भारत में साइबर अपराध कानून के महत्वपूर्ण प्रावधान (2025)
परिचय:
साइबर अपराध (Cyber Crime) आज के डिजिटल युग में तेजी से बढ़ रहे खतरे में से एक हैं। इंटरनेट, स्मार्टफोन, सोशल मीडिया और डिजिटल सेवाओं के व्यापक उपयोग ने न केवल सुविधाएँ बढ़ाईं हैं, बल्कि साइबर अपराध के नए रूपों को भी जन्म दिया है। डेटा चोरी, हैकिंग, ऑनलाइन धोखाधड़ी, पहचान की चोरी, ऑनलाइन उत्पीड़न और साइबर आतंकवाद जैसे अपराध अब आम हो गए हैं। इन्हीं खतरों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act, 2000) और भारतीय न्याय संहिता (BNSS), 2023 के तहत साइबर अपराधों के लिए कानूनी प्रावधान बनाए हैं। इस लेख में 2025 के दृष्टिकोण से भारत में साइबर अपराध कानून के प्रमुख धाराओं और उनके महत्व का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत किया गया है।
1. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act, 2000) के अंतर्गत प्रावधान
धारा 43 – अनधिकृत पहुँच/कंप्यूटर, नेटवर्क, डेटा को नुकसान पहुँचाना
धारा 43 उन व्यक्तियों को दंडित करती है जो किसी कंप्यूटर, नेटवर्क, सिस्टम या डेटा तक बिना अनुमति के पहुँचते हैं और उसे नुकसान पहुँचाते हैं। इसमें डेटा को डाउनलोड, कॉपी या निकालना शामिल है। इसके तहत नागरिक राहत के रूप में प्रभावित पक्ष को मुआवजा भी दिया जा सकता है।
धारा 65 – कंप्यूटर स्रोत कोड के साथ छेड़छाड़
धारा 65 के तहत किसी कंप्यूटर प्रोग्राम या स्रोत कोड में जानबूझकर हेरफेर या नुकसान पहुँचाने पर दंड लगाया जाता है। इसमें वायरस, मालवेयर या अन्य हानिकारक सॉफ़्टवेयर का प्रयोग शामिल है।
धारा 66 – “हैकिंग”/अनधिकृत कंप्यूटर क्रियाएँ
यह धारा कंप्यूटर, नेटवर्क या डेटा तक अनधिकृत पहुँच और हानि पहुँचाने के इरादे वाले कार्यों को दंडनीय बनाती है। इसमें सुरक्षा प्रणाली को दरकिनार करना, संवेदनशील डेटा चुराना या हानिकारक प्रोग्राम डालना शामिल है।
धारा 66B – चोरी किए गए कंप्यूटर संसाधन/उपकरण का दुरुपयोग
जो व्यक्ति चोरी किए गए कंप्यूटर संसाधन या उपकरण को जानबूझकर प्राप्त या उपयोग करता है, वह धारा 66B के तहत दंडनीय है। यह साइबर अपराध के माध्यम से प्राप्त वस्तुओं के पुन: उपयोग को रोकने का प्रावधान है।
धारा 66C – पहचान की चोरी (Identity Theft)
इस धारा के तहत किसी की इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर, पासवर्ड या अद्वितीय डिजिटल पहचान का दुरुपयोग करना अपराध है। यह ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी, ई-कॉमर्स धोखाधड़ी और अन्य डिजिटल पहचान से संबंधित अपराधों को रोकता है।
धारा 66D – कंप्यूटर संसाधन का उपयोग करके धोखाधड़ी
यह ऑनलाइन धोखाधड़ी या किसी की पहचान बनकर ठगी करने वाले कार्यों को दंडनीय बनाती है। इसमें फ़िशिंग, ऑनलाइन स्कैम और अन्य धोखाधड़ी शामिल हैं।
धारा 66E – निजता का हनन (Violation of Privacy)
किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन, निजी चित्र या वीडियो की अनधिकृत कब्ज़ा करना या प्रसारित करना इस धारा के अंतर्गत अपराध है। यह विशेष रूप से स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के व्यापक उपयोग के कारण महत्वपूर्ण हो गया है।
धारा 66F – साइबर आतंकवाद (Cyber-Terrorism)
धारा 66F साइबर आतंकवाद से संबंधित है। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले डिजिटल अपराध, महत्वपूर्ण सेवाओं में बाधा डालने या जनमत में भय फैलाने वाले कृत्यों को दंडनीय बनाया गया है।
धारा 67, 67A और 67B – अभद्र और बाल यौन सामग्री
- धारा 67 – इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से यौन सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करना।
- धारा 67A – बाल यौन दुराचार सामग्री (CSAM) के प्रसारण पर रोक।
- धारा 67B – बाल संरक्षण के लिए सरकार द्वारा निगरानी, अवरोध और डिक्रिप्शन के निर्देश।
धारा 69, 69A, 70 और 70B – सरकारी शक्तियाँ और आपात प्रतिक्रिया
- धारा 69 – सरकार को सूचना की निगरानी, अवरोध और डिक्रिप्शन का अधिकार।
- धारा 69A – देश की सुरक्षा, संप्रभुता और सार्वजनिक आदेश के लिए हानिकारक जानकारी को ब्लॉक करना।
- धारा 70 – CERT-In (Computer Emergency Response Team – India) की स्थापना और निर्देश।
- धारा 70B – महत्वपूर्ण संरचनाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े साइबर घटनाओं के लिए विशेष शक्तियाँ।
धारा 71, 72 और 72A – डिजिटल धोखाधड़ी और गोपनीयता उल्लंघन
- धारा 71 – डिजिटल सेवाओं या प्रमाणपत्र प्राप्त करने में गलत प्रस्तुतिकरण।
- धारा 72 – सेवा प्रदाताओं द्वारा गोपनीयता और निजता का उल्लंघन।
- धारा 72A – वैध अनुबंध का उल्लंघन कर जानकारी का खुलासा।
नोट: धारा 66A (अपमानजनक संदेश) को श्रेया सिंघल बनाम यू.ओ.आई., 2015 के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया।
2. भारतीय न्याय संहिता (BNSS), 2023 के अंतर्गत साइबर अपराध
धारा 77 – Voyeurism (गोपनीय चित्रण)
धारा 77 महिला की निजी गतिविधियों का अनधिकृत चित्रण या प्रसारण अपराध है। यह ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों में लागू होती है।
धारा 78 – Stalking
यह ऑनलाइन और ऑफलाइन निगरानी को अपराध मानती है। इसमें इंटरनेट, ई-मेल या सोशल मीडिया के माध्यम से किसी महिला का पीछा करना शामिल है।
धारा 79 – अपमानजनक शब्द/अभिव्यक्ति
महिला की गरिमा को अपमानित करने वाले शब्द, इशारा या कार्य को अपराध माना गया है, चाहे वह ऑनलाइन किया गया हो या वास्तविक।
धारा 111 – संगठित अपराध
साइबर अपराध संगठनों को आर्थिक अपराधों के रूप में दंडनीय ठहराती है। इसमें डेटा चोरी, ऑनलाइन धोखाधड़ी और साइबर आतंकवाद के मामलों में संगठनात्मक भूमिका शामिल है।
धारा 112 – छोटे संगठित अपराध
पेटी संगठित अपराध जैसे कि सीमित नेटवर्क में धोखाधड़ी या डेटा उल्लंघन को दंडनीय बनाती है।
धारा 113 – आतंकवादी कृत्य (Terrorist Act)
यह डिजिटल माध्यमों के जरिए किए गए आतंकवादी कृत्यों को अपराध मानती है। इसमें साइबर आतंकवाद और ऑनलाइन वित्तीय सहायता प्रदान करना शामिल है।
निष्कर्ष:
भारत में साइबर अपराध कानून का दायरा लगातार विकसित हो रहा है। IT Act, 2000 और BNSS, 2023 ने न केवल डिजिटल अपराधों को दंडनीय बनाया है, बल्कि नागरिकों, संगठनों और राज्य की सुरक्षा को भी संरक्षित किया है। इन प्रावधानों के माध्यम से हैकिंग, पहचान की चोरी, बाल संरक्षण, ऑनलाइन उत्पीड़न, और साइबर आतंकवाद जैसी गतिविधियों पर नियंत्रण किया जा सकता है। डिजिटल युग में साइबर कानून की समझ और जागरूकता सभी उपयोगकर्ताओं के लिए आवश्यक है।
यहाँ “भारत में साइबर अपराध कानून (2025)”
1. धारा 43 (IT Act, 2000) का महत्व
धारा 43 के तहत किसी कंप्यूटर, नेटवर्क या डेटा तक अनधिकृत पहुँच और उसे नुकसान पहुँचाना अपराध है। यह व्यक्तिगत डेटा और संगठनों के डिजिटल संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। उल्लंघन होने पर नागरिकों को मुआवजा और आरोपी को दंड मिल सकता है।
2. धारा 66 – हैकिंग और अनधिकृत कंप्यूटर क्रियाएँ
धारा 66 के अंतर्गत हैकिंग, अनधिकृत एक्सेस और जानबूझकर नुकसान पहुँचाने वाले कार्य दंडनीय हैं। इसमें सिस्टम की सुरक्षा दरकिनार करना, डेटा चोरी या हानिकारक प्रोग्राम डालना शामिल है।
3. धारा 66C – पहचान की चोरी (Identity Theft)
धारा 66C किसी की डिजिटल पहचान, पासवर्ड या ई-सिग्नेचर का दुरुपयोग रोकती है। यह ऑनलाइन धोखाधड़ी और वित्तीय अपराधों को रोकने में मदद करती है।
4. धारा 66D – कंप्यूटर धोखाधड़ी
धारा 66D में कंप्यूटर संसाधन का उपयोग कर धोखाधड़ी करना अपराध है। इसमें फ़िशिंग, ऑनलाइन स्कैम और किसी की पहचान बनाकर आर्थिक लाभ लेना शामिल है।
5. धारा 66E – निजता का उल्लंघन
धारा 66E किसी की निजी छवियों या वीडियो को बिना अनुमति के कैप्चर या प्रसारित करना दंडनीय मानती है। यह महिलाओं और बच्चों की डिजिटल सुरक्षा में महत्वपूर्ण है।
6. धारा 66F – साइबर आतंकवाद
धारा 66F राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ डिजिटल माध्यम से किए गए कृत्यों को दंडनीय बनाती है। इसमें महत्वपूर्ण सेवाओं में बाधा डालना, डेटा चोरी या जनमत में भय फैलाना शामिल है।
7. धारा 67, 67A, 67B – अभद्र और बाल यौन सामग्री
धारा 67 – यौन सामग्री, धारा 67A – बाल यौन दुराचार सामग्री, और धारा 67B – बाल सुरक्षा के लिए निगरानी और अवरोध, सभी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम पर लागू होती हैं।
8. धारा 69A – सरकारी सूचना ब्लॉक
धारा 69A सरकार को ऐसी जानकारी को ब्लॉक करने का अधिकार देती है जो देश की सुरक्षा, सार्वजनिक आदेश या संप्रभुता के लिए हानिकारक हो।
9. BNSS 2023 – धारा 77, 78 और 79
धारा 77 – Voyeurism, धारा 78 – Stalking, और धारा 79 – अपमानजनक शब्द/अभिव्यक्ति, सभी महिलाओं की ऑनलाइन और ऑफलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं।
10. BNSS 2023 – धारा 111, 112, 113
धारा 111 – संगठित साइबर अपराध, धारा 112 – छोटे संगठित अपराध, और धारा 113 – डिजिटल माध्यम से आतंकवादी कृत्य, सभी साइबर अपराधों के संगठनात्मक और राष्ट्रीय सुरक्षा पहलुओं को नियंत्रित करती हैं।