भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएँ (Salient Features of the Indian Constitution)
भारतीय संविधान विश्व के सबसे विशाल और विस्तृत लिखित संविधानों में से एक है। यह संविधान 26 नवम्बर 1949 को निर्मित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ। इसे भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला कहा जाता है। भारतीय संविधान न केवल भारत की राजनीतिक व्यवस्था का ढाँचा प्रस्तुत करता है, बल्कि यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों तथा राज्य के नीतिनिर्देशक तत्वों को भी सुनिश्चित करता है। इसकी विशेषता यह है कि यह भारतीय समाज की बहुलता, विविधता, परंपरा और आधुनिकता, दोनों को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
अब हम भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का विस्तृत वर्णन करेंगे—
1. लिखित और विस्तृत संविधान
भारतीय संविधान एक लिखित संविधान है, जो लगभग 395 अनुच्छेदों, 22 भागों और 8 अनुसूचियों (प्रारंभिक रूप में) के साथ 1950 में लागू हुआ था। समय के साथ इसमें अनेक संशोधन हुए हैं और वर्तमान में इसमें 470 से अधिक अनुच्छेद, 25 भाग और 12 अनुसूचियाँ हो चुकी हैं।
यह संविधान लगभग हर विषय का विस्तृत प्रावधान करता है – चाहे वह नागरिकों के अधिकार हों, शासन की संरचना, संघ और राज्यों के संबंध, चुनाव प्रक्रिया या आपातकालीन शक्तियाँ।
2. संघात्मक व्यवस्था (Federal System)
भारतीय संविधान एक संघीय ढाँचा प्रदान करता है जिसमें शक्तियों का विभाजन केंद्र और राज्यों के बीच किया गया है। यह विभाजन सातवीं अनुसूची में दी गई तीन सूचियों –
- संघ सूची (Union List)
- राज्य सूची (State List)
- समवर्ती सूची (Concurrent List)
के आधार पर किया गया है।
हालाँकि भारतीय संघीय ढाँचे में केंद्रीकरण की प्रवृत्ति अधिक है, इसलिए इसे “संघीय ढाँचे के साथ एकात्मक झुकाव” (Federal system with unitary bias) कहा जाता है।
3. प्रस्तावना (Preamble) की विशेषता
भारतीय संविधान की प्रस्तावना इसकी आत्मा है। प्रस्तावना भारत को “संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य” घोषित करती है। यह न्याय (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक), स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे आदर्शों को मूर्त रूप देती है।
4. लोकतांत्रिक प्रणाली
भारत में शासन की संरचना लोकतांत्रिक है, जिसमें जनता सर्वोच्च है। भारत में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (Universal Adult Franchise) लागू है, जिसके अनुसार 18 वर्ष से अधिक आयु का हर नागरिक मत देने का अधिकार रखता है। लोकतंत्र केवल चुनाव तक सीमित नहीं है बल्कि यह नागरिकों की स्वतंत्रता, मौलिक अधिकारों और भागीदारी पर आधारित है।
5. संसदीय शासन प्रणाली
भारतीय संविधान ने ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली को अपनाया है। इसमें—
- राष्ट्रपति राज्य का संवैधानिक प्रमुख है, पर वास्तविक कार्यपालिका प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद है।
- कार्यपालिका, विधायिका के प्रति उत्तरदायी है।
- द्विसदनीय संसद (लोकसभा और राज्यसभा) भारत की विधायिका है।
6. धर्मनिरपेक्ष राज्य (Secular State)
भारतीय संविधान भारत को धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित करता है। इसका अर्थ है कि राज्य का कोई अपना धर्म नहीं होगा और सभी धर्मों को समान मान्यता मिलेगी। संविधान का अनुच्छेद 25 से 28 धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
7. न्यायपालिका की स्वतंत्रता
भारतीय संविधान एक स्वतंत्र न्यायपालिका का प्रावधान करता है। सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय मिलकर देश की न्यायिक व्यवस्था बनाते हैं। न्यायपालिका संविधान की संरक्षक और अंतिम व्याख्याकार है। इसे संविधान द्वारा न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review) की शक्ति भी प्राप्त है।
8. मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
भाग III (अनुच्छेद 12 से 35) में नागरिकों को मौलिक अधिकार दिए गए हैं। इनमें—
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
- सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार
- संवैधानिक उपचार का अधिकार
शामिल हैं। ये अधिकार नागरिकों की स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा करते हैं।
9. राज्य के नीतिनिर्देशक तत्व (Directive Principles of State Policy)
संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36 से 51) में नीतिनिर्देशक तत्व दिए गए हैं। ये सरकार को ऐसे आदर्शों की दिशा दिखाते हैं, जिनसे एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना हो सके। उदाहरणस्वरूप—समान नागरिक संहिता, समान वेतन, पर्यावरण संरक्षण, ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहन, सामाजिक न्याय आदि।
10. मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties)
संविधान में 42वें संशोधन (1976) द्वारा भाग IV-A (अनुच्छेद 51A) जोड़ा गया, जिसमें नागरिकों के 11 मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख है। ये कर्तव्य नागरिकों को राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी का बोध कराते हैं, जैसे – संविधान का पालन करना, राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना, पर्यावरण की रक्षा करना आदि।
11. एकात्मकता के तत्व
यद्यपि भारत एक संघीय राज्य है, लेकिन इसमें कई ऐसे प्रावधान हैं जो इसे एकात्मक स्वरूप प्रदान करते हैं, जैसे—
- एकल नागरिकता
- एकल संविधान (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर, जिसे अब धारा 370 हटने के बाद पूर्ण रूप से लागू किया गया है)
- अखिल भारतीय सेवाएँ (IAS, IPS आदि)
- मजबूत केंद्र सरकार
- आपातकालीन प्रावधानों में राज्यों की शक्तियों का निलंबन।
12. आपातकालीन प्रावधान
भारतीय संविधान के भाग XVIII (अनुच्छेद 352 से 360) में आपातकालीन प्रावधान हैं। इसमें तीन प्रकार की आपात स्थितियों का उल्लेख है—
- राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352)
- राज्य आपातकाल या राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356)
- वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)
ये प्रावधान भारत की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने में सहायक हैं।
13. संविधान का लचीलापन और कठोरता
भारतीय संविधान न तो पूरी तरह कठोर है और न ही पूरी तरह लचीला। इसमें कुछ अनुच्छेद साधारण बहुमत से संशोधित किए जा सकते हैं, जबकि कुछ के लिए विशेष बहुमत और राज्यों की सहमति आवश्यक होती है। इसलिए इसे “अर्ध-कठोर और अर्ध-लचीला” कहा जाता है।
14. मूल अधिकार और कर्तव्यों का संतुलन
संविधान नागरिकों को जहाँ अधिकार देता है, वहीं कर्तव्यों का पालन भी सुनिश्चित करता है। यह संतुलन लोकतंत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए आवश्यक है।
15. मिश्रित संविधान (Blend of Rigidity and Flexibility)
भारतीय संविधान ने विभिन्न देशों से विशेषताएँ ग्रहण की हैं –
- ब्रिटेन से संसदीय प्रणाली
- अमेरिका से मौलिक अधिकार और न्यायिक पुनरावलोकन
- आयरलैंड से नीतिनिर्देशक तत्व
- कनाडा से संघीय ढाँचा और शक्तियों का वितरण
- सोवियत संघ से मौलिक कर्तव्य
इस प्रकार भारतीय संविधान एक “मिश्रित संविधान” है।
16. समान नागरिकता (Single Citizenship)
भारत में केवल एक नागरिकता है – भारतीय नागरिकता। अमेरिका जैसे संघीय राज्यों में दोहरी नागरिकता (संघ और राज्य) होती है, परंतु भारत में सभी नागरिक समान रूप से भारतीय कहलाते हैं।
17. संविधान की सर्वोच्चता
भारतीय संविधान देश का सर्वोच्च कानून है। संसद और राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए कोई भी कानून संविधान के विरुद्ध नहीं हो सकते। यदि कोई कानून संविधान के विपरीत पाया जाता है, तो न्यायपालिका उसे निरस्त कर सकती है।
18. सामाजिक न्याय और कल्याणकारी राज्य की अवधारणा
संविधान सामाजिक न्याय और कल्याणकारी राज्य की स्थापना पर बल देता है। यह जाति, धर्म, लिंग या जन्म के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है और कमजोर वर्गों (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्गों) को विशेष संरक्षण प्रदान करता है।
निष्कर्ष
भारतीय संविधान वास्तव में एक जीवंत दस्तावेज है। यह न केवल शासन और राजनीति की रूपरेखा प्रदान करता है, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व जैसे उच्च आदर्शों को भी स्थापित करता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसकी लचीलापन है, जो इसे समय और परिस्थितियों के अनुसार बदलने की अनुमति देता है।
भारतीय संविधान की विशेषताएँ इसे विश्व के अन्य संविधानों से अलग बनाती हैं। यही कारण है कि इसे “We the People of India” के नाम से जनता की संप्रभुता का प्रतीक और भारतीय लोकतंत्र की आत्मा कहा जाता है।