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“भा.ना.सु.सं. 2023 बनाम दंड प्रक्रिया संहिता, 1973: एक तुलनात्मक विश्लेषण”

“भा.ना.सु.सं. 2023 बनाम दंड प्रक्रिया संहिता, 1973: एक तुलनात्मक विश्लेषण”


🔷 प्रस्तावना:

भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (Criminal Procedure Code – CrPC) लगभग 50 वर्षों से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली की प्रक्रिया को नियंत्रित करती रही है। यह औपनिवेशिक काल की कानून व्यवस्था को भारत के संदर्भ में परिभाषित करने का एक प्रयास था। वर्ष 2023 में सरकार ने तीन नए विधेयक प्रस्तुत किए, जिनमें से एक “भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023” (भा.ना.सु.सं. 2023) है, जो CrPC का प्रतिस्थापन है।

इस लेख में हम भा.ना.सु.सं. 2023 और दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के बीच तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं — यह देखने के लिए कि यह बदलाव सतही है या वास्तविक और क्रांतिकारी।


🔷 1. नामकरण और उद्देश्य में अंतर:

तत्व CrPC, 1973 भा.ना.सु.सं. 2023
नाम दंड प्रक्रिया संहिता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता
प्रेरणा अंग्रेजी कानून प्रणाली भारतीय परिप्रेक्ष्य और पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण
उद्देश्य अपराधों की विवेचना और न्यायिक प्रक्रिया समयबद्ध न्याय, डिजिटल न्याय, और पीड़ित अधिकार संरक्षण

विश्लेषण: नामकरण में भारतीयता और नागरिक सुरक्षा पर बल दिया गया है, जबकि CrPC दंडात्मक प्रक्रिया पर केंद्रित थी।


🔷 2. प्रौद्योगिकी का समावेश:

विषय CrPC, 1973 भा.ना.सु.सं. 2023
ई-एफआईआर उपलब्ध नहीं स्पष्ट रूप से अनुमति
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सीमित प्रयोग विधिक रूप से स्वीकृत
डिजिटल दस्तावेज सीमित मान्यता इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य प्राथमिक रूप से मान्य

विश्लेषण: नई संहिता में तकनीक का समावेश अधिक व्यापक और औपचारिक रूप से स्वीकृत है।


🔷 3. पीड़ितों के अधिकार:

विषय CrPC, 1973 भा.ना.सु.सं. 2023
सूचना का अधिकार सीमित पीड़ित को प्राथमिकी, चार्जशीट, बेल आदेश की प्रति
अपील का अधिकार नहीं पीड़ित को अपील करने का अधिकार

विश्लेषण: पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण भा.ना.सु.सं. 2023 की विशेषता है, जो CrPC में अपेक्षाकृत कमजोर था।


🔷 4. समयबद्ध न्याय:

प्रक्रिया CrPC, 1973 भा.ना.सु.सं. 2023
जांच अवधि अस्पष्ट 90 दिन में जांच पूर्ण करने का निर्देश
आरोप तय कोई समयसीमा नहीं निर्धारित समयसीमा में प्रक्रिया तय करने पर बल

विश्लेषण: नई संहिता में मामलों को अनावश्यक रूप से लंबा खींचने से रोकने हेतु ठोस प्रयास दिखाई देता है।


🔷 5. भाषा और धारा परिवर्तन:

तत्व CrPC भा.ना.सु.सं. 2023
धाराओं की संख्या 484 533
भाषा अंग्रेजी मूल भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता, सरल भाषा में प्रस्तुति

विश्लेषण: संख्या और भाषा में बदलाव से भारतीय सन्दर्भ में उपयोगकर्ता-मित्रता को बढ़ावा मिलता है।


🔷 6. गिरफ्तारी और जमानत प्रावधान:

विषय CrPC भा.ना.सु.सं.
गिरफ्तारी बिना वारंट संभव था सीमित किया गया है
जमानत पुलिस की विवेकाधीन न्यायिक प्रक्रिया के तहत संतुलन

विश्लेषण: नागरिक अधिकारों की रक्षा हेतु नई संहिता में अधिक संतुलित प्रावधान शामिल हैं।


🔷 7. क्या बदल गया, क्या वैसा ही रहा?

पहलू बदलाव की स्थिति
कार्यप्रणाली कुछ हद तक बदली है
प्रक्रिया की संरचना अधिकतर समान
न्यायिक शक्ति लगभग यथावत
प्रशासनिक ढांचा अपरिवर्तित

🔷 निष्कर्ष:

“भा.ना.सु.सं. 2023” और “CrPC, 1973” के बीच का अंतर इस बात को स्पष्ट करता है कि यद्यपि नई संहिता में कई सराहनीय पहल किए गए हैं — जैसे पीड़ित की भूमिका का सशक्तिकरण, डिजिटल साक्ष्य का समावेश, और समयबद्ध न्याय का प्रयास — फिर भी इसकी मूल संरचना CrPC से बहुत अलग नहीं है

यह कहना उचित होगा कि यह एक क्रमिक सुधार (Incremental Reform) है, न कि क्रांति (Revolution)।
भविष्य में इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि इसे जमीनी स्तर पर कितनी प्रभावशीलता से लागू किया जाता है।