भारतीय उत्तराधिकार कानून की प्रमुख विशेषताओं की व्याख्या कीजिए। हिन्दू और मुस्लिम उत्तराधिकार कानून की तुलना भी कीजिए।

प्रश्न: भारतीय उत्तराधिकार कानून की प्रमुख विशेषताओं की व्याख्या कीजिए। हिन्दू और मुस्लिम उत्तराधिकार कानून की तुलना भी कीजिए।
(Explain the salient features of Indian Law of Succession. Also compare Hindu and Muslim Law of Succession.)


उत्तर –

I. प्रस्तावना (Introduction):

भारतीय उत्तराधिकार कानून (Law of Succession or Inheritance) उस विधिक व्यवस्था को कहते हैं जिसके द्वारा किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसकी संपत्ति का अधिकार उसके उत्तराधिकारियों को प्राप्त होता है। यह कानून इस बात को नियंत्रित करता है कि मृतक की संपत्ति किसे, कैसे और कितनी मात्रा में हस्तांतरित होगी।

भारत में उत्तराधिकार कानून धर्म और व्यक्तिगत कानूनों के अनुसार विभाजित है, जैसे:

  • हिन्दू उत्तराधिकार कानून – हिंदू, बौद्ध, जैन और सिखों पर लागू होता है।
  • मुस्लिम उत्तराधिकार कानून – मुस्लिमों पर लागू होता है।
  • ईसाई और पारसी उत्तराधिकार कानून – Indian Succession Act, 1925 द्वारा शासित होता है।

II. भारतीय उत्तराधिकार कानून की प्रमुख विशेषताएँ (Salient Features of Indian Law of Succession):

  1. धर्माधारित व्यवस्था (Religion-based Structure):
    • भारत में उत्तराधिकार कानून धर्म के अनुसार लागू होते हैं, जिससे विभिन्न समुदायों में भिन्न-भिन्न उत्तराधिकार नियम हैं।
  2. वसीयत (Testamentary) और अवसीयत (Intestate) उत्तराधिकार:
    • वसीयत उत्तराधिकार: जब मृतक ने वसीयत द्वारा संपत्ति बाँटी हो।
    • अवसीयत उत्तराधिकार: जब मृतक बिना वसीयत के मरा हो, तब उत्तराधिकार व्यक्तिगत कानूनों के अनुसार तय होता है।
  3. Hindu Succession Act, 1956 (हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956):
    • हिन्दुओं पर लागू होता है।
    • 2005 में संशोधन द्वारा बेटियों को पुत्रों के समान अधिकार मिला।
  4. Muslim Law of Inheritance (मुस्लिम उत्तराधिकार कानून):
    • कुरान, हदीस, इज्मा, और कियास पर आधारित।
    • पुरुषों को सामान्यतः महिलाओं की अपेक्षा दोगुना हिस्सा मिलता है।
  5. Indian Succession Act, 1925:
    • यह अधिनियम ईसाईयों, पारसियों और अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले व्यक्तियों पर लागू होता है।
  6. अवैध संतान और गोद लिए हुए बच्चों का उत्तराधिकार:
    • हिन्दू कानून गोद लिए हुए बच्चे को उत्तराधिकारी मानता है।
    • मुस्लिम कानून में गोद लिए गए बच्चे को जैविक उत्तराधिकारी नहीं माना जाता।
  7. उत्तराधिकार का स्वचालित हस्तांतरण (Devolution of Property):
    • जब व्यक्ति की मृत्यु होती है, उसकी संपत्ति स्वतः उत्तराधिकारियों में हस्तांतरित हो जाती है – बिना अदालत की अनुमति के (यदि कोई विवाद न हो)।
  8. पैतृक और स्व-अर्जित संपत्ति में भेद:
    • हिन्दू कानून में पैतृक संपत्ति और स्व-अर्जित संपत्ति में अंतर किया जाता है।
    • मुस्लिम कानून में ऐसा अंतर नहीं किया जाता।
  9. उत्तराधिकार के प्रकार:
    • Class I और Class II उत्तराधिकारी (हिन्दू कानून में) – जैसे पुत्र, पुत्री, माता, आदि।
    • Sharers, Residuaries, और Distant Kindred (मुस्लिम कानून में) – उत्तराधिकारियों की अलग-अलग श्रेणियाँ।
  10. लिंग आधारित उत्तराधिकार (Gender-based Inheritance):
    • हिन्दू कानून (2005 संशोधन के बाद) समान अधिकार देता है।
    • मुस्लिम कानून में पुरुष को सामान्यतः स्त्री से दोगुना हिस्सा मिलता है।

III. हिन्दू और मुस्लिम उत्तराधिकार कानून की तुलना (Comparison between Hindu and Muslim Law of Inheritance):

  1. स्रोत (Source):
    हिन्दू उत्तराधिकार कानून का आधार हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 है, जबकि मुस्लिम उत्तराधिकार कानून का स्रोत कुरान, हदीस, इज्मा और कियास हैं।
  2. उत्तराधिकार का आधार:
    हिन्दू कानून में उत्तराधिकार प्राथमिकता (preference) और वर्गीकरण (Class I, Class II आदि) पर आधारित होता है, जबकि मुस्लिम कानून में उत्तराधिकार गणितीय अनुपातों (fractions) में विभाजित किया जाता है।
  3. वसीयत की सीमा:
    हिन्दू कानून में व्यक्ति अपनी संपत्ति की वसीयत पूरी संपत्ति पर कर सकता है। लेकिन मुस्लिम कानून में व्यक्ति केवल अपनी संपत्ति के एक-तिहाई (1/3) भाग तक ही वसीयत कर सकता है, यदि उत्तराधिकारी सहमत न हों।
  4. महिलाओं के अधिकार:
    हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम (2005 संशोधन) के बाद पुत्री को पुत्र के समान अधिकार प्राप्त हैं। वहीं, मुस्लिम कानून में महिलाओं को उत्तराधिकार का अधिकार तो है, परन्तु उन्हें प्रायः पुरुषों की तुलना में आधा हिस्सा मिलता है।
  5. गोद लिए गए बच्चे का अधिकार:
    हिन्दू कानून में गोद लिया गया बच्चा उत्तराधिकारी माना जाता है और उसे वैधानिक उत्तराधिकार प्राप्त होता है। मुस्लिम कानून में गोद लिए गए बच्चे को जैविक उत्तराधिकारी नहीं माना जाता।
  6. पैतृक और स्व-अर्जित संपत्ति में भेद:
    हिन्दू कानून पैतृक और स्व-अर्जित संपत्ति में भेद करता है। संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति पर सह-उत्तराधिकारियों का अधिकार होता है। मुस्लिम कानून में ऐसा कोई भेद नहीं किया जाता, सारी संपत्ति व्यक्तिगत मानी जाती है।
  7. संयुक्त परिवार की अवधारणा:
    हिन्दू कानून में संयुक्त परिवार और कुटुंब की अवधारणा विद्यमान है, जहां सह-अधिकारिता होती है। मुस्लिम उत्तराधिकार कानून में संयुक्त परिवार की अवधारणा नहीं होती, प्रत्येक व्यक्ति की संपत्ति उसकी व्यक्तिगत होती है।
  8. उत्तराधिकारियों की श्रेणियाँ:
    हिन्दू कानून में उत्तराधिकारियों को Class I, Class II, Agnates और Cognates के रूप में विभाजित किया गया है। मुस्लिम कानून में Sharers (प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी), Residuaries (बचे हुए हिस्से के उत्तराधिकारी) और Distant Kindred (दूर के संबंधी) की श्रेणियाँ होती हैं।
  9. हस्तांतरण की विधि:
    हिन्दू उत्तराधिकार में Survivorship और Succession दोनों अवधारणाएँ पाई जाती हैं (विशेष रूप से संपत्ति संयुक्त हो तो)। मुस्लिम कानून में केवल Succession द्वारा संपत्ति का हस्तांतरण होता है।
  10. कानूनी लचीलापन:
    हिन्दू उत्तराधिकार कानून एक विधिक अधिनियम द्वारा शासित होता है जो समय-समय पर संशोधित होता है। मुस्लिम कानून धार्मिक ग्रंथों पर आधारित है और उसमें कानूनी सुधार अपेक्षाकृत कम देखे गए हैं।

यह तुलना दर्शाती है कि दोनों उत्तराधिकार कानून अलग-अलग धार्मिक, सामाजिक और कानूनी दृष्टिकोणों से संचालित होते हैं। हिन्दू उत्तराधिकार कानून में जहाँ आधुनिक विधायी सुधार हुए हैं, वहीं मुस्लिम कानून धार्मिक परंपराओं पर आधारित है और अधिक गणनात्मक रूप से संपत्ति का विभाजन करता है।


IV. निष्कर्ष (Conclusion):

भारतीय उत्तराधिकार कानून बहुलतावादी (pluralistic) स्वरूप में विकसित हुआ है, जो धार्मिक विविधता को ध्यान में रखता है। हिन्दू और मुस्लिम उत्तराधिकार कानूनों में कई मूलभूत अंतर हैं, विशेषकर उत्तराधिकार की गणना, महिला अधिकार, गोद लिए गए बच्चों की स्थिति और वसीयत की सीमाओं के संदर्भ में।

हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 समय के अनुसार कई संशोधनों से गुज़रा है और आज लिंग समानता को बढ़ावा देता है, जबकि मुस्लिम उत्तराधिकार कानून अब भी धार्मिक ग्रंथों पर आधारित पारंपरिक प्रणाली है।

दोनों ही विधाओं का उद्देश्य पारिवारिक संपत्ति का न्यायसंगत वितरण करना है, किंतु उनकी प्रक्रिया और सिद्धांत भिन्न हैं। आधुनिक युग में उत्तराधिकार के विवादों की संख्या को देखते हुए यह आवश्यक है कि उत्तराधिकार कानूनों में अधिक पारदर्शिता, समानता और न्यायसंगत सुधार किए जाएँ।