भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड के लिक्विडेशन पर सुप्रीम कोर्ट का यथास्थिति आदेश:

भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड के लिक्विडेशन पर सुप्रीम कोर्ट का यथास्थिति आदेश:
JSW के पुनर्विचार याचिका दायर करने तक कार्रवाई पर विराम

प्रस्तावना

भारतीय कॉरपोरेट कानून व्यवस्था के इतिहास में दिवाला प्रक्रिया (Insolvency Process) और लिक्विडेशन एक महत्वपूर्ण अध्याय रहा है। कंपनियों के पुनर्जीवन और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए न्यायपालिका ने अनेक अवसरों पर हस्तक्षेप किया है। इसी संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट ने भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड (Bhushan Steel & Power Ltd) के लिक्विडेशन पर यथास्थिति बनाए रखने (Status Quo) का आदेश दिया है ताकि JSW समूह को अपनी पुनर्विचार याचिका (Review Petition) दायर करने का अवसर मिल सके।


मामला संक्षेप में

भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड एक समय भारत की प्रमुख स्टील कंपनियों में से एक थी, लेकिन आर्थिक संकट और कर्ज के चलते इसे दिवाला कार्यवाही (Insolvency Proceedings) का सामना करना पड़ा। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने कंपनी के परिसमापन (Liquidation) के आदेश पारित किए थे। JSW समूह ने इस परिसमापन आदेश को चुनौती दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में खारिज कर दिया था।

JSW समूह ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर पुनर्विचार के लिए पुनर्विचार याचिका दायर करने की मंशा जताई है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के परिसमापन की प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है, जिससे JSW समूह को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिल सके।


सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा:
✅ JSW समूह की ओर से पुनर्विचार याचिका दायर करने के अधिकार को संरक्षित रखना आवश्यक है।
✅ भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड के परिसमापन की प्रक्रिया में कोई भी ठोस कदम (जैसे परिसंपत्तियों का नीलामी, श्रमिकों की छंटनी आदि) तब तक नहीं उठाया जाएगा, जब तक न्यायालय पुनर्विचार याचिका पर अंतिम निर्णय नहीं लेता।
✅ यथास्थिति बनाए रखने का आदेश पारित कर सभी पक्षकारों को स्टेटस क्वो में रहने का निर्देश दिया गया।


कानूनी परिप्रेक्ष्य

🔹 दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 (Insolvency and Bankruptcy Code, 2016) के तहत परिसमापन का प्रावधान है, लेकिन यदि उच्चतम न्यायालय किसी आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका की संभावना देखता है तो वह यथास्थिति आदेश देकर कार्रवाई पर रोक लगा सकता है।
🔹 यह आदेश सभी पक्षकारों के हितों की रक्षा करने का कार्य करता है और न्यायालय के समक्ष सभी पक्षों को उचित सुनवाई का अवसर देता है।


प्रभाव और महत्व

👉 भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड के परिसमापन के सभी हितधारकों के लिए यह आदेश राहत लेकर आया है, क्योंकि परिसमापन प्रक्रिया रुकने से निवेशकों, कर्मचारियों और अन्य पक्षकारों के हित सुरक्षित रहेंगे।
👉 JSW समूह को सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी पुनर्विचार याचिका दाखिल करने और अपने तर्क प्रस्तुत करने का पर्याप्त अवसर मिलेगा।
👉 इस आदेश से यह भी स्पष्ट होता है कि सुप्रीम कोर्ट प्रत्येक मामले में न्यायिक समीक्षा और पक्षकारों को सुनवाई का अधिकार देने के प्रति सजग है।
👉 न्यायालय के इस आदेश से भारतीय न्यायपालिका की संतुलित और न्यायोचित दृष्टिकोण की पुष्टि होती है।


निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह यथास्थिति आदेश भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड के परिसमापन से जुड़े सभी पक्षकारों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि निवेशक, कर्मचारी और अन्य हितधारक बिना जल्दबाजी के परिसमापन प्रक्रिया का सामना करें। इसके साथ ही, न्यायालय के इस आदेश से न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और पक्षकारों को सुनवाई का अधिकार सुनिश्चित होता है। यह आदेश भारतीय कॉरपोरेट कानून और दिवाला प्रक्रिया के क्षेत्र में न्यायपालिका की सक्रिय भूमिका को दर्शाता है।