शीर्षक: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 74 – स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से हमला या आपराधिक बल: एक विस्तृत कानूनी विश्लेषण
प्रस्तावना
भारतीय समाज में महिलाओं की गरिमा और शारीरिक स्वतंत्रता को अत्यधिक महत्त्व दिया गया है। भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS), 2023 इस दिशा में कई सशक्त प्रावधानों के साथ सामने आई है। इन प्रावधानों में धारा 74 एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, जो किसी स्त्री की लज्जा भंग करने के उद्देश्य से किए गए हमले या आपराधिक बल के प्रयोग को दंडनीय अपराध घोषित करती है।
इस धारा का उद्देश्य महिलाओं की प्रतिष्ठा, गरिमा और निजी क्षेत्र की रक्षा करना है, साथ ही उन लोगों को दंडित करना है जो शारीरिक या मानसिक रूप से उन्हें अपमानित करने का प्रयास करते हैं।
धारा 74 का कानूनी प्रावधान
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 74 के अनुसार:
“जो कोई किसी स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला करता है या आपराधिक बल का प्रयोग करता है, वह कठोर कारावास से, जो एक वर्ष से कम नहीं होगा किन्तु जो पाँच वर्ष तक का हो सकेगा, दण्डित किया जाएगा, तथा उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।”
प्रमुख तत्व (Essential Ingredients)
इस अपराध को सिद्ध करने हेतु निम्नलिखित तत्वों की उपस्थिति आवश्यक है:
- पीड़िता का स्त्री होना
- यह अपराध केवल स्त्रियों के विरुद्ध लागू होता है।
- आरोपी द्वारा हमला या आपराधिक बल का प्रयोग
- शारीरिक संपर्क जरूरी नहीं है, परंतु बल का प्रयोग या भय उत्पन्न करना आवश्यक है।
- लज्जा भंग करने का आशय (Intent to Outrage Modesty)
- यह अपराध आशय पर आधारित है। यदि अभियुक्त का उद्देश्य महिला की लज्जा को भंग करना था, तो वह इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
‘लज्जा भंग’ की व्याख्या
‘लज्जा’ कोई ठोस परिभाषित तत्व नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ भाव है। भारतीय न्यायपालिका ने इसे स्त्री की सम्मानजनक निजता और सामाजिक गरिमा से जोड़ा है।
महत्वपूर्ण निर्णय:
State of Punjab v. Major Singh (AIR 1967 SC 63)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी महिला (यहां तक कि छोटी बच्ची) की लज्जा भंग करने के लिए उसका यौनिक स्पर्श आवश्यक नहीं है, यदि उसका उद्देश्य अपमान या यौन शोषण है, तो वह अपराध सिद्ध होता है।
दंडात्मक प्रावधान
- न्यूनतम सजा: 1 वर्ष का कठोर कारावास (अनिवार्य)
- अधिकतम सजा: 5 वर्ष तक का कठोर कारावास
- साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
यह अपराध संज्ञेय (Cognizable) और गैर-जमानती (Non-Bailable) है, अर्थात पुलिस बिना वारंट गिरफ्तारी कर सकती है और आरोपी को आसानी से जमानत नहीं मिलती।
महिलाओं की सुरक्षा में धारा 74 का महत्व
भारत में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, धारा 74 एक सशक्त उपकरण के रूप में कार्य करती है। यह कानून उन पुरुषों को दंडित करने की व्यवस्था करता है जो महिलाओं को अपमानित करने, उनके आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचाने या उनके व्यक्तिगत क्षेत्र में अनुचित हस्तक्षेप करने का प्रयास करते हैं।
यह धारा सार्वजनिक स्थलों, कार्यस्थलों, या घरेलू परिसरों में होने वाले उन घटनाओं पर भी लागू होती है जहाँ किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने का इरादा निहित होता है।
निष्कर्ष
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 74 महिलाओं की गरिमा की रक्षा का एक आवश्यक और प्रभावी कानूनी प्रावधान है। यह धारा न केवल महिलाओं को सुरक्षा का भरोसा देती है, बल्कि समाज में महिलाओं के सम्मान के प्रति संवेदनशीलता भी बढ़ाती है। न्यायालयों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा इसके प्रभावी क्रियान्वयन से महिला सुरक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार की संभावना है।