मद्रास हाईकोर्ट ने ‘अखंडा 2’ पर लगी रोक हटाई, ₹5 करोड़ भुगतान के बाद एरोस इंटरनेशनल से वर्षों पुराना विवाद सुलझा
भारतीय फिल्म उद्योग में लंबे समय से चले आ रहे एक बड़े कानूनी विवाद का अंत करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने बहुप्रतीक्षित तेलुगु फिल्म ‘अखंडा 2’ की रिलीज़ पर लगी रोक हटा ली है। यह राहत उस समय मिली जब फिल्म के निर्माताओं ने प्रतिष्ठित प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी एरोस इंटरनेशनल को ₹5 करोड़ का भुगतान कर दिया। यह राशि एक पुराने व्यावसायिक और अनुबंधीय विवाद के आंशिक निपटारे के रूप में दी गई, जो कई वर्षों से अदालत में लंबित था। अदालत के इस आदेश के बाद न केवल फिल्म के निर्माताओं बल्कि अभिनेता, तकनीशियन और दर्शकों ने भी राहत की सांस ली है, क्योंकि ‘अखंडा 2’ को लेकर लंबे समय से उत्सुकता बनी हुई थी।
विवाद की पृष्ठभूमि
‘अखंडा’ तेलुगु सिनेमा की एक बेहद सफल फिल्म रही थी, जिसमें अभिनेता नंदमुरी बालकृष्ण के दमदार अभिनय और निर्देशक बोयापाटी श्रीनु की शैली ने दर्शकों को खूब आकर्षित किया। फिल्म की व्यावसायिक सफलता के बाद इसके सीक्वल ‘अखंडा 2’ की घोषणा हुई, जिससे उम्मीदें और भी बढ़ गईं। लेकिन इसी बीच एरोस इंटरनेशनल और फिल्म से जुड़े कुछ निर्माताओं के बीच पुराने वित्तीय और वितरण अधिकारों से संबंधित विवाद ने फिर से सिर उठा लिया।
एरोस इंटरनेशनल का दावा था कि उसके साथ पहले किए गए समझौतों के तहत कुछ बकाया राशि और अधिकार अब तक स्पष्ट रूप से निपटाए नहीं गए हैं। कंपनी का कहना था कि जब तक इस विवाद का समाधान नहीं होता, तब तक ‘अखंडा 2’ का निर्माण, प्रमोशन या रिलीज़ व्यावसायिक रूप से नुकसानदेह हो सकता है। इसी आधार पर एरोस ने अदालत का रुख किया और फिल्म पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की।
अदालत में चली लंबी सुनवाई
मद्रास हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क रखे। एरोस इंटरनेशनल ने यह दलील दी कि फिल्म उद्योग में अनुबंधों का सम्मान और वित्तीय अनुशासन बनाए रखना बेहद आवश्यक है। यदि बड़े निर्माता पुराने बकायों को नजरअंदाज करेंगे तो इससे पूरे उद्योग की साख प्रभावित होगी।
वहीं, फिल्म के निर्माताओं की ओर से यह कहा गया कि विवाद पुराना है और इसे सुलझाने के लिए बातचीत चल रही है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि फिल्म पर रोक से न केवल निर्माताओं को बल्कि सैकड़ों कलाकारों, तकनीशियनों और वितरण नेटवर्क को भी भारी नुकसान हो रहा है। साथ ही, उन्होंने अदालत को यह आश्वासन दिया कि वे विवाद के समाधान के लिए उचित राशि का भुगतान करने को तैयार हैं।
₹5 करोड़ का भुगतान और समझौता
अदालत की मध्यस्थता और सख्त रुख के बाद आखिरकार दोनों पक्षों के बीच एक अंतरिम समझौता हुआ। फिल्म के निर्माताओं ने एरोस इंटरनेशनल को ₹5 करोड़ का भुगतान किया, जिसे पुराने विवाद के निपटारे की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया। यह भुगतान अदालत के समक्ष किया गया और एरोस की ओर से यह संकेत दिया गया कि इस राशि के मिलने के बाद वे फिल्म पर लगी रोक हटाने पर आपत्ति नहीं करेंगे।
मद्रास हाईकोर्ट ने इस भुगतान को रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि चूंकि विवाद के समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाया गया है, इसलिए फिल्म पर लगी अंतरिम रोक को जारी रखना उचित नहीं होगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह आदेश अंतिम निपटारे को प्रभावित नहीं करेगा और यदि भविष्य में किसी अन्य बकाया या अधिकार को लेकर विवाद उठता है, तो संबंधित पक्ष उचित कानूनी उपाय अपना सकते हैं।
‘अखंडा 2’ के निर्माताओं को बड़ी राहत
अदालत के आदेश के बाद ‘अखंडा 2’ के निर्माताओं ने राहत की सांस ली। फिल्म की शूटिंग, पोस्ट-प्रोडक्शन और प्रमोशनल गतिविधियां अब बिना किसी कानूनी बाधा के आगे बढ़ सकेंगी। सूत्रों के मुताबिक, फिल्म की रिलीज़ डेट को लेकर जो अनिश्चितता बनी हुई थी, वह भी अब जल्द ही समाप्त हो जाएगी।
निर्माताओं ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि वे कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करते हैं और उद्योग में पारदर्शिता बनाए रखने के पक्षधर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एरोस इंटरनेशनल के साथ चला आ रहा विवाद दुर्भाग्यपूर्ण था, लेकिन अब इस समझौते के बाद वे भविष्य में किसी भी तरह के कानूनी टकराव से बचने के लिए सतर्क रहेंगे।
एरोस इंटरनेशनल का रुख
एरोस इंटरनेशनल ने भी अदालत के आदेश के बाद एक संतुलित प्रतिक्रिया दी। कंपनी के प्रतिनिधियों का कहना था कि वे फिल्म उद्योग में सहयोग और साझेदारी के पक्षधर हैं, लेकिन अनुबंधीय दायित्वों का पालन होना आवश्यक है। ₹5 करोड़ के भुगतान को उन्होंने एक सकारात्मक कदम बताया और उम्मीद जताई कि शेष मुद्दों का समाधान भी आपसी बातचीत से किया जाएगा।
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि उनका उद्देश्य किसी फिल्म को रोकना नहीं था, बल्कि अपने वैध अधिकारों की रक्षा करना था। अब जब अदालत के समक्ष भुगतान हो चुका है, तो वे ‘अखंडा 2’ की रिलीज़ में किसी तरह की बाधा नहीं डालेंगे।
फिल्म उद्योग पर प्रभाव
इस मामले को भारतीय फिल्म उद्योग में एक महत्वपूर्ण उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है। अक्सर बड़े बजट की फिल्मों में वित्तीय समझौतों और वितरण अधिकारों को लेकर विवाद सामने आते हैं, जो अंततः अदालतों तक पहुंचते हैं। मद्रास हाईकोर्ट का यह आदेश यह संदेश देता है कि अदालतें व्यावसायिक विवादों में संतुलित दृष्टिकोण अपनाती हैं—जहां एक ओर कानूनी अधिकारों की रक्षा होती है, वहीं दूसरी ओर रचनात्मक कार्यों को अनावश्यक रूप से बाधित होने से भी रोका जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से निर्माताओं को यह सीख मिलेगी कि पुराने अनुबंधों और बकायों को समय पर सुलझाना कितना जरूरी है। साथ ही, यह भी स्पष्ट होता है कि अदालतें केवल रोक लगाने तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि समाधान की दिशा में भी सक्रिय भूमिका निभाती हैं।
दर्शकों में खुशी और उम्मीद
‘अखंडा 2’ के प्रशंसकों के लिए यह खबर किसी उत्सव से कम नहीं है। सोशल मीडिया पर जैसे ही यह खबर सामने आई कि फिल्म पर लगी रोक हट गई है, प्रशंसकों ने खुशी जाहिर की। अभिनेता नंदमुरी बालकृष्ण के फैंस लंबे समय से इस फिल्म का इंतजार कर रहे हैं और अब उन्हें उम्मीद है कि फिल्म जल्द ही सिनेमाघरों में दस्तक देगी।
फिल्म से जुड़े सूत्रों के अनुसार, ‘अखंडा 2’ में पहले भाग से भी अधिक भव्य एक्शन सीक्वेंस, दमदार संवाद और आध्यात्मिक-एक्शन का अनूठा मिश्रण देखने को मिलेगा। ऐसे में कानूनी अड़चन हटने के बाद दर्शकों की उत्सुकता और भी बढ़ गई है।
निष्कर्ष
मद्रास हाईकोर्ट द्वारा ‘अखंडा 2’ पर लगी रोक हटाना न केवल इस फिल्म के लिए बल्कि पूरे फिल्म उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। ₹5 करोड़ के भुगतान के बाद एरोस इंटरनेशनल और निर्माताओं के बीच वर्षों पुराना विवाद एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। यह मामला यह दिखाता है कि कानून और रचनात्मक उद्योग एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं, बल्कि सही संतुलन के साथ दोनों का सह-अस्तित्व संभव है।
अब जबकि कानूनी बाधा हट चुकी है, सबकी निगाहें ‘अखंडा 2’ की रिलीज़ पर टिकी हैं। दर्शक उम्मीद कर रहे हैं कि यह फिल्म न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल करेगी, बल्कि भारतीय सिनेमा में एक और यादगार अध्याय भी जोड़ देगी।