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“बिना अनुमति फोटो एडिट कर बदनाम करना: एक गंभीर साइबर अपराध — कानून, सजा और पीड़ित के अधिकार”

“बिना अनुमति फोटो एडिट कर बदनाम करना: एक गंभीर साइबर अपराध — कानून, सजा और पीड़ित के अधिकार”


भूमिका:
डिजिटल युग में सोशल मीडिया, मोबाइल ऐप्स और इंटरनेट ने संचार को बेहद आसान बना दिया है, लेकिन इसी तकनीकी प्रगति के साथ साइबर अपराधों में भी तीव्र वृद्धि हुई है। खासकर किसी की फोटो को बिना अनुमति एडिट करना, मॉर्फ करना या सोशल मीडिया पर अपमानजनक तरीके से साझा करना आज एक सामान्य लेकिन अत्यंत गंभीर अपराध बन चुका है। ऐसा कार्य न केवल व्यक्ति की निजता (Privacy) का हनन है, बल्कि उसकी प्रतिष्ठा, आत्म-सम्मान और मानसिक शांति पर गहरा आघात करता है। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) और भारतीय दंड संहिता (IPC) दोनों में ऐसे कृत्यों के लिए कठोर दंड का प्रावधान है।


1. बिना अनुमति फोटो एडिट या मॉर्फ करना क्या है?

“फोटो मॉर्फिंग” (Photo Morphing) का अर्थ है किसी व्यक्ति की असली तस्वीर में बदलाव करके उसे किसी अन्य तस्वीर या पृष्ठभूमि से जोड़ देना, ताकि वह तस्वीर कुछ और प्रदर्शित करे। यह बदलाव एडिटिंग टूल्स, ऐप्स या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सॉफ्टवेयर से किया जाता है। उदाहरण के लिए—

  • किसी महिला की तस्वीर को अश्लील रूप में एडिट कर सोशल मीडिया पर डाल देना।
  • किसी व्यक्ति की फोटो को गलत संदर्भ में उपयोग करना।
  • किसी राजनीतिक या व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्वी की छवि खराब करने के लिए झूठे मीम बनाना।

इन सभी कार्यों में किसी की अनुमति के बिना उसकी फोटो का इस्तेमाल किया जाता है, जो सीधे तौर पर गोपनीयता और मानहानि का उल्लंघन है।


2. संबंधित कानून: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66D और 67A

(क) धारा 66D – धोखाधड़ी से प्रतिरूपण (Cheating by Personation using Computer Resources)

यह धारा उस व्यक्ति को दंडित करती है जो किसी कंप्यूटर या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से धोखाधड़ी या प्रतिरूपण करता है।
यदि कोई व्यक्ति किसी और की तस्वीर का प्रयोग कर उसका झूठा प्रतिरूप (Fake Identity) बनाता है या किसी को भ्रमित करने हेतु एडिटेड फोटो साझा करता है, तो यह धारा लागू होती है।
दंड:

  • अधिकतम 3 वर्ष का कारावास और ₹1 लाख तक का जुर्माना।

(ख) धारा 67A – अश्लील सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण (Publishing or Transmitting Sexually Explicit Material)

यदि किसी व्यक्ति की तस्वीर को अश्लील रूप में मॉर्फ कर सोशल मीडिया, वेबसाइट या चैट ग्रुप पर डाला जाता है, तो यह कार्य धारा 67A के अंतर्गत आता है।
दंड:

  • पहली बार अपराध पर 5 वर्ष तक का कारावास और ₹10 लाख तक का जुर्माना।
  • पुनः अपराध पर 7 वर्ष तक की सजा और ₹10 लाख तक का जुर्माना।

3. भारतीय दंड संहिता (IPC) के अंतर्गत भी अपराध

साइबर अपराधों के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता की निम्नलिखित धाराएं भी लागू होती हैं:

  • धारा 500 (मानहानि): किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से झूठी या अपमानजनक सामग्री प्रकाशित करना।
  • धारा 354D (स्टॉकिंग): किसी महिला की फोटो का गलत प्रयोग कर उसे परेशान या अपमानित करना।
  • धारा 509: किसी महिला की मर्यादा का अपमान करना।

इन धाराओं के तहत अभियुक्त को जेल और जुर्माने दोनों से दंडित किया जा सकता है।


4. सोशल मीडिया पर ऐसे अपराधों का बढ़ता प्रभाव

आज Instagram, Facebook, X (Twitter), Snapchat और WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म पर मॉर्फ की गई तस्वीरें बहुत तेजी से वायरल होती हैं। एक बार फोटो वायरल होने के बाद उसे इंटरनेट से हटाना लगभग असंभव हो जाता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को न केवल मानसिक तनाव, सामाजिक अपमान और आत्मविश्वास में कमी होती है, बल्कि कई बार वह आत्महत्या जैसे कदम तक उठा लेता है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साइबर अपराधों में महिलाओं से संबंधित मामलों का अनुपात हर वर्ष बढ़ रहा है, जिसमें फोटो मॉर्फिंग और बदनाम करने वाले मामलों की संख्या उल्लेखनीय है।


5. पीड़ित व्यक्ति क्या करे — शिकायत की प्रक्रिया

यदि किसी व्यक्ति की तस्वीर को बिना अनुमति एडिट कर सोशल मीडिया या इंटरनेट पर साझा किया गया है, तो वह निम्नलिखित कदम उठा सकता है:

  1. साक्ष्य सुरक्षित करें:
    फोटो, स्क्रीनशॉट, लिंक, संदेश या पोस्ट का प्रमाण सुरक्षित करें।
  2. ऑनलाइन शिकायत करें:
    सरकार की आधिकारिक वेबसाइट https://cybercrime.gov.in पर जाकर “Report Women/Child Related Crime” या “Report Other Cybercrime” के विकल्प से शिकायत दर्ज करें।
  3. साइबर सेल में शिकायत:
    निकटतम साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दें। इसके साथ प्रमाण और पहचान पत्र (ID Proof) संलग्न करें।
  4. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट करें:
    Facebook, Instagram, X आदि पर ‘Report’ या ‘Block’ विकल्प से भी आपत्तिजनक सामग्री को हटाने का अनुरोध किया जा सकता है।
  5. कानूनी सलाह लें:
    वकील या साइबर कानून विशेषज्ञ से सलाह लेकर IT Act एवं IPC की संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई कराई जा सकती है।

6. न्यायालयों के प्रमुख निर्णय (Judicial Precedents)

भारतीय न्यायालयों ने ऐसे मामलों में कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं—

  • State of Tamil Nadu v. Suhas Katti (2004):
    यह भारत का पहला साइबर पोर्नोग्राफी मामला था, जिसमें आरोपी को महिला की मॉर्फ की गई तस्वीरें पोस्ट करने के अपराध में दोषी ठहराया गया।
  • Kalandi Charan Lenka v. State of Odisha (2017):
    इस मामले में आरोपी ने महिला की फोटो मॉर्फ कर सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी। न्यायालय ने कहा कि यह कार्य निजता और सम्मान दोनों का उल्लंघन है, जो IT Act की धारा 67 और IPC की धारा 509 के अंतर्गत अपराध है।

7. साइबर अपराध के सामाजिक और नैतिक प्रभाव

बिना अनुमति फोटो मॉर्फिंग न केवल कानूनी अपराध है, बल्कि यह समाज की नैतिकता के लिए भी एक चुनौती है। इससे समाज में भय, अविश्वास और असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है, विशेषकर महिलाओं और युवाओं में। ऐसे अपराध सोशल मीडिया के दुरुपयोग का उदाहरण हैं, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाओं को भी परिभाषित करते हैं।

यह समझना जरूरी है कि डिजिटल स्वतंत्रता का अर्थ किसी की निजता का उल्लंघन नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत “जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार” व्यक्ति को उसकी गरिमा और गोपनीयता की रक्षा का आश्वासन देता है।


8. निष्कर्ष और सुझाव

आज के डिजिटल युग में “Consent” (अनुमति) सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत है। किसी की फोटो, वीडियो या निजी जानकारी का प्रयोग बिना अनुमति करना न केवल अनैतिक है बल्कि कानूनन अपराध भी है।

सुझाव:

  • सोशल मीडिया पर निजी तस्वीरें साझा करते समय सावधानी रखें।
  • प्राइवेसी सेटिंग्स को मजबूत करें।
  • अज्ञात लिंक्स या ऐप्स पर क्लिक न करें।
  • मॉर्फिंग या फेक एडिटिंग के शिकार व्यक्ति को शर्म या डर से नहीं, बल्कि कानूनी तरीके से न्याय की मांग करनी चाहिए।

सरकार और न्यायपालिका लगातार साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए कानूनों को सख्त बना रही हैं। यदि नागरिक सतर्क रहें और कानून का सही उपयोग करें, तो “डिजिटल इंडिया” सच में सुरक्षित भारत बन सकता है।


निष्कर्षतः,
“बिना अनुमति किसी की फोटो एडिट कर बदनाम करना न केवल एक गंभीर साइबर अपराध है बल्कि यह व्यक्ति की गरिमा और संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।”
ऐसे अपराधियों को सख्त सजा देना और लोगों में जागरूकता फैलाना ही डिजिटल समाज को स्वच्छ और सुरक्षित बनाए रखने का सर्वोत्तम उपाय है।