प्रश्न 4: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की प्रमुख धाराओं की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
परिचय:
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 भारत का पहला कानून है जो कंप्यूटर और इंटरनेट से संबंधित अपराधों, डिजिटल हस्ताक्षरों और इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ों को वैधानिक मान्यता प्रदान करता है। इस अधिनियम की कई धाराएँ (Sections) महत्वपूर्ण हैं, जो इसके उद्देश्यों को पूरा करती हैं। यहाँ अधिनियम की कुछ प्रमुख धाराओं का वर्णन किया गया है:
प्रमुख धाराएँ और उनका विवरण:
1. धारा 2 (Definitions)
इस धारा में अधिनियम से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दों जैसे “इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड,” “डिजिटल हस्ताक्षर,” “सर्टिफाइंग अथॉरिटी,” आदि की परिभाषा दी गई है। यह अधिनियम की बुनियाद समझने के लिए आवश्यक है।
2. धारा 4 (Legal Recognition of Electronic Records)
इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को कानूनी मान्यता प्रदान करती है। इसका अर्थ है कि इलेक्ट्रॉनिक रूप में भेजा गया डेटा कानूनी दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
3. धारा 5 (Legal Recognition of Digital Signatures)
डिजिटल हस्ताक्षर को कानूनी मान्यता देती है, जो इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों की प्रमाणीकरण की प्रक्रिया को वैध बनाती है।
4. धारा 43 (Penalty for Damage to Computer, Computer System, etc.)
किसी कंप्यूटर, नेटवर्क या डेटा को नुकसान पहुँचाने, बदलने या नष्ट करने पर दंड का प्रावधान करती है।
5. धारा 66 (Computer-related Offences)
हैकिंग, डेटा चोरी, कंप्यूटर वायरस फैलाना आदि साइबर अपराधों के लिए दंड का प्रावधान करती है।
6. धारा 66A (Sending Offensive Messages through Communication Service)
अप्रिय या अपमानजनक संदेश भेजने पर दंड का प्रावधान था, लेकिन बाद में इसे सुप्रीम कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन के कारण रद्द कर दिया है।
7. धारा 66B (Punishment for Receiving Stolen Computer Resource or Communication Device)
चोरी किए गए कंप्यूटर या संचार उपकरण को प्राप्त करने पर दंड का प्रावधान।
8. धारा 66C (Identity Theft)
किसी की पहचान चोरी करने या उसका दुरुपयोग करने पर दंड।
9. धारा 66D (Cheating by Personation using Computer Resource)
कंप्यूटर संसाधन का उपयोग कर धोखाधड़ी या व्यक्ति की नकल करने पर दंड।
10. धारा 67 (Publishing Obscene Material in Electronic Form)
इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अश्लील सामग्री प्रकाशित करने या वितरित करने पर दंड।
11. धारा 69 (Powers to Issue Directions for Interception or Monitoring)
सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा या अपराध नियंत्रण के लिए किसी भी कंप्यूटर सिस्टम की निगरानी या डेटा को अवरोधित करने का अधिकार।
12. धारा 72 (Breach of Confidentiality and Privacy)
किसी की गोपनीय जानकारी का अवैध खुलासा करने पर दंड।
13. धारा 77 (Cognizance of Offences)
इस धारा के तहत अपराधों के लिए कोई विशेष अनुमति या सरकारी निर्देश के बिना मामले दर्ज किए जा सकते हैं।
14. धारा 79 (Exemption from Liability of Intermediary)
इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISP) को कुछ परिस्थितियों में दायित्व से मुक्त करती है, बशर्ते वे अवैध सामग्री हटाने के लिए उचित कदम उठाएं।
निष्कर्ष:
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की ये प्रमुख धारणाएँ डिजिटल और साइबर अपराधों से निपटने के लिए एक ठोस कानूनी आधार प्रदान करती हैं। समय-समय पर इस अधिनियम में संशोधन कर इसके प्रावधानों को और अधिक प्रभावी बनाया गया है, ताकि यह तकनीकी विकास के साथ तालमेल बनाए रख सके।