लेख शीर्षक:
“मुकदमे में पहले साक्ष्य कौन प्रस्तुत करेगा? – पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने किया स्पष्ट, ORDER 18 RULE 1 CPC पर दिया निर्णय”
मामले का विवरण:
केस नाम: Kuldeep Singh Sumra v. Avtar Singh Sumra & Ors.
न्यायालय: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट
निर्णय वर्ष: 2025
मामला संख्या: CR-2233-2023 (O&M)
प्रासंगिक धाराएं:
- Order 18 Rule 1 – Civil Procedure Code (CPC)
- Sections 68, 102 & 103 – Indian Evidence Act (IEA)
मामले की पृष्ठभूमि:
इस केस में वादी (Plaintiff) ने अदालत में एक आवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें उसने आग्रह किया कि प्रतिवादी (Defendant) को पहले साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया जाए। वादी का तर्क था कि इस केस के तथ्यों और मुद्दों के अनुसार प्रतिवादी को साक्ष्य की शुरुआत करनी चाहिए।
अदालत की प्रमुख टिप्पणियाँ और आदेश:
- अदालत ने स्पष्ट किया कि:
“यह अदालत की राय नहीं थी कि प्रतिवादी को पहले साक्ष्य देना चाहिए, बल्कि यह तो वादी की मांग थी।”
- अदालत ने यह भी कहा कि:
“ऐसा कोई नियम नहीं है कि अदालत किसी विशेष पक्ष को ही पहले साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए बाध्य कर सके। Order 18 Rule 1 CPC के अनुसार, परिस्थितियों और मुद्दों की प्रकृति के आधार पर, अदालत दोनों पक्षों में से किसी को भी पहले साक्ष्य प्रस्तुत करने का निर्देश दे सकती है।”
- परिणामस्वरूप:
वादी का आवेदन खारिज कर दिया गया।
विधिक विश्लेषण:
⚖️ Order 18 Rule 1 CPC:
यह नियम सामान्यतः यह निर्धारित करता है कि वादी को पहले साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर मिलता है। परंतु यदि मामले की प्रकृति ऐसी हो कि प्रतिवादी पर प्रारंभिक दायित्व (burden of proof) हो, तो अदालत उसे पहले साक्ष्य प्रस्तुत करने का निर्देश दे सकती है।
📚 Sections 68, 102 & 103 IEA:
- Sec. 102: यह स्पष्ट करता है कि साक्ष्य का भार (burden of proof) किस पक्ष पर है।
- Sec. 103: वह पक्ष जिस पर कोई विशेष तथ्य का प्रमाण देना आवश्यक है, उसे ही वह साक्ष्य देना होता है।
- Sec. 68: दस्तावेज़ों के औपचारिक प्रमाण के संदर्भ में लागू होता है।
निष्कर्ष:
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में पुनः स्पष्ट किया कि प्रारंभिक साक्ष्य प्रस्तुत करने का अधिकार और उत्तरदायित्व परिस्थिति-निर्भर है, और केवल इस आधार पर कि वादी चाहता है कि प्रतिवादी पहले साक्ष्य दे, अदालत स्वतः ऐसा आदेश पारित नहीं कर सकती। यह एक महत्वपूर्ण निर्णय है जो CPC के Order 18 और Indian Evidence Act की धाराओं की व्याख्या करता है।