भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 85, 115(2), 351(2) और 352 का विस्तृत विश्लेषण
🔹 प्रस्तावना
भारत में दंडात्मक न्याय व्यवस्था का नया युग भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) के लागू होने के साथ शुरू हुआ है। इस संहिता ने औपनिवेशिक काल की भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की जगह ली है। यह नया कानून आधुनिक अपराधों को समझने, पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने और न्यायिक प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस लेख में हम BNS की चार महत्वपूर्ण धाराओं का गहन विश्लेषण करेंगे:
- धारा 85 – क्रूरता
- धारा 115(2) – चोट पहुँचाना
- धारा 351(2) – आपराधिक धमकी
- धारा 352 – जानबूझकर अपमान करना
🔸 1. धारा 85 – क्रूरता (Cruelty)
📜 धारा का उद्देश्य:
यह धारा विशेष रूप से वैवाहिक जीवन में होने वाली मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना से महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाई गई है।
⚖️ परिभाषा:
यदि कोई पति या उसका रिश्तेदार विवाहिता स्त्री के साथ क्रूरता करता है, तो यह धारा लागू होती है।
✅ क्रूरता के रूप:
- बार-बार मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना देना
- दहेज की मांग के लिए यातना देना
- आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा व्यवहार करना
🔒 दंड:
3 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
यह अपराध संज्ञेय और अजमानतीय होता है।
🧭 व्यवहारिक दृष्टिकोण:
यह धारा महिलाओं को घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना के विरुद्ध कानूनी सुरक्षा देती है, लेकिन इसके दुरुपयोग के मामले भी अदालतों में देखे गए हैं।
🔸 2. धारा 115(2) – जानबूझकर चोट पहुंचाना (Voluntarily Causing Hurt)
📜 धारा का उद्देश्य:
यह धारा उस स्थिति पर लागू होती है जहाँ कोई व्यक्ति किसी अन्य को जानबूझकर चोट पहुँचाता है।
⚖️ परिभाषा:
यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर शारीरिक चोट पहुँचाता है, जिससे पीड़ित को दर्द, जख्म, या अस्थायी विकलांगता हो, तो यह धारा लागू होती है।
🔒 दंड:
- 1 वर्ष तक का कारावास
- या ₹10,000 तक जुर्माना
- या दोनों
⚖️ यह अपराध:
गैर-संज्ञेय और जमानतीय होता है।
🧭 विशेष टिप्पणी:
यह सामान्य मारपीट के मामलों में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली धाराओं में से एक है। अगर चोट अधिक गंभीर हो तो धारा 116 और अन्य धाराएँ भी जोड़ी जा सकती हैं।
🔸 3. धारा 351(2) – आपराधिक धमकी (Criminal Intimidation)
📜 धारा का उद्देश्य:
लोगों को मानसिक उत्पीड़न से बचाना और धमकी देने वाले व्यक्तियों को नियंत्रित करना।
⚖️ परिभाषा:
जब कोई व्यक्ति किसी को जान से मारने, गंभीर चोट पहुँचाने, संपत्ति नष्ट करने, या किसी प्रियजन को नुकसान पहुँचाने की धमकी देता है, तो यह अपराध बनता है।
🔒 दंड:
- 2 वर्ष तक का कारावास
- या जुर्माना
- या दोनों
यदि धमकी मृत्यु या गंभीर अपराध से संबंधित है, तो दंड और अधिक कठोर हो सकता है।
🧭 महत्त्व:
यह धारा उन सभी लोगों के लिए राहत देती है जो ब्लैकमेलिंग, दबाव या डर के माहौल में जी रहे हों।
🔸 4. धारा 352 – जानबूझकर अपमान करना (Intentional Insult with Intent to Provoke Breach of Peace)
📜 धारा का उद्देश्य:
किसी भी ऐसे अपमानजनक व्यवहार को रोकना जो सामाजिक शांति को भंग कर सकता है।
⚖️ परिभाषा:
जब कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी को अपमानित करता है, इस उद्देश्य से कि वह उत्तेजित होकर कानून तोड़े, तो यह अपराध माना जाएगा।
🔒 दंड:
- 2 वर्ष तक का कारावास
- या जुर्माना
- या दोनों
🧭 प्रासंगिक उदाहरण:
- सार्वजनिक रूप से जातिगत या धार्मिक अपमान
- बार-बार किसी को सामाजिक रूप से नीचा दिखाना
✅ निष्कर्ष
भारतीय न्याय संहिता की ये धाराएँ सामाजिक व्यवहार को अनुशासित करने, महिलाओं की गरिमा की रक्षा करने और व्यक्तिगत स्वतंत्रता व सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
यह कानून नागरिकों को न सिर्फ उनके अधिकारों का ज्ञान देता है बल्कि उनके उल्लंघन के विरुद्ध कार्रवाई करने की शक्ति भी प्रदान करता है।