्याणक कानून के रूप में विकसित हुआ है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने G. Nagarathna एवं अन्य बनाम G. Manjunatha एवं अन्य में यह स्पष्ट किया कि अधिनियम का उद्देश्य पीड़ित पक्ष को राहत देना है, न कि उस व्यक्ति या उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को, जिसने स्वयं लापरवाही से वाहन चलाते हुए दुर्घटना की हो

यह निर्णय मोटर वाहन कानून में उत्तरदायित्व की सीमा और न्यायिक विवेक को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है।


मामले की पृष्ठभूमि:
इस मामले में वादीगण – G. Nagarathna एवं अन्य – एक वाहन चालक के कानूनी उत्तराधिकारी थे, जिसकी मृत्यु एक सड़क दुर्घटना में हो गई थी। दुर्घटना में मृतक स्वयं वाहन चला रहा था और प्राथमिक जांच में यह पाया गया कि वह लापरवाहीपूर्वक (negligently) वाहन चला रहा था, जिससे उसकी अपनी मृत्यु हो गई।

वादियों ने मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत बीमा कंपनी से मुआवज़े की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि मृतक की आश्रित पत्नी और बच्चे अब जीवन यापन में असमर्थ हैं और अधिनियम की सामाजिक सुरक्षा भावना के तहत उन्हें मुआवज़ा मिलना चाहिए।

हालाँकि, बीमा कंपनी ने इस मांग को यह कहकर खारिज किया कि मृतक की मृत्यु उसकी अपनी लापरवाही के कारण हुई थी और वह दूसरे पक्ष द्वारा क्षतिग्रस्त नहीं किया गया था, अतः मुआवज़े की मांग विधिसंगत नहीं है।


न्यायालय का दृष्टिकोण:
सुप्रीम कोर्ट ने इस संदर्भ में निम्नलिखित प्रमुख अवलोकन किए:

  1. अधिनियम का उद्देश्य:
    मोटर वाहन अधिनियम का उद्देश्य निर्दोष पीड़ितों या उनके आश्रितों को मुआवज़ा देना है। यदि कोई व्यक्ति स्वयं लापरवाहीपूर्वक वाहन चला रहा था और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उसके उत्तराधिकारी अधिनियम की धाराओं के अंतर्गत मुआवज़ा पाने के पात्र नहीं होते
  2. दोषपूर्ण पक्ष (Wrongdoer) के उत्तराधिकारी:
    यदि मृतक स्वयं दोषपूर्ण पक्ष था (i.e., negligent driver), तो उसके आश्रितों का मुआवज़ा पाने का दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि अधिनियम तृतीय पक्ष दायित्व (Third Party Liability) पर आधारित है, न कि स्वंय दोषी पक्ष के लिए।
  3. न्यायिक संतुलन:
    न्यायालय ने सामाजिक सुरक्षा और कानूनी दायित्व के बीच संतुलन बनाए रखते हुए कहा कि यदि ऐसा दावा स्वीकार कर लिया जाए तो यह बीमा कंपनियों पर अनुचित भार डालेगा और अधिनियम के उद्देश्य को विकृत करेगा।

महत्वपूर्ण कानूनी निष्कर्ष:

  • Self-inflicted negligence को अधिनियम के अंतर्गत मुआवज़ा प्राप्ति का आधार नहीं माना जा सकता।
  • यदि मृतक लाइसेंसधारी चालक था और लापरवाही नहीं पाई जाती, तब मामला भिन्न हो सकता है। लेकिन दोषपूर्ण लापरवाही पाए जाने पर बीमा कंपनी उत्तरदायी नहीं हो सकती।
  • यह निर्णय पूर्व के मामलों जैसे National Insurance Co. Ltd. v. Sinitha (2011) तथा Oriental Insurance Co. Ltd. v. Meena Variyal (2007) की व्याख्या का विस्तार करता है।

न्यायिक संदर्भ और उदाहरण:
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि:

“मोटर वाहन अधिनियम किसी ऐसे व्यक्ति को लाभ नहीं दे सकता जो स्वयं लापरवाही कर दुर्घटना का कारण बनता है, चाहे उसके आश्रित हों या अन्य।”

यह कथन उन सभी भविष्य के दावों के लिए मार्गदर्शक है, जहाँ मृतक स्वयं चालक था और उसकी मृत्यु उसकी ही लापरवाही के कारण हुई हो।


न्यायिक प्रभाव और व्यापक महत्व:
यह निर्णय मोटर वाहन अधिनियम की न्यायिक व्याख्या में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है:

  1. बीमा कंपनियों के लिए स्पष्टता: बीमाकर्ताओं के दायित्व की सीमा स्पष्ट हुई है कि वे केवल निर्दोष पक्षों को मुआवज़ा देंगे।
  2. न्यायिक विवेक की स्थापना: यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि सामाजिक सुरक्षा की भावना का दुरुपयोग न हो।
  3. दावों की विवेकपूर्ण समीक्षा: भविष्य में ऐसे सभी दावे जहाँ मृतक स्वयं वाहन चालक रहा हो, अब गहराई से जांचे जाएंगे।

निष्कर्ष:
G. Nagarathna एवं अन्य बनाम G. Manjunatha एवं अन्य में सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय स्पष्ट रूप से यह स्थापित करता है कि मोटर वाहन अधिनियम का उद्देश्य दायित्व की स्पष्ट सीमाओं के भीतर रहकर मुआवज़ा देना है। यह फैसला कानून के उस मूल सिद्धांत की पुनः पुष्टि करता है कि कोई भी अपने स्वयं के दोष के आधार पर लाभ प्राप्त नहीं कर सकता

यह निर्णय भविष्य में सभी बीमा संबंधित विवादों में एक दृढ़ उदाहरण प्रस्तुत करता है और विधिक विवेक तथा सामाजिक न्याय के बीच संतुलन स्थापित करता है।