प्रश्न 2: भारत में साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए बनाए गए कानूनी प्रावधानों का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
परिचय:
डिजिटल युग में जैसे-जैसे इंटरनेट का उपयोग बढ़ा है, वैसे-वैसे साइबर अपराधों में भी वृद्धि हुई है। इन अपराधों को रोकने और दोषियों को दंडित करने के लिए भारत सरकार ने कई कानूनी प्रावधान बनाए हैं।
भारत में प्रमुख साइबर कानून:
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000):
यह अधिनियम भारत में साइबर अपराधों से निपटने वाला मुख्य कानून है। इसका उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन को कानूनी मान्यता देना और साइबर अपराधों पर नियंत्रण करना है।प्रमुख धाराएं:
- धारा 43: बिना अनुमति के किसी कंप्यूटर या नेटवर्क में घुसपैठ करना
- धारा 66: कंप्यूटर प्रणाली के साथ धोखाधड़ी या क्षति पहुँचाना
- धारा 66C: पहचान की चोरी (Identity Theft)
- धारा 66D: धोखाधड़ी करके जानकारी प्राप्त करना
- धारा 67: अश्लील सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण
- धारा 69: सरकार द्वारा निगरानी और इंटरसेप्शन की अनुमति
- भारतीय दंड संहिता (IPC):
आईटी एक्ट के साथ-साथ कुछ साइबर अपराधों को IPC के तहत भी दंडनीय माना गया है।- धारा 419, 420: धोखाधड़ी और विश्वासघात
- धारा 468, 469, 471: जालसाजी और नकली दस्तावेजों का उपयोग
- धारा 500: मानहानि (डिफेमेशन), विशेषकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर
- अन्य प्रावधान:
- पॉक्सो अधिनियम (POCSO Act): बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री के विरुद्ध
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013: साइबर सुरक्षा के लिए एक नीति ढांचा
- साइबर क्राइम सेल: राज्य और केंद्र स्तर पर विशेष इकाइयाँ जो साइबर अपराधों की जांच करती हैं
रिपोर्टिंग की प्रक्रिया:
सरकार ने साइबर अपराधों की रिपोर्टिंग के लिए www.cybercrime.gov.in पोर्टल शुरू किया है, जहाँ पीड़ित अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
निष्कर्ष:
भारत सरकार साइबर अपराधों पर रोक लगाने हेतु निरंतर प्रयास कर रही है। लेकिन तकनीक के दुरुपयोग को रोकने के लिए कानून के साथ-साथ लोगों की साइबर साक्षरता और सतर्कता भी अत्यंत आवश्यक है।