भारतीय दंड संहिता (BNS), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (BNSS), एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के अंतर्गत आपराधिक मुकदमे की चरणबद्ध प्रक्रिया (Stages of Criminal Trial)

शीर्षक: भारतीय दंड संहिता (BNS), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (BNSS), एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के अंतर्गत आपराधिक मुकदमे की चरणबद्ध प्रक्रिया (Stages of Criminal Trial)


भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली को तीन प्रमुख अधिनियमों के अंतर्गत संचालित किया जाता है:

  • भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS)
  • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita – BNSS)
  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (Bharatiya Sakshya Adhiniyam – BSA)

इन अधिनियमों के अंतर्गत एक आपराधिक मुकदमे की प्रक्रिया विभिन्न चरणों में संपन्न होती है, जिसे नीचे क्रमबद्ध रूप में विस्तार से समझाया गया है:


1. एफ.आई.आर. (FIR) का पंजीकरण

धारा 173, BNSS

  • जब किसी अपराध की सूचना पुलिस को दी जाती है, तो वह FIR (First Information Report) दर्ज करती है।
  • यह प्रक्रिया आपराधिक मुकदमे की शुरुआत है और अपराध की प्रकृति (संज्ञेय/असंज्ञेय) पर निर्भर करती है।

2. जांच (Investigation)

धारा 180-189, 193 BNSS

  • पुलिस साक्ष्य एकत्र करती है, गवाहों के बयान दर्ज करती है, आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है।
  • अपराध के अनुसार केस डायरी तैयार होती है और अंतिम रिपोर्ट या चार्जशीट दायर की जाती है।

3. अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail)

धारा 479, BNSS

  • यदि किसी व्यक्ति को गिरफ्तारी की आशंका है, तो वह अग्रिम जमानत के लिए अदालत में आवेदन कर सकता है।

4. मजिस्ट्रेट को शिकायत (Complaint to Magistrate)

धारा 210-211, BNSS

  • कुछ मामलों में, सीधे मजिस्ट्रेट को भी शिकायत की जा सकती है, विशेषकर जब पुलिस FIR दर्ज करने से मना कर दे।

5. अपराध का संज्ञान (Cognizance of Offence)

धारा 206, BNS व धारा 216, BNSS

  • मजिस्ट्रेट यह निर्णय लेता है कि प्रस्तुत तथ्यों व साक्ष्यों के आधार पर अपराध का संज्ञान लिया जाए या नहीं।

6. प्रक्रिया जारी करना (Issue of Process)

धारा 218-234, BNSS

  • अदालत अभियुक्त को तलब करने के लिए समन या गिरफ्तारी वारंट जारी करती है।

7. दोष स्वीकृति याचिका (Plea Bargaining)

धारा 265, BNS; धारा 358, BNSS

  • अभियुक्त अपराध स्वीकार कर सजा में रियायत के लिए याचिका दायर कर सकता है।

8. आरोप निर्धारण (Framing of Charge)

धारा 242-256, BNSS

  • अदालत यह तय करती है कि अभियुक्त पर कौन-कौन से आरोप लगाए जाएंगे।
  • आरोपों को पढ़कर अभियुक्त से स्वीकृति या अस्वीकृति पूछी जाती है।

9. अभियोजन साक्ष्य (Prosecution Evidence)

धारा 266-275, BNSS; धारा 59-61, BSA

  • अभियोजन पक्ष अपने गवाहों और सबूतों को अदालत में प्रस्तुत करता है।
  • बचाव पक्ष को इन गवाहों से जिरह करने का अधिकार होता है।

10. अभियुक्त का बयान (Statement of Accused)

धारा 279, BNSS

  • अदालत अभियुक्त से उसके पक्ष में बयान लेती है, जिससे अभियुक्त अपनी सफाई दे सके।

11. बचाव पक्ष के साक्ष्य (Defence Evidence)

धारा 280-281, BNSS; धारा 61, BSA

  • यदि अभियुक्त चाहता है, तो वह भी अपने गवाह या दस्तावेज़ अदालत के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है।

12. बहस (Arguments)

धारा 283-293, BNSS; धारा 373-374, BNS

  • दोनों पक्षों द्वारा अंतिम मौखिक तर्क (final arguments) प्रस्तुत किए जाते हैं।
  • यह मुकदमे का निर्णायक चरण होता है।

13. निर्णय (Judgment)
  • न्यायालय उपलब्ध साक्ष्यों व तर्कों के आधार पर अभियुक्त को दोषी या निर्दोष घोषित करता है।
  • दोषी पाए जाने पर सजा सुनाई जाती है

14. दोष सिद्धि के बाद जमानत (Post-Conviction Bail)

धारा 481, BNSS

  • यदि अभियुक्त को सजा हो गई है और वह अपील करना चाहता है, तो सजा के दौरान जमानत के लिए आवेदन कर सकता है।

निष्कर्ष:

नवीन BNS, BNSS और BSA के अंतर्गत आपराधिक प्रक्रिया को अधिक स्पष्ट, तेज और तकनीकी रूप से समर्थ बनाया गया है। प्रत्येक चरण का उद्देश्य न्याय को समयबद्ध, पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना है। वकीलों, पुलिस, और न्यायालयों के लिए इन नए प्रावधानों की समझ अत्यंत आवश्यक है।