“प्लीडिंग्स में किए गए एडमिशन को संशोधित करने की अनुमति: सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश की पुष्टि”

“प्लीडिंग्स में किए गए एडमिशन को संशोधित करने की अनुमति: सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश की पुष्टि”

मामला:
M/S BDR Developers Pvt. Ltd. बनाम Narsingh Shah
न्यायालय: सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया

विवरण:
सुप्रीम कोर्ट में M/S BDR Developers Pvt. Ltd. बनाम Narsingh Shah मामले में एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्न पर विचार किया गया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि क्या अदालत Order XII Rule 6 CPC के अंतर्गत दायर आवेदन के आधार पर निर्णय सुरक्षित कर लेने के बाद भी प्लीडिंग्स में किए गए एडमिशन (स्वीकृति) को संशोधित करने हेतु याचिका पर विचार कर सकती है।

इस संदर्भ में दिल्ली उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि “एक अदालत को अधिकार है कि वह Order XII Rule 6 के तहत निर्णय सुरक्षित करने के बाद भी, यदि उपयुक्त कारण हो, तो प्लीडिंग्स में किए गए एडमिशन को संशोधित करने की अनुमति दे सकती है।”

यह अवलोकन न्यायालय द्वारा इस आधार पर किया गया कि न्यायिक प्रक्रिया का मूल उद्देश्य न्याय प्रदान करना है न कि केवल तकनीकीताओं में उलझकर न्याय को बाधित करना। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि Order XII Rule 6 CPC केवल त्वरित न्याय सुनिश्चित करने का साधन है, परंतु यदि किसी पक्ष की ओर से एडमिशन में त्रुटि या गलत व्याख्या सामने आती है, तो उसे सुधारा जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णय:
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय के इस निर्णय को सही ठहराया और यह दोहराया कि अदालतें तकनीकी आधार पर न्याय से इनकार नहीं कर सकतीं। यदि कोई पक्ष यह साबित कर देता है कि एडमिशन में संशोधन आवश्यक है और यह न्यायहित में है, तो अदालतें उसके अनुरूप आदेश पारित कर सकती हैं।

महत्व:
यह निर्णय भारतीय दीवानी प्रक्रिया संहिता (CPC) की व्याख्या में एक मार्गदर्शक के रूप में देखा जा रहा है, जो यह स्पष्ट करता है कि न्यायालयों को प्रक्रिया की कठोरता के बजाय न्याय के सिद्धांतों को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह उन मामलों में विशेष रूप से सहायक होगा जहां पक्षकारों को एडमिशन के कारण अनुचित हानि का सामना करना पड़ता है।