बिक्री अनुबंध के विशेष निष्पादन (Specific Performance) का डिक्री बिना पंजीकरण वैध रूप से हस्तांतरित हो सकता है: सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
Rajeswari & Ors. v. Shanmugam & Anr — Supreme Court of India
भूमिका
भूमि और संपत्ति से जुड़े विवादों में “विशिष्ट निष्पादन (Specific Performance)” से संबंधित मुकदमे अक्सर जटिल और दीर्घकालिक हो जाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि कोर्ट किसी व्यक्ति के पक्ष में विशेष निष्पादन का डिक्री (Decree for Specific Performance) जारी कर देती है, जिसके बाद वह व्यक्ति अपने अधिकार किसी और को सौंपना चाहता है।
ऐसे में सबसे बड़ा प्रश्न उठता है:
क्या Specific Performance का डिक्री किसी और को सौंपने (Assignment/Transfer) के लिए पंजीकरण (Registration) आवश्यक है?
सुप्रीम कोर्ट ने Rajeswari & Ors vs. Shanmugam & Anr के महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट कर दिया कि:
Specific Performance का डिक्री स्वयं में कोई संपत्ति अधिकार (Proprietary Interest) उत्पन्न नहीं करता, इसलिए इसका हस्तांतरण बिना पंजीकरण के भी वैध है।
यह निर्णय संपत्ति कानून और सिविल प्रक्रिया कानून के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मामले की पृष्ठभूमि
- एक भूमि बिक्री अनुबंध पर विवाद के चलते पक्षकारों के बीच मुकदमा हुआ।
- निचली अदालत ने एक पक्ष (डिक्री-होल्डर) के पक्ष में Specific Performance का डिक्री पारित किया।
- डिक्री पारित होने के बाद डिक्री-होल्डर ने अपने अधिकार किसी अन्य व्यक्ति को असाइन कर दिया।
- विवाद यह उठा कि—
क्या यह असाइनमेंट वैध है, जबकि डिक्री का पंजीकरण नहीं हुआ?
प्रतिवादी पक्ष ने तर्क दिया कि:
- Specific Performance का डिक्री “अचल संपत्ति” से संबंधित है।
- इसलिए इसका Assignment तभी वैध होगा जब इसे पंजीकृत (registered) किया जाए।
- बिना पंजीकरण, Transfer of Property Act और Registration Act का उल्लंघन होगा।
हाई कोर्ट और निचली अदालतों के निष्कर्ष
कुछ निचली अदालतों ने यह माना कि:
- Specific Performance का डिक्री वास्तव में “संपत्ति के हित” का हस्तांतरण करता है।
- इसलिए पंजीकरण अनिवार्य है।
- बिना पंजीकरण के Assignment अवैध माना जाएगा।
इसी विवाद को चुनौती देते हुए मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मुख्य कानूनी प्रश्न
क्या Specific Performance का डिक्री किसी ऐसे अधिकार को जन्म देता है जो “संपत्ति में हित” (proprietary interest) के रूप में माना जाए?
और,
यदि डिक्री संपत्ति में किसी हित का निर्माण नहीं करती, तो क्या उसका असाइनमेंट पंजीकरण के बिना वैध माना जाएगा?
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण विश्लेषण
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का गहन विश्लेषण करते हुए निम्न मुख्य बिंदु स्पष्ट किए—
1. Specific Performance का डिक्री “प्रोप्राइटरी इंटरेस्ट” नहीं उत्पन्न करता
अदालत ने कहा:
Specific Performance डिक्री केवल पार्टी को यह अधिकार देती है कि वह भविष्य में Sale Deed निष्पादित करा सके।
यह स्वयं संपत्ति में कोई तात्कालिक अधिकार या स्वामित्व (Ownership/Title) नहीं बनाती।
इसलिए—
- डिक्री “Transfer of Property” नहीं करती,
- न ही यह “संपत्ति में अधिकार” उत्पन्न करती है।
2. Registration Act तभी लागू होता है जब कोई दस्तावेज “Interest in Immovable Property” बनाता हो
Section 17 of the Registration Act उन दस्तावेजों को रजिस्ट्रेशन के लिए अनिवार्य बनाता है जो:
- स्वामित्व
- अधिकार
- या अचल संपत्ति में हित
उत्पन्न करते हैं।
चूंकि Specific Performance का डिक्री इनमें से कोई भी उत्पन्न नहीं करता, इसलिए—
डिक्री का असाइनमेंट Section 17 के तहत compulsory registration के दायरे में नहीं आता।
3. Assignment केवल “Personal Rights” का हस्तांतरण है
Decree-holder को मिलने वाला अधिकार—
- “व्यक्तिगत अधिकार” (personal enforceable right) है
- न कि “संपत्ति का अधिकार” (property right)
इसलिए यह अधिकार बिना पंजीकरण किसी अन्य को हस्तांतरित (assign) किया जा सकता है।
4. Specific Relief Act Assignment की अनुमति देता है
Specific Relief Act, 1963 में कई प्रावधान हैं जहां contractual rights के assignment को स्वीकार किया गया है।
अदालत ने कहा:
जब कानूनी रूप से contractual rights assignable हैं, तो Specific Performance के डिक्री का assignment भी वैध है।
5. मुख्य अंतर—Execution से पहले कोई अधिकार नहीं बनता
अंतिम Sale Deed निष्पादित होने के बाद ही—
- खरीदार के नाम title बदलता है
- proprietary interest बनता है
- रजिस्ट्री अनिवार्य होती है
डिक्री मात्र इस प्रक्रिया का “पहला कदम” है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सर्वोच्च न्यायालय ने यह घोषित किया:
“Specific Performance का डिक्री बिना पंजीकरण के भी वैध रूप से असाइन किया जा सकता है, क्योंकि यह स्वयं में अचल संपत्ति में कोई proprietary interest उत्पन्न नहीं करता।”
अदालत ने निचली अदालतों की उस व्याख्या को गलत बताया जिसमें पंजीकरण को अनिवार्य माना गया था।
इस निर्णय का कानूनी महत्व
यह फैसला निम्न कारणों से अत्यंत महत्वपूर्ण है:
1. संपत्ति विवादों में भ्रम दूर किया
कई अदालतें अब तक Specific Performance के डिक्री को “property transfer” के समान मानती थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह गलतफहमी स्पष्ट कर दी।
2. Decree-holders के लिए बड़ी राहत
अब डिक्री-होल्डर—
- आसानी से अपने अधिकार किसी अन्य को सौंप सकता है
- Execution Petition भी असाइनी दायर कर सकता है
- रजिस्ट्री की बाध्यता नहीं रहेगी
3. अचल संपत्ति के मामलों में न्यायिक प्रक्रिया सरल
कई वर्षों तक चलने वाले मुकदमों में parties बदल जाती हैं।
अब अदालतें assignment को आसानी से स्वीकार कर सकेंगी।
4. पंजीकरण विभाग पर अनावश्यक बोझ कम
यदि हर डिक्री को पंजीकृत करना पड़े तो हजारों डिक्रीज़ रजिस्ट्री कार्यालयों पर बोझ बढ़ातीं।
यह फैसला उसको भी रोकता है।
5. Contract law और Property law के बीच संतुलन
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया:
- डिक्री contractual right है
- Sale Deed proprietary right देती है
दोनों को मिलाकर नहीं देखा जा सकता।
व्यावहारिक प्रभाव (Practical Implications)
(1) डिक्री खरीदने या बेचने में आसानी
बाजार में अक्सर लोग litigation rights खरीदते-बेचते हैं।
इस निर्णय ने इसे वैधता और स्पष्टता प्रदान की है।
(2) Execution proceedings में सुविधा
अब assignee सीधे decree execute कर सकता है, क्योंकि वह “representative in interest” माना जाएगा।
(3) गैर-पंजीकृत Assignment को Challenge करना कठिन
भविष्य में कोई भी पक्ष यह तर्क नहीं दे सकेगा कि—
“Assignment valid नहीं है क्योंकि वह registered नहीं है।”
(4) Sale Deed के समय ही पंजीकरण आवश्यक
जब actual transfer होगा—
यानी Sale Deed execute होगी—
तभी Registration Act लागू होगा।
कानूनी सिद्धांतों की पुष्टि
यह निर्णय दो मुख्य सिद्धांतों की पुष्टि करता है:
1. “First Principle of Property Transfer”:
संपत्ति का अधिकार तभी बनता है जब कानून के अनुसार Sale Deed पंजीकृत हो।
डिक्री केवल निर्देश देती है—
अधिकार उत्पन्न नहीं करती।
2. “Doctrine of Assignability of Decree”:
Civil Procedure Code (Order 21 Rule 16) भी Decree के assignment को मान्यता देता है।
निष्कर्ष
Rajeswari & Ors. v. Shanmugam & Anr. निर्णय ने स्पष्ट कर दिया है कि—
Specific Performance का डिक्री बिना पंजीकरण के मान्य रूप से असाइन किया जा सकता है।
यह डिक्री संपत्ति में कोई proprietary right नहीं बनाती, इसलिए Registration Act की अनिवार्यता लागू नहीं होती।
यह फैसला उन व्यक्तियों और वकीलों के लिए महत्वपूर्ण है जो संपत्ति विवाद, विशिष्ट निष्पादन, और सिविल मुकदमों से जुड़े होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने एक लंबे समय से चली आ रही कानूनी उलझन को दूर कर दिया है और स्पष्ट सिद्धांत स्थापित किया है कि—
“डिक्री contractual right है, proprietary right नहीं।”