मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कानून (Media and Freedom of Speech Law)

मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कानून (Media and Freedom of Speech Law)

1. प्रस्तावना (Preamble)

मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। यह सत्ता की निगरानी, सामाजिक चेतना के निर्माण और जनमत को आकार देने का प्रमुख साधन है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया की स्वतंत्रता को संविधानिक संरक्षण प्राप्त है। परंतु यह स्वतंत्रता पूर्णतया निरंकुश नहीं है। इसके साथ नैतिक, कानूनी और संवैधानिक सीमाएं भी जुड़ी हैं।


2. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: संविधानिक आधार

अनुच्छेद 19(1)(a)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के अनुसार –

“प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा।”

इसका अर्थ है कि नागरिक को अपने विचारों को बोलने, लिखने, छापने, चित्रण करने या अन्य किसी भी माध्यम से व्यक्त करने का मौलिक अधिकार है।

अनुच्छेद 19(2) – युक्तिसंगत प्रतिबंध

इस स्वतंत्रता पर कुछ युक्तिसंगत प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं –

“राज्य, भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, लोक व्यवस्था, शिष्टाचार या नैतिकता, न्यायालय की अवमानना, मानहानि या अपराध के लिए उकसावे के संबंध में कानून द्वारा उचित प्रतिबंध लगा सकता है।”


3. मीडिया की स्वतंत्रता और भारतीय न्यायपालिका

स्पष्ट रूप से ‘मीडिया’ शब्द संविधान में नहीं

हालांकि संविधान में “प्रेस” या “मीडिया” शब्द स्पष्ट रूप से उल्लेखित नहीं है, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में प्रेस की स्वतंत्रता निहित मानी गई है।

महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय

  1. Romesh Thappar v. State of Madras (1950)
    सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक अंग है।
  2. Bennett Coleman & Co. v. Union of India (1973)
    समाचार पत्रों की संख्या और उनके पृष्ठों पर सरकार द्वारा लगाए गए नियंत्रण को असंवैधानिक ठहराया गया।
  3. Indian Express Newspapers v. Union of India (1985)
    अदालत ने प्रेस की स्वतंत्रता को लोकतंत्र की जीवन-रेखा बताया।

4. मीडिया की भूमिका: एक सामाजिक दृष्टिकोण से

मीडिया का मुख्य कार्य है –

  • सूचना का संप्रेषण
  • जनमत निर्माण
  • सरकारी नीतियों की समीक्षा
  • समाज में जागरूकता फैलाना
  • सत्ता की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना

प्रकार

  • प्रिंट मीडिया: समाचार पत्र, पत्रिकाएं
  • इलेक्ट्रॉनिक मीडिया: टीवी, रेडियो
  • डिजिटल/सोशल मीडिया: इंटरनेट, फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब आदि

5. मीडिया की स्वतंत्रता बनाम उत्तरदायित्व

मीडिया की स्वतंत्रता जितनी आवश्यक है, उतना ही आवश्यक है उसका उत्तरदायित्व और नैतिक आचरण

समस्या की दृष्टि से

  • फेक न्यूज (झूठी खबरें)
  • पेड न्यूज (भुगतान पर समाचार)
  • ट्रायल बाय मीडिया
  • प्राइवेसी उल्लंघन
  • मानहानि और घृणा भाषण (Hate Speech)
  • सेन्सेशनलिज़्म (सनसनी फैलाना)

6. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाएं

न्यायालय की अवमानना (Contempt of Court)

  • मीडिया द्वारा न्यायालय के निर्णयों या लंबित मामलों में टिप्पणी करना अवमानना की श्रेणी में आ सकता है।

मानहानि (Defamation)

  • संविधान की धारा 19(2) के तहत मानहानि को भी प्रतिबंध का आधार माना गया है।

राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security)

  • यदि मीडिया किसी भी ऐसी खबर को प्रकाशित करता है जो देश की सुरक्षा या अखंडता को खतरे में डालती है, तो यह दंडनीय हो सकता है।

7. मीडिया और सूचना का अधिकार (RTI)

2005 में लागू सूचना का अधिकार अधिनियम ने मीडिया को सशक्त माध्यम प्रदान किया है जिससे वे सरकारी कार्यकलापों की जांच कर सकते हैं और पारदर्शिता बनाए रख सकते हैं।


8. डिजिटल मीडिया और कानूनी ढांचा

आईटी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act)

  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को लेकर जिम्मेदारी और प्रतिबंध का प्रावधान।
  • Section 66A को Shreya Singhal v. Union of India (2015) केस में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक ठहराया।

IT (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021

  • सोशल मीडिया और डिजिटल न्यूज़ प्लेटफॉर्म के लिए नया ढांचा।
  • तीन स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली।
  • “फर्स्ट ओरिजिनेटर” की पहचान की अनिवार्यता।

9. मीडिया नियमन के लिए संस्थान

  • प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (Press Council of India)
    → प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और मानकों की निगरानी।
  • न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA)
    → न्यूज चैनलों के लिए आचार संहिता।

10. वर्तमान परिप्रेक्ष्य और चुनौतियां

चुनौतियाँ

  • मीडिया का व्यवसायीकरण
  • राजनीतिक हस्तक्षेप
  • पत्रकारों पर हमले
  • सेंसरशिप और सरकारी दबाव
  • सोशल मीडिया का अराजक विस्तार

वर्तमान उदाहरण

  • किसान आंदोलन, CAA विरोध, कोविड-19 महामारी रिपोर्टिंग — इन सबमें मीडिया की भूमिका और सीमाएं व्यापक चर्चा का विषय बनीं।

11. निष्कर्ष (Conclusion)

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया की स्वतंत्रता लोकतंत्र के मूल स्तंभ हैं। परंतु इस स्वतंत्रता का प्रयोग जिम्मेदारी के साथ करना आवश्यक है। न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका और मीडिया — सभी को संविधान के दायरे में रहकर कार्य करना चाहिए ताकि भारत एक सूचना-सम्पन्न, जागरूक और सशक्त लोकतंत्र बना रहे।


12. सुझाव (Recommendations)

  • मीडिया शिक्षा (Media Literacy) को बढ़ावा दिया जाए।
  • मीडिया नियमन में राजनीतिक हस्तक्षेप रोका जाए।
  • डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को स्व-नियमन हेतु प्रोत्साहित किया जाए।
  • पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
  • मीडिया संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही की संस्कृति विकसित हो।