भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की स्थापना, भूमिका और कार्यों का विस्तार से वर्णन
1. प्रस्तावना:
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India – RBI) भारत का केंद्रीय बैंक है, जिसे देश की मौद्रिक प्रणाली को नियंत्रित करने, मुद्रा जारी करने और बैंकिंग प्रणाली की निगरानी के लिए स्थापित किया गया है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था का संचालन और नियंत्रण करने वाली सबसे महत्वपूर्ण संस्था है।
2. स्थापना:
भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अधिनियम, 1934 के तहत की गई थी। प्रारंभ में इसका मुख्यालय कोलकाता में था, जिसे बाद में मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया। प्रारंभ में यह एक निजी स्वामित्व वाली संस्था थी, लेकिन 1 जनवरी 1949 को इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।
3. आरबीआई की संरचना:
RBI का संचालन एक गवर्नर, चार डिप्टी गवर्नर, और विभिन्न निदेशकों की सहायता से किया जाता है। इसका सर्वोच्च प्रबंधन ‘केंद्रीय निदेशक मंडल’ के हाथों में होता है, जिसकी नियुक्ति भारत सरकार करती है।
4. भारतीय रिजर्व बैंक की भूमिका:
RBI देश की मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। इसकी मुख्य भूमिकाएं निम्नलिखित हैं:
(i) मौद्रिक नीति का निर्माण और नियंत्रण:
RBI देश में मुद्रा की उपलब्धता, ब्याज दरों और क्रेडिट नियंत्रण को नियंत्रित करता है। यह महंगाई और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाए रखने का कार्य करता है।
(ii) मुद्रा का निर्गमन:
भारत में केवल RBI को वैध मुद्रा (Currency Notes) जारी करने का अधिकार है (₹1 के नोट को छोड़कर, जिसे वित्त मंत्रालय जारी करता है)। इससे मुद्रा की गुणवत्ता और मात्रा पर नियंत्रण संभव हो पाता है।
(iii) बैंकों का बैंकर:
RBI अन्य सभी बैंकों के लिए ‘बैंकर’ की भूमिका निभाता है। यह बैंकों को ऋण देता है, उनकी नकदी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, और उनका नियंत्रण करता है।
(iv) सरकार का बैंकर:
RBI केंद्र और राज्य सरकारों के लिए भी बैंक का कार्य करता है – जैसे कि सरकारी खातों का संचालन, उधारी प्रबंधन और ऋणों का वितरण।
(v) विदेशी मुद्रा प्रबंधन:
RBI विदेशी मुद्रा बाजार पर नियंत्रण रखता है और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA) के अंतर्गत कार्य करता है। यह देश के विदेशी मुद्रा भंडार का भी प्रबंधन करता है।
(vi) वित्तीय प्रणाली का विनियमन:
RBI बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को लाइसेंस प्रदान करता है, उन पर निगरानी रखता है और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करता है। यह भारतीय बैंकिंग प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करता है।
(vii) ग्राहक संरक्षण:
RBI उपभोक्ताओं को बैंकिंग सेवाओं से संबंधित शिकायतों का समाधान प्रदान करता है। इसके लिए “बैंकिंग लोकपाल योजना” चलाई जाती है।
5. RBI के अन्य कार्य:
- भुगतान और निपटान प्रणाली को नियंत्रित करना
- डिजिटल बैंकिंग और UPI जैसी प्रणालियों को बढ़ावा देना
- वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को प्रोत्साहित करना
- नकली नोटों की रोकथाम
- आर्थिक अनुसंधान और सांख्यिकी का प्रकाशन
6. निष्कर्ष:
भारतीय रिजर्व बैंक देश की आर्थिक रीढ़ है। यह केवल मुद्रा नियंत्रक ही नहीं, बल्कि वित्तीय स्थिरता का रक्षक, बैंकों का मार्गदर्शक और सरकार का विश्वसनीय सहयोगी भी है। बदलते आर्थिक परिदृश्य में RBI की भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, विशेष रूप से डिजिटल अर्थव्यवस्था और वैश्विक वित्तीय चुनौतियों के संदर्भ में। देश की आर्थिक प्रगति और स्थायित्व के लिए RBI की भूमिका अनमोल है।