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महिला को बिना अनुमति कॉल या मैसेज करना अब गंभीर अपराध — भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 78 के तहत कानूनी प्रावधान और सजा का विवरण

महिला को बिना अनुमति कॉल या मैसेज करना अब गंभीर अपराध — भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 78 के तहत कानूनी प्रावधान और सजा का विवरण


भूमिका

आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन, इंटरनेट और सोशल मीडिया हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। इन माध्यमों ने संवाद को आसान बनाया है, लेकिन इनके दुरुपयोग से उत्पन्न समस्याएँ भी तेजी से बढ़ी हैं। विशेषकर महिलाओं के प्रति उत्पीड़न, पीछा करना (stalking), और बिना अनुमति कॉल या मैसेज करना जैसे अपराध अब आम हो गए हैं। ऐसे मामलों में पहले भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354D का प्रयोग होता था, परंतु नई भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) ने इसे और स्पष्ट रूप में परिभाषित किया है।
BNS की धारा 78 विशेष रूप से इस तरह के कृत्यों को अपराध घोषित करती है और महिलाओं की गरिमा की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।


BNS की धारा 78 — प्रावधान का मूल उद्देश्य

धारा 78 का उद्देश्य महिलाओं को उन पुरुषों से सुरक्षा प्रदान करना है जो उनकी इच्छा के विरुद्ध बार-बार कॉल, संदेश या संपर्क करने का प्रयास करते हैं। यह प्रावधान उन स्थितियों पर लागू होता है, जहाँ कोई व्यक्ति किसी महिला की स्पष्ट या अप्रत्यक्ष “ना” के बावजूद लगातार उसे परेशान करने की कोशिश करता है।

धारा 78 का मूल भाव:

“यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की इच्छा के विरुद्ध बार-बार उससे संपर्क करता है, उसका पीछा करता है, या कॉल/संदेश द्वारा उसे परेशान करता है, तो यह अपराध माना जाएगा।”


अपराध की प्रकृति

यह अपराध महिला की इच्छा के विरुद्ध किए गए कार्यों से संबंधित है, जैसे—

  1. बार-बार कॉल करना, जबकि महिला ने स्पष्ट रूप से मना किया हो।
  2. अनचाहे संदेश, चैट या सोशल मीडिया पर लगातार संपर्क का प्रयास करना।
  3. महिला के पीछे-पीछे जाना या उसकी गतिविधियों पर नज़र रखना।
  4. किसी भी प्रकार से उसकी निजता (privacy) का उल्लंघन करना।

इन सभी क्रियाओं को BNS के तहत “स्टॉकिंग (Stalking)” या “अनचाहा संपर्क (Unwanted Communication)” के अंतर्गत अपराध माना गया है।


कानूनी तत्व (Legal Ingredients) जो अपराध सिद्ध करते हैं

किसी व्यक्ति के विरुद्ध धारा 78 के तहत अपराध साबित करने के लिए निम्नलिखित तत्व आवश्यक हैं —

  1. आरोपी व्यक्ति ने महिला से बार-बार संपर्क करने का प्रयास किया हो।
  2. महिला ने स्पष्ट रूप से मना किया हो या उसका व्यवहार यह दर्शाता हो कि वह ऐसा नहीं चाहती।
  3. आरोपी ने उसके मना करने के बाद भी जानबूझकर उसे परेशान किया हो।
  4. यह कार्य निजता और मानसिक शांति में बाधा उत्पन्न करने वाला हो।

दंड का प्रावधान (Punishment under Section 78 of BNS)

BNS की धारा 78 के अनुसार —

“यदि कोई व्यक्ति किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध बार-बार कॉल करता है, संदेश भेजता है या पीछा करता है, तो वह अपराधी होगा और उसे तीन वर्ष तक का कारावास, जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।”

इस प्रकार, यह अपराध संज्ञेय (Cognizable) और जमानती (Bailable) श्रेणी का हो सकता है, लेकिन यदि अपराध की गंभीरता अधिक है या इसमें बार-बार की गई हरकतें शामिल हैं, तो पुलिस बिना वारंट गिरफ्तारी भी कर सकती है।


महिला की सहमति का महत्व

इस प्रावधान में “महिला की मर्जी” (Consent) सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।
यदि महिला ने किसी कॉल या संदेश का उत्तर नहीं दिया या स्पष्ट रूप से कहा कि वह संपर्क नहीं चाहती, तो उसके बाद कोई भी संपर्क अवैध माना जाएगा।
कानून में यह माना गया है कि “ना का अर्थ ना है”, चाहे वह मौखिक रूप से कहा गया हो या व्यवहार से स्पष्ट हो।


उदाहरण द्वारा समझें

  1. उदाहरण 1:
    रवि एक महिला को पसंद करता है और बार-बार उसे कॉल करता है। महिला ने कई बार उसे मना किया, लेकिन रवि लगातार कॉल और मैसेज भेजता रहता है।
    → यह BNS धारा 78 के अंतर्गत अपराध है।
  2. उदाहरण 2:
    कोई व्यक्ति किसी महिला को सोशल मीडिया पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता है। महिला मना करती है, पर वह दूसरा अकाउंट बनाकर फिर से रिक्वेस्ट भेजता है।
    → यह भी धारा 78 के अंतर्गत डिजिटल उत्पीड़न (Online Harassment) के रूप में अपराध है।

कानूनी संरक्षण के उपाय (Legal Remedies for Women)

यदि कोई महिला इस तरह की हरकतों से परेशान है, तो वह निम्नलिखित कदम उठा सकती है —

  1. नजदीकी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराएं — BNS की धारा 78 के तहत रिपोर्ट कर सकती हैं।
  2. महिला हेल्पलाइन (1091) या साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर शिकायत करें।
  3. महिला आयोग (National/State Commission for Women) में ऑनलाइन या ऑफलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है।
  4. यदि उत्पीड़न डिजिटल माध्यम से हो रहा है, तो आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 66A, 67 आदि के तहत भी कार्रवाई संभव है।

न्यायालयों के महत्वपूर्ण निर्णय

  1. सौम्या विश्वनाथन केस (Delhi High Court, 2019) – अदालत ने कहा कि “किसी महिला का लगातार पीछा करना या उसे बार-बार कॉल/मैसेज भेजना, उसके मानसिक संतुलन पर प्रभाव डाल सकता है और यह स्टॉकिंग का रूप है।”
  2. भूषण कुमार बनाम राज्य (दिल्ली) – न्यायालय ने कहा कि “महिला की असहमति के बावजूद किसी भी प्रकार का लगातार संपर्क उसके सम्मान का उल्लंघन है, जो दंडनीय अपराध है।”
  3. सुप्रीम कोर्ट ने कई अवसरों पर यह कहा है कि डिजिटल उत्पीड़न (Cyber Stalking) भी पारंपरिक स्टॉकिंग जितना ही गंभीर अपराध है।

सामाजिक दृष्टिकोण से विश्लेषण

धारा 78 का महत्व केवल कानूनी नहीं बल्कि सामाजिक भी है।
भारत में महिलाओं के प्रति सम्मान और उनकी गरिमा की रक्षा संवैधानिक अधिकार है।
संविधान के अनुच्छेद 21 में “जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता” का अधिकार शामिल है, जिसमें मानसिक शांति और निजता (privacy) भी सम्मिलित है।
यदि कोई व्यक्ति बार-बार कॉल या मैसेज द्वारा इस अधिकार का उल्लंघन करता है, तो यह संविधान के मूल मूल्यों के विपरीत है।


पुरुषों के लिए चेतावनी

कई बार लोग इसे “मजाक” या “प्रेम प्रस्ताव” समझकर करते हैं, लेकिन कानून इसे मजाक नहीं मानता।
यदि किसी महिला ने एक बार भी स्पष्ट रूप से मना किया है, तो उसके बाद किया गया कोई भी कॉल या संदेश अपराध है।
भले ही आपका उद्देश्य बुरा न हो, परंतु यदि वह महिला असहज महसूस करती है, तो आप BNS की धारा 78 के तहत दंडित हो सकते हैं।


निष्कर्ष

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 78 महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक सशक्त कानूनी हथियार है।
यह कानून समाज में यह संदेश देता है कि महिलाओं की इच्छा और उनकी निजता सर्वोपरि है।
अब किसी महिला को बार-बार कॉल करना, मैसेज भेजना या उसकी मर्जी के विरुद्ध संपर्क करने की कोशिश करना “सिर्फ असभ्यता” नहीं, बल्कि कानूनी अपराध है।

दोषी पाए जाने पर तीन वर्ष तक की जेल और जुर्माने की सजा इसका परिणाम हो सकती है।
इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना आवश्यक है कि संवेदनशीलता और सम्मान ही किसी भी सभ्य समाज की पहचान है।


संक्षेप में:
👉 धारा 78, BNS का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा है।
👉 बिना अनुमति बार-बार कॉल/मैसेज करना अपराध है।
👉 सजा: 3 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
👉 “ना” का अर्थ “ना” है — इसे अनदेखा करना कानून का उल्लंघन है।