भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा फिलहाल टली – यमन में फांसी से बचाने की कूटनीतिक कोशिशें
🔷 परिचय:
भारतीय मूल की नर्स निमिषा प्रिया, जो बीते आठ वर्षों से यमन की जेल में कैद हैं, को यमन की सर्वोच्च अदालत ने हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई थी। इस निर्णय के खिलाफ भारत सरकार और सामाजिक संगठनों ने निरंतर प्रयास किए। 16 जुलाई 2025 को उनकी मौत की सजा निर्धारित थी, लेकिन अंतिम क्षणों में ब्लड मनी (Diyya) के विकल्प के माध्यम से उनकी फांसी को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
⚖️ मामले की पृष्ठभूमि:
- निमिषा प्रिया के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने अपने यमनी पार्टनर की हत्या कर दी थी।
- उन्हें 2017 में गिरफ्तार किया गया और यमन की अदालत में ट्रायल चला।
- यमन की सर्वोच्च अदालत ने उन्हें मृत्युदंड की सज़ा सुनाई।
- यमन का क़ानून इस्लामी शरीया पर आधारित है, जिसके अंतर्गत हत्या के मामलों में ब्लड मनी (Diyya) देकर दंड से मुक्ति मिल सकती है – यदि पीड़ित परिवार सहमत हो।
🏛️ भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका:
- भारत सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें हस्तक्षेप की मांग की गई।
- केंद्र सरकार ने कोर्ट में बताया कि यह विदेशी संप्रभुता से जुड़ा मामला है, और भारत सरकार सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
- फिर भी, भारतीय दूतावास यमन में लगातार सक्रिय रहा और स्थानीय प्रशासन व पीड़ित परिवार से संपर्क बनाए रखा।
🤝 ब्लड मनी (Diyya) क्या है?:
- ब्लड मनी एक इस्लामी कानूनी अवधारणा है जिसमें हत्यारे को मृतक के परिवार को मुआवजा (धन) देने पर माफ किया जा सकता है।
- इस स्थिति में, यदि पीड़ित परिवार लिखित सहमति दे देता है, तो फांसी की सजा को रोका या समाप्त किया जा सकता है।
🌍 राजनयिक प्रयास और दूतावास की भूमिका:
- भारतीय दूतावास (Embassy of India, Sanaa) ने निमिषा के स्वजनों को यमन में पीड़ित परिवार से संपर्क कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- दूतावास ने कानूनी सलाह, अनुवाद, और बैठकें आयोजित कराने में मदद की।
- यह सुनिश्चित किया गया कि पीड़ित परिवार से संवाद शांति और समझदारी के साथ हो, जिससे ब्लड मनी के समझौते की संभावना बन सके।
🧾 न्याय और मानवीयता के बीच संघर्ष:
- निमिषा प्रिया का मामला भारत में न्याय, महिला सुरक्षा, और कूटनीतिक संरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दों को उजागर करता है।
- भारत सरकार का सीधा हस्तक्षेप भले ही सीमित हो, लेकिन मानवीय आधार पर बचाव के सभी प्रयास किए गए।
📰 वर्तमान स्थिति:
- 16 जुलाई 2025 को दी जाने वाली फांसी स्थगित कर दी गई है।
- ब्लड मनी के समझौते की संभावना खुली है।
- समाजसेवी संगठन, वकीलों का दल, और निमिषा की मां व बेटी अब इस मामले को मानवीय सहानुभूति के आधार पर सुलझाने की दिशा में कार्यरत हैं।
📢 समाज और मीडिया की भूमिका:
- निमिषा प्रिया की सजा को टालने में मीडिया, सोशल मीडिया और मानवाधिकार संगठनों की जागरूकता अभियान ने भी अहम भूमिका निभाई।
- ट्विटर पर #SaveNimisha और अन्य हैशटैग के माध्यम से यह मुद्दा जनचेतना का विषय बना।
🔚 निष्कर्ष:
निमिषा प्रिया की फांसी को फिलहाल टालना न केवल एक कूटनीतिक सफलता है, बल्कि यह भारतीय नागरिकों के लिए विदेशों में मानवीय और कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया मजबूत कदम भी है। इस मामले ने यह भी दर्शाया है कि राजनयिक संवाद, कानूनी समझ और मानवीय अपीलों के संयोजन से अत्यंत जटिल अंतरराष्ट्रीय आपराधिक मामलों में भी राहत पाई जा सकती है।