शीर्षक: “बिना सहमति के विवाह: कानून की नजर में जबरन शादी शून्य (Null and Void) मानी जाएगी”
परिचय:
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में विवाह को एक पवित्र और कानूनी अनुबंध माना जाता है, जो दोनों पक्षों की स्वतंत्र इच्छा और सहमति पर आधारित होता है। लेकिन जब यह सहमति बलपूर्वक, धोखे या डर के कारण ली जाती है, तो ऐसी शादी को कानून मान्यता नहीं देता। विशेष रूप से, यदि किसी लड़की की जबरन शादी कर दी जाती है और उसमें उसकी स्वतंत्र मर्जी और स्वीकृति (Consent) शामिल नहीं है, तो वह विवाह कानूनन शून्य (Null and Void) घोषित किया जा सकता है।
कानूनी आधार:
- हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 और 11:
- धारा 5 कहती है कि विवाह तभी मान्य होगा जब दोनों पक्षों ने स्वतंत्र रूप से सहमति दी हो।
- धारा 11 के अनुसार, यदि विवाह की आवश्यक शर्तें पूरी नहीं होतीं (जैसे सहमति का अभाव), तो वह विवाह शून्य (null and void) माना जाएगा।
- धारा 12 – विवाह को शून्य घोषित करने के आधार:
यदि यह सिद्ध हो जाए कि विवाह धोखे, भय या बल प्रयोग के माध्यम से हुआ, तो पीड़िता अदालत में याचिका दायर कर विवाह को रद्द करवा सकती है। - भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 366:
- यदि किसी लड़की का अपहरण कर उसकी जबरन शादी करवाई जाती है या यौन शोषण हेतु विवश किया जाता है, तो यह एक गंभीर अपराध है और दोषी को 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है।
‘Consent’ की कानूनी परिभाषा:
भारतीय न्याय व्यवस्था में “सहमति” का अर्थ केवल ‘हां’ कहना नहीं होता, बल्कि वह हां पूर्ण स्वतंत्रता, बिना दबाव, डर या धोखे के होनी चाहिए। यदि लड़की पर सामाजिक, पारिवारिक या शारीरिक दबाव डालकर सहमति ली गई हो, तो वह कानूनी रूप से वैध सहमति नहीं मानी जाती।
महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय:
- Shiv Kumar Gupta v. Poonam Gupta (2014):
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि लड़की की सहमति यदि बल या डर के कारण ली गई है, तो वह विवाह नियमों के विरुद्ध और शून्य माना जाएगा। - Annulling Child Marriage Case (Independent Thought v. Union of India, 2017):
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बालिकाओं की सहमति अवैध होती है और जबरन विवाह या सहवास यौन अपराध के अंतर्गत आता है।
प्रभाव और संरक्षण:
- पीड़िता ऐसी शादी को शून्य घोषित करवाने के लिए परिवार न्यायालय में याचिका दायर कर सकती है।
- यदि मामला गंभीर हो (जैसे अपहरण, बलात्कार), तो एफआईआर दर्ज कराकर आरोपी को सजा दिलवाना भी संभव है।
- महिला हेल्पलाइन, लीगल ऐड सर्विसेज, और NGOs ऐसे मामलों में मदद प्रदान करते हैं।
निष्कर्ष:
भारत का कानून हर नागरिक को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा का अधिकार देता है। जबरन शादी न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन है, बल्कि यह एक गंभीर कानूनी अपराध भी है। इसलिए यदि किसी लड़की की जबरन शादी की गई है, तो वह पूरी तरह से वैधानिक अधिकारों के तहत विवाह को शून्य घोषित करवा सकती है और अपने जीवन की स्वतंत्रता पुनः प्राप्त कर सकती है।