बाजार की विभिन्न संरचनाओं की तुलना – पूर्ण प्रतियोगिता, एकाधिकार, एकाधिकार प्रतियोगिता एवं अल्पाधिकार एवं उनके कानूनी पहलुओं की व्याख्या (BA LLB अर्थशास्त्र )

बाजार की विभिन्न संरचनाओं की तुलना – पूर्ण प्रतियोगिता, एकाधिकार, एकाधिकार प्रतियोगिता एवं अल्पाधिकार एवं उनके कानूनी पहलुओं की व्याख्या (BA LLB अर्थशास्त्र )


🔷 प्रस्तावना:

अर्थशास्त्र में “बाजार संरचना” (Market Structure) का आशय उस ढांचे से है जिसके अंतर्गत किसी वस्तु या सेवा का उत्पादन, मूल्य निर्धारण, वितरण तथा उपभोक्ताओं के साथ व्यवहार होता है। यह संरचना इस बात पर निर्भर करती है कि बाजार में विक्रेताओं की संख्या कितनी है, वस्तु कैसी है (समान या भिन्न), प्रवेश की स्वतंत्रता है या नहीं, और मूल्य निर्धारण की शक्ति किसके पास है।

विधिक दृष्टिकोण से, बाजार की संरचना पर प्रतिस्पर्धा कानून, उपभोक्ता संरक्षण कानून, लाइसेंस नीति आदि का प्रभाव पड़ता है। अतः BA LLB छात्रों के लिए बाजार संरचना की गहराई से समझ आवश्यक है।


🔷 1. पूर्ण प्रतियोगिता (Perfect Competition):

❖ अर्थ:

यह एक आदर्श बाजार संरचना है जहाँ बहुत बड़ी संख्या में खरीदार और विक्रेता होते हैं, और सभी विक्रेता एक जैसी (Homogeneous) वस्तुएँ बेचते हैं।

❖ प्रमुख विशेषताएँ:

  • बड़ी संख्या में खरीदार और विक्रेता
  • समान (Identical) उत्पाद
  • मूल्य निर्धारण पर किसी एक विक्रेता का नियंत्रण नहीं
  • बाजार में स्वतंत्र प्रवेश और निकास
  • पूर्ण जानकारी (Perfect Knowledge)

❖ कानूनी पहलू:

  • पूर्ण प्रतियोगिता एक आदर्श स्थिति है, व्यवहारिक रूप से दुर्लभ।
  • प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 ऐसी स्थिति के आदर्श को बढ़ावा देता है ताकि उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प और उचित मूल्य मिल सके।
  • सरकार व्यापार में स्वतंत्रता और प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने के लिए अवरोधक नीतियों को नियंत्रित करती है।

🔷 2. एकाधिकार (Monopoly):

❖ अर्थ:

जब किसी वस्तु का केवल एक विक्रेता होता है, और उसके पास पूर्ण नियंत्रण होता है कि वह कीमत और आपूर्ति को नियंत्रित करे — तो ऐसी स्थिति को एकाधिकार कहा जाता है।

❖ प्रमुख विशेषताएँ:

  • एक ही विक्रेता
  • प्रतिस्पर्धा का अभाव
  • मूल्य निर्धारण पर पूर्ण नियंत्रण
  • प्रवेश पर कानूनी/तकनीकी अवरोध
  • उपभोक्ताओं के पास विकल्प नहीं

❖ कानूनी पहलू:

  • भारत में Monopolies and Restrictive Trade Practices Act, 1969 (MRTP Act) लागू किया गया था, जिसे बाद में Competition Act, 2002 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया।
  • यह कानून एकाधिकार शक्ति का दुरुपयोग, अनुचित व्यापार व्यवहार, और प्राकृतिक एकाधिकारों को नियंत्रित करता है।
  • उदाहरण: बिजली या जल आपूर्ति के क्षेत्र में सरकारी एकाधिकार को Public Utility Law के अंतर्गत विनियमित किया जाता है।

🔷 3. एकाधिकार प्रतियोगिता (Monopolistic Competition):

❖ अर्थ:

यह ऐसी बाजार संरचना है जिसमें कई विक्रेता होते हैं, लेकिन वे भिन्न प्रकार के (Differentiated) उत्पाद बेचते हैं जो एक-दूसरे के विकल्प (Substitutes) होते हैं।

❖ प्रमुख विशेषताएँ:

  • अनेक विक्रेता
  • उत्पादों में भिन्नता (जैसे – स्वाद, पैकेजिंग, ब्रांड)
  • कुछ सीमा तक मूल्य नियंत्रण
  • विज्ञापन का प्रभाव
  • स्वतंत्र प्रवेश और निकास

❖ कानूनी पहलू:

  • उत्पाद भिन्नता और विज्ञापन के कारण उपभोक्ताओं को भ्रमित करने वाली गतिविधियाँ जैसे भ्रामक विज्ञापन, मूल्य में हेराफेरी, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अंतर्गत नियंत्रित की जाती हैं।
  • ब्रांड नामों के ज़रिए भ्रम पैदा कर ग्राहक को प्रभावित करना ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 के तहत अवैध हो सकता है।
  • प्रतिस्पर्धा आयोग इस बात की निगरानी करता है कि कंपनियाँ मिलकर कीमत तय न करें।

🔷 4. अल्पाधिकार (Oligopoly):

❖ अर्थ:

जब बाजार में बहुत कम विक्रेता होते हैं और प्रत्येक की बाजार पर विशेष पकड़ होती है, तो वह स्थिति अल्पाधिकार कहलाती है।

❖ प्रमुख विशेषताएँ:

  • सीमित संख्या में विक्रेता
  • आपसी निर्भरता (Interdependence)
  • मूल्य निर्धारण में सामूहिकता (Collusion)
  • प्रवेश में बाधाएं
  • विज्ञापन और ब्रांड की भूमिका प्रमुख

❖ कानूनी पहलू:

  • Collusive Pricing, यानी कंपनियों के बीच मिलीभगत कर मूल्य तय करना, प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत अवैध है।
  • सरकार Cartels और Price Fixing को रोकने के लिए Competition Commission of India (CCI) के माध्यम से कार्यवाही करती है।
  • जैसे – टायर कंपनियाँ, सीमेंट उद्योग आदि में CCI ने कई बार भारी जुर्माने लगाए हैं।

🔷 तुलनात्मक तालिका (Comparison Table):

बिंदु / संरचना पूर्ण प्रतियोगिता एकाधिकार एकाधिकार प्रतियोगिता अल्पाधिकार
विक्रेताओं की संख्या बहुत अधिक केवल एक अनेक कुछ सीमित
उत्पाद की प्रकृति एक समान अनूठा भिन्नीकृत (Differentiated) समान या भिन्नीकृत
मूल्य नियंत्रण नहीं पूर्ण आंशिक सामूहिक या सीमित
प्रवेश पर नियंत्रण नहीं बाधित नहीं बाधित
उपभोक्ता विकल्प अधिक नगण्य कुछ सीमा तक सीमित
कानूनी ध्यान प्रतिस्पर्धा की रक्षा दुरुपयोग पर नियंत्रण भ्रामक विज्ञापन और ट्रेडमार्क कार्टेल और मूल्य निर्धारण पर नियंत्रण

🔷 न्यायिक दृष्टिकोण:

  • Excel Crop Care Ltd. v. Competition Commission of India (2017): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाजार की निष्पक्षता और स्वतंत्र प्रतिस्पर्धा संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत व्यापार की स्वतंत्रता से जुड़ी हुई है।
  • Reliance Jio Case (2020): टेलीकॉम सेक्टर में प्रतिस्पर्धा को लेकर TRAI एवं CCI दोनों की भूमिका को स्पष्ट किया गया।

🔷 निष्कर्ष:

बाजार संरचना केवल आर्थिक अध्ययन का विषय नहीं, बल्कि कानून की दृष्टि से सामाजिक-आर्थिक न्याय की कुंजी है। एक स्वस्थ बाजार वही होता है जिसमें उपभोक्ता का हित, प्रतिस्पर्धा की स्वतंत्रता और उत्पादक की नवाचार क्षमता सुरक्षित हो। इस दिशा में भारतीय संविधान का अनुच्छेद 39(b) और (c), जो संसाधनों का समान वितरण और एकाधिकार की रोकथाम का निर्देश देता है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

BA LLB के छात्रों को इन संरचनाओं की न केवल आर्थिक दृष्टि से, बल्कि विधिक और सामाजिक प्रभावों की दृष्टि से भी समझ विकसित करनी चाहिए।