भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 478: जमानत और बांड से जुड़ी कानूनी प्रक्रिया
परिचय:
भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में जमानत और बांड एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि यह व्यक्ति की स्वतंत्रता और समाज के हितों के बीच संतुलन बनाता है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) जिसे भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) के स्थान पर लागू किया गया है, आधुनिक जरूरतों के अनुसार अद्यतन प्रावधानों को सम्मिलित करती है। इस संहिता की धारा 478 “जमानत और बांड” से संबंधित कानूनी प्रक्रिया को परिभाषित करती है।
धारा 478 का सार:
यह धारा स्पष्ट करती है कि किन परिस्थितियों में, किन शर्तों के साथ और किस प्रक्रिया द्वारा किसी व्यक्ति को जमानत या निजी मुचलके पर रिहा किया जा सकता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आरोपी की न्यायिक उपस्थिति बनी रहे, साथ ही उसकी वैयक्तिक स्वतंत्रता का भी सम्मान हो।
जमानत (Bail) क्या है?
जमानत वह विधिक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से किसी आरोपी व्यक्ति को हिरासत से अस्थायी रूप से रिहा किया जाता है, इस आश्वासन के साथ कि वह आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होगा।
बांड (Bond) क्या है?
बांड वह लिखित प्रतिज्ञा होती है जिसमें आरोपी यह वचन देता है कि वह कानून का उल्लंघन नहीं करेगा और न्यायालय की प्रत्येक कार्यवाही में उपस्थित होगा। बांड में धनराशि का उल्लेख होता है, जो आरोपी या जमानती को न्यायालय की शर्तें तोड़ने पर अदा करनी होती है।
धारा 478 के अंतर्गत प्रमुख प्रावधान:
- जमानती और गैर-जमानती अपराध में अंतर:
- जमानती अपराधों में आरोपी को जमानत देना न्यायालय का दायित्व होता है।
- गैर-जमानती अपराधों में न्यायालय आरोपी की पृष्ठभूमि, अपराध की प्रकृति, सबूतों की सुरक्षा आदि को ध्यान में रखकर निर्णय लेता है।
- न्यायालय की भूमिका:
- न्यायालय यह सुनिश्चित करता है कि जमानत देने से न तो जांच प्रभावित हो और न ही गवाहों को खतरा हो।
- यदि आरोपी के भागने या साक्ष्य से छेड़छाड़ करने की संभावना हो तो जमानत अस्वीकार की जा सकती है।
- शर्तें:
- पासपोर्ट जब्त किया जाना
- सीमित क्षेत्र में निवास करना
- गवाहों से संपर्क नहीं करना
- पुलिस स्टेशन में नियमित उपस्थिति देना
- जमानती की भूमिका (Surety):
जमानती वह व्यक्ति होता है जो अदालत को आश्वस्त करता है कि आरोपी न्यायालय के समक्ष उपस्थित रहेगा। यदि आरोपी भाग जाता है तो जमानती पर दायित्व आ जाता है। - डिजिटल प्रक्रिया की अनुमति:
नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 आधुनिक तकनीक को अपनाने पर बल देती है। इसके अंतर्गत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ऑनलाइन आवेदन और इलेक्ट्रॉनिक बांड स्वीकार्य हो सकते हैं। - विशेष मामलों में जमानत:
- महिलाओं, बच्चों, वृद्धजनों और बीमार व्यक्तियों को विशेष सहानुभूति दी जाती है।
- पहली बार अपराध करने वाले व्यक्तियों के लिए भी लचीलापन होता है।
महत्व और उद्देश्य:
- न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करना
- व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना
- जांच की निष्पक्षता बनाए रखना
- न्यायालय की प्रक्रिया में बाधा न आने देना
निष्कर्ष:
धारा 478 एक संतुलित विधिक प्रावधान है जो यह सुनिश्चित करता है कि अभियुक्तों के मौलिक अधिकारों का हनन न हो, और साथ ही न्यायालय की कार्यवाही भी प्रभावी ढंग से चलती रहे। यह प्रावधान व्यक्ति की स्वतंत्रता और समाज की सुरक्षा के बीच संवेदनशील संतुलन बनाए रखने में सहायक है।
नए कानून के तहत तकनीक का उपयोग, पारदर्शिता और न्यायिक प्रक्रिया में तीव्रता लाने की जो मंशा है, उसे धारा 478 के माध्यम से स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।