भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और कानून: 2025 में उभरता हुआ कानूनी ढांचा

शीर्षक: भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और कानून: 2025 में उभरता हुआ कानूनी ढांचा


प्रस्तावना

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक ने वैश्विक स्तर पर जीवन, व्यवसाय और प्रशासन के हर क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है। भारत भी इस बदलाव से अछूता नहीं रहा है। स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, न्यायपालिका, सुरक्षा और ई-गवर्नेंस में AI के व्यापक उपयोग ने इसके लाभों के साथ-साथ कई कानूनी और नैतिक प्रश्नों को भी जन्म दिया है। 2025 में भारत ने AI तकनीक के लिए एक प्रारंभिक कानूनी ढांचे की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है, ताकि इस तकनीक के दुरुपयोग को रोका जा सके और इसके सकारात्मक उपयोग को बढ़ावा मिल सके।


AI की कानूनी जरूरत क्यों?

AI के बढ़ते प्रयोग ने कई जटिल सवाल खड़े किए हैं:

  • यदि AI द्वारा संचालित स्वचालित वाहन दुर्घटना करता है तो जिम्मेदार कौन होगा – निर्माता, कोडर या उपयोगकर्ता?
  • AI के जरिए उत्पन्न सामग्री (जैसे कविता, चित्र, कोड आदि) पर किसका कॉपीराइट होगा?
  • क्या AI को कानूनी व्यक्ति (Legal Person) माना जा सकता है?
  • AI के माध्यम से होने वाले भेदभाव (bias), गोपनीयता उल्लंघन (privacy breach) और डेटा चोरी के मामलों में किसे जवाबदेह ठहराया जाएगा?

इन सवालों के उत्तर तभी मिल सकते हैं जब एक स्पष्ट और आधुनिक AI कानून मौजूद हो।


भारत में AI और टेक्नोलॉजी की वर्तमान स्थिति (2025)

भारत में AI को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने NITI Aayog, MeitY (Ministry of Electronics and Information Technology) और अन्य संस्थानों के माध्यम से अनेक योजनाएं और नीतियाँ बनाई हैं। 2025 तक निम्नलिखित उपलब्धियाँ सामने आईं:

  • AI स्टार्टअप्स की संख्या में तीव्र वृद्धि।
  • न्यायपालिका में ई-कोर्ट्स, वर्चुअल सुनवाई, और AI आधारित न्यायिक विश्लेषण की शुरुआत।
  • स्वास्थ्य सेवाओं में AI-ड्रिवन डायग्नोस्टिक्स, रिमोट सर्जरी आदि।
  • कृषि में फसल पूर्वानुमान, कीट नियंत्रण सुझाव, और मौसम विश्लेषण जैसे क्षेत्रों में AI का उपयोग।
  • शिक्षा में AI आधारित व्यक्तिगत शिक्षण (personalized learning)

भारत में AI के लिए कानूनी और नीतिगत ढांचा (2025 तक)

1. NITI Aayog की पहल – #AIForAll

NITI Aayog ने वर्ष 2018 में “AI for All” नामक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया था, जिसमें पांच क्षेत्रों (स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, स्मार्ट शहर, और स्मार्ट मोबिलिटी) में AI को प्राथमिकता देने की बात कही गई थी। 2025 तक इसे कानूनी दिशा देने की कोशिश की गई।

2. AI नियमों का ड्राफ्ट (2023-2025)

भारत सरकार ने 2023 में AI विनियमन का प्रारूप (Draft AI Regulation) जारी किया, जिसके आधार पर 2025 में कई अनुशंसाएं लागू की गईं:

  • पारदर्शिता (Transparency): AI सिस्टम कैसे निर्णय लेता है, यह समझाना अनिवार्य।
  • जवाबदेही (Accountability): अगर AI के निर्णय से नुकसान होता है, तो जिम्मेदार पार्टी की पहचान और उत्तरदायित्व तय करना।
  • डेटा संरक्षण (Data Protection): AI को प्रशिक्षित करने वाले डेटा को डेटा संरक्षण कानूनों के दायरे में लाना।
  • समानता (Fairness): AI द्वारा किसी भी प्रकार के जातिगत, लिंग आधारित या सामाजिक पूर्वग्रह को रोकना।
  • ह्यूमन ओवरसाइट: महत्वपूर्ण निर्णयों में अंतिम नियंत्रण मनुष्य के पास हो।

महत्वपूर्ण कानूनी मुद्दे और AI

1. उत्तरदायित्व (Liability)

AI से संबंधित घटनाओं (जैसे दुर्घटना, मेडिकल त्रुटि, वित्तीय नुकसान आदि) में कानूनी उत्तरदायित्व किसका होगा, यह अब स्पष्ट किया जा रहा है। उत्पाद उत्तरदायित्व (Product Liability) के साथ-साथ AI डेवलपर और AI ऑपरेटर को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

2. कॉपीराइट और बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR)

AI द्वारा सृजित कृतियों के अधिकारों को लेकर बड़ी बहस है। भारत में 2025 में यह स्पष्ट किया गया कि AI को कॉपीराइट धारक नहीं माना जा सकता, लेकिन मानव हस्तक्षेप की स्थिति में उस व्यक्ति को अधिकार मिलेगा।

3. डेटा गोपनीयता और सुरक्षा

AI सिस्टम को प्रशिक्षित करने के लिए विशाल मात्रा में व्यक्तिगत डेटा की आवश्यकता होती है। ऐसे में Digital Personal Data Protection Act, 2023 के तहत गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए AI सिस्टम को भी उसी के अनुरूप बनाया गया।

4. नैतिकता (Ethics) और मानव अधिकार

AI के फैसले नैतिक मानकों के अनुरूप हों, यह सुनिश्चित करना जरूरी है। उदाहरण के लिए, न्यायपालिका में AI का उपयोग मानवीय संवेदनाओं को दरकिनार न करे।


AI के लिए प्रस्तावित कानूनी संस्थाएं और निगरानी तंत्र (2025)

  1. AI नियामक प्राधिकरण (AI Regulatory Authority of India – ARAI) – प्रस्तावित संस्था जो AI प्रणालियों की निगरानी, अनुमोदन और परीक्षण करेगी।
  2. AI एथिक्स कमिटी – AI के नैतिक उपयोग पर निगरानी रखेगी।
  3. साइबर सुरक्षा एजेंसियाँ – AI आधारित साइबर हमलों से निपटने के लिए विशेष यूनिट्स।

AI और न्यायपालिका

भारत में न्यायिक प्रणाली में AI के प्रयोग को लेकर दो पहलु हैं –
सकारात्मक पहलू: केस मैनेजमेंट, कानून खोज, भविष्यवाणी विश्लेषण, वर्चुअल कोर्ट
चिंताएँ: न्यायिक निर्णयों में AI पर अत्यधिक निर्भरता, पारदर्शिता की कमी, और मानवीय भावनाओं की उपेक्षा।


2025 तक प्रमुख उपलब्धियाँ

  • AI डेटा सेंटर फ्रेमवर्क लागू हुआ।
  • AI सुरक्षा दिशानिर्देश को अनिवार्य किया गया।
  • शिक्षा प्रणाली में AI प्रशिक्षण को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया।
  • न्यायपालिका में AI केस ट्रैकिंग और विश्लेषण उपकरण लागू किए गए।

भविष्य की दिशा और सिफारिशें

  • एक व्यापक और स्वतंत्र AI कानून पारित किया जाए जो सभी सेक्टर को कवर करे।
  • AI सिस्टम्स का पंजीकरण और परीक्षण अनिवार्य किया जाए।
  • बायस-फ्री AI एल्गोरिदम को बढ़ावा दिया जाए।
  • जनता को AI साक्षरता दी जाए ताकि वे AI आधारित सेवाओं को समझ सकें और गलत निर्णयों को चुनौती दे सकें।

निष्कर्ष

भारत में 2025 तक AI के कानूनी ढांचे की नींव रखी जा चुकी है, लेकिन इसे एक समग्र, पारदर्शी और उत्तरदायी प्रणाली में परिवर्तित करना समय की मांग है। तकनीक के साथ-साथ कानून का भी विकास होना आवश्यक है ताकि हम AI के लाभों का सुरक्षित और न्यायपूर्ण ढंग से उपयोग कर सकें। आने वाले समय में भारत को AI के वैश्विक मानकों के अनुरूप एक स्वतंत्र और सशक्त कानूनी ढांचा विकसित करना होगा।