प्रशासकीय विधि (Administrative Law) से संबंधित 100 प्रश्न और उत्तर 

प्रशासकीय विधि (Administrative Law) से संबंधित 100 प्रश्न और उत्तर

1. प्रशासकीय विधि क्या है?

उत्तर: प्रशासकीय विधि वह कानून है जो प्रशासनिक संस्थाओं और सरकारी अधिकारियों के कार्यों को नियंत्रित करता है, ताकि वे संविधान, कानून और नीति के अनुसार कार्य करें।

2. प्रशासकीय कानून का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: प्रशासकीय कानून का उद्देश्य प्रशासनिक कार्यों को वैध, पारदर्शी और न्यायपूर्ण बनाना है।

3. प्रशासकीय कार्यों की प्रकार क्या हैं?

उत्तर: प्रशासकीय कार्य मुख्य रूप से निर्णय, विनियमन, आदेश, अनुशासनात्मक कार्रवाई और कार्यान्वयन होते हैं।

4. प्रशासनिक न्यायालय कौन से होते हैं?

उत्तर: प्रशासनिक न्यायालय वे विशेष न्यायालय होते हैं जो प्रशासनिक मामलों की सुनवाई करते हैं, जैसे कि केंद्रीय प्रशासनिक न्यायालय (CAT) और राज्य प्रशासनिक न्यायालय।

5. संविधान में प्रशासकीय विधि की क्या स्थिति है?

उत्तर: संविधान में प्रशासकीय विधि की स्थिति इस प्रकार है कि यह विधायिका और न्यायपालिका के नियंत्रण में कार्य करता है, लेकिन प्रशासनिक कार्यों का निरीक्षण न्यायपालिका द्वारा किया जाता है।

6. कार्यपालिका और प्रशासनिक संस्थाओं के बीच क्या अंतर है?

उत्तर: कार्यपालिका वह संस्था है जो सरकार के कार्यों का निष्पादन करती है, जबकि प्रशासनिक संस्थाएं सरकार की नीतियों का क्रियान्वयन करती हैं और फैसले लेती हैं।

7. भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का क्या कार्य है?

उत्तर: भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का कार्य सरकारी नीति का निर्माण, प्रशासन का संचालन, और विभिन्न सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन करना है।

8. प्रशासनिक विधि का विकास कैसे हुआ?

उत्तर: प्रशासनिक विधि का विकास औद्योगिक क्रांति और आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के साथ हुआ, जब सरकारी हस्तक्षेप और नियंत्रण बढ़ा।

9. प्रशासनिक अधिकार क्या होते हैं?

उत्तर: प्रशासनिक अधिकार वे अधिकार होते हैं जिनका उपयोग सरकारी अधिकारी, विभाग या संस्था प्रशासनिक कार्यों के निष्पादन के लिए करती है।

10. उपयुक्त प्रशासनिक प्रक्रिया (Due Process) का क्या मतलब है?

उत्तर: उपयुक्त प्रशासनिक प्रक्रिया का मतलब है कि प्रशासनिक कार्यों में उचित कानूनी प्रक्रिया और अधिकारों का पालन किया जाना चाहिए।

11. ‘प्रशासनिक निर्णय’ से क्या तात्पर्य है?

उत्तर: प्रशासनिक निर्णय वह निर्णय होता है जो सरकारी अधिकारी या विभाग किसी विशेष मामले में लेते हैं और यह कानूनी प्रभाव डालता है।

12. ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ का क्या अर्थ है?

उत्तर: सार्वजनिक प्राधिकरण वह संस्था या व्यक्ति होता है जो सरकारी शक्तियों का उपयोग करता है और जनहित में निर्णय लेता है।

13. प्रशासनिक न्याय का सिद्धांत क्या है?

उत्तर: प्रशासनिक न्याय का सिद्धांत यह है कि प्रशासनिक संस्थाएं अपने निर्णय निष्पक्ष और पारदर्शी रूप से लें, ताकि नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन न हो।

14. सरकारी आदेशों और विनियमों में क्या अंतर है?

उत्तर: सरकारी आदेश विशिष्ट मामलों में प्रशासन द्वारा जारी किए जाते हैं, जबकि विनियम सामान्य नियम होते हैं जिन्हें लागू करने के लिए प्रशासनिक संस्थाएं बनाती हैं।

15. ‘लाइसेंसिंग’ का क्या मतलब है?

उत्तर: लाइसेंसिंग एक प्रशासनिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा सरकारी प्राधिकरण किसी व्यक्ति या संस्था को कुछ विशेष कार्य करने का अधिकार प्रदान करता है।

16. ‘न्यायिक समीक्षा’ क्या है?

उत्तर: न्यायिक समीक्षा एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा न्यायालय प्रशासनिक निर्णयों और कार्यों की वैधता की जांच करते हैं।

17. ‘प्रशासनिक अनुशासन’ क्या है?

उत्तर: प्रशासनिक अनुशासन सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के आचरण और कार्यों की निगरानी और नियंत्रण का एक तरीका है।

18. ‘न्यायिक स्वतंत्रता’ का क्या महत्व है?

उत्तर: न्यायिक स्वतंत्रता का महत्व यह है कि न्यायालय बिना किसी बाहरी दबाव के स्वतंत्र रूप से प्रशासनिक कार्यों और निर्णयों की समीक्षा कर सकते हैं।

19. ‘लोकपाल’ क्या है?

उत्तर: लोकपाल एक स्वतंत्र प्राधिकरण है जो सार्वजनिक अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करता है और उसे निपटाता है।

20. ‘अधिकारों की रक्षा’ में प्रशासनिक विधि की भूमिका क्या है?

उत्तर: प्रशासनिक विधि यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी अधिकारी और संस्थाएं नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन न करें और कानून के अनुसार कार्य करें।

यहां प्रशासकीय विधि से संबंधित 21 से 100 तक के प्रश्न और उत्तर दिए जा रहे हैं:

21. प्रशासनिक कार्यों में ‘न्यायिक नियंत्रण’ का क्या महत्व है?

उत्तर: न्यायिक नियंत्रण यह सुनिश्चित करता है कि प्रशासनिक निर्णय और कार्य संविधान और कानून के अनुरूप हों, और यदि कोई निर्णय गलत हो तो उसे न्यायालय के माध्यम से चुनौती दी जा सके।

22. ‘मूल्यांकन’ का क्या मतलब है?

उत्तर: मूल्यांकन एक प्रशासनिक प्रक्रिया है जिसमें किसी नीति या योजना के परिणामों का विश्लेषण किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह उद्देश्य के अनुसार कार्य कर रही है।

23. ‘विनियमन’ क्या है?

उत्तर: विनियमन एक प्रशासनिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा सरकारी एजेंसियां और अधिकारी समाज और उद्योगों को नियंत्रित करने के लिए नियम और दिशा-निर्देश बनाते हैं।

24. प्रशासनिक अनुशासन का मुख्य उद्देश्य क्या है?

उत्तर: प्रशासनिक अनुशासन का उद्देश्य सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को उनकी जिम्मेदारियों के प्रति जवाबदेह बनाना और उनके कार्यों में पारदर्शिता और नैतिकता सुनिश्चित करना है।

25. ‘विकेंद्रीकरण’ का प्रशासन में क्या महत्व है?

उत्तर: विकेंद्रीकरण प्रशासन में शक्ति और जिम्मेदारी को विभिन्न स्तरों पर वितरित करने की प्रक्रिया है, जिससे स्थानीय और क्षेत्रीय प्रशासन को अधिक प्रभावी तरीके से काम करने का अवसर मिलता है।

26. ‘अधिकारों का हनन’ और प्रशासकीय विधि में इसकी भूमिका क्या है?

उत्तर: प्रशासकीय विधि यह सुनिश्चित करती है कि किसी व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन न हो, और यदि ऐसा होता है तो उसे न्यायालय या संबंधित प्राधिकरण के माध्यम से न्याय मिलेगा।

27. ‘प्रशासनिक निर्णय’ का क्या अर्थ है?

उत्तर: प्रशासनिक निर्णय वह निर्णय होते हैं जो सरकारी अधिकारी या विभाग किसी विशेष मामले में करते हैं और जिनका नागरिकों पर प्रभाव पड़ता है।

28. ‘स्वतंत्रता’ का प्रशासनिक कार्यों में क्या महत्व है?

उत्तर: प्रशासनिक कार्यों में स्वतंत्रता का महत्व यह है कि सरकारी संस्थाएं बिना किसी बाहरी दबाव के अपने कार्यों को निष्पक्ष रूप से निष्पादित करती हैं।

29. ‘न्यायिक समीक्षा’ किस प्रकार के प्रशासनिक निर्णयों पर लागू होती है?

उत्तर: न्यायिक समीक्षा उन प्रशासनिक निर्णयों पर लागू होती है जो सार्वजनिक हित, नागरिकों के अधिकारों या संवैधानिक सिद्धांतों के उल्लंघन से संबंधित होते हैं।

30. ‘कानूनी दायित्व’ और प्रशासकीय कार्यों का संबंध क्या है?

उत्तर: प्रशासकीय कार्यों में कानूनी दायित्व यह सुनिश्चित करता है कि सभी प्रशासनिक निर्णय और कार्य कानून के अनुसार हों, ताकि नागरिकों के अधिकार सुरक्षित रहें।

31. ‘न्यायिक प्राधिकरण’ का क्या महत्व है?

उत्तर: न्यायिक प्राधिकरण प्रशासनिक कार्यों की वैधता की समीक्षा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय संविधान और कानून के अनुरूप हो।

32. ‘प्रशासनिक विधि’ का भारतीय संविधि से क्या संबंध है?

उत्तर: भारतीय संविधान प्रशासनिक कार्यों को नियंत्रित करता है और प्रशासनिक विधि के तहत राज्य और केंद्रीय सरकारों के कार्यों की वैधता, नियंत्रण और निरीक्षण के लिए प्रावधान करता है।

33. ‘सार्वजनिक कर्तव्य’ क्या है?

उत्तर: सार्वजनिक कर्तव्य वह जिम्मेदारी होती है जिसे सरकारी अधिकारी और संस्थाएं जनहित में निभाती हैं, जैसे कानून और व्यवस्था बनाए रखना, सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करना आदि।

34. ‘प्रशासनिक आदेश’ का क्या अर्थ है?

उत्तर: प्रशासनिक आदेश वह लिखित निर्देश होते हैं जो सरकारी अधिकारी या संस्था किसी विशेष स्थिति में जारी करती है और जिनका पालन करना अनिवार्य होता है।

35. प्रशासनिक अधिकारी और न्यायालय के बीच क्या अंतर है?

उत्तर: प्रशासनिक अधिकारी सरकारी कार्यों का निष्पादन करते हैं, जबकि न्यायालय कानूनी विवादों का समाधान करता है और प्रशासनिक कार्यों की वैधता की समीक्षा करता है।

36. ‘स्वतंत्र आयोग’ का क्या कार्य है?

उत्तर: स्वतंत्र आयोग सरकारी मामलों की निष्पक्ष जांच करता है, जैसे चुनाव आयोग, सिविल सेवा आयोग, और मानवाधिकार आयोग, जो सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं।

37. ‘प्रशासनिक नीति’ क्या है?

उत्तर: प्रशासनिक नीति वह दिशा-निर्देश होते हैं जो सरकारी विभागों और अधिकारियों द्वारा कार्यों को निष्पादित करने के लिए निर्धारित किए जाते हैं।

38. ‘प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र’ का क्या मतलब है?

उत्तर: प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र वह क्षेत्र होता है जिसमें किसी विशेष प्रशासनिक संस्था या अधिकारी को निर्णय लेने, आदेश जारी करने और कार्य करने का अधिकार होता है।

39. ‘कार्यपालिका’ और ‘विधायिका’ के बीच अंतर क्या है?

उत्तर: कार्यपालिका सरकारी नीतियों का कार्यान्वयन करती है, जबकि विधायिका नए कानून बनाती है और उनके कार्यों की निगरानी करती है।

40. ‘सार्वजनिक प्रशासन’ क्या है?

उत्तर: सार्वजनिक प्रशासन वह प्रक्रिया है जिसमें सरकार अपने नीतियों और योजनाओं का कार्यान्वयन करती है और नागरिकों को सेवाएं प्रदान करती है।

41. ‘लोक शिकायत निवारण’ प्रणाली क्या है?

उत्तर: लोक शिकायत निवारण प्रणाली वह तंत्र है जिसके द्वारा नागरिक सरकार के खिलाफ अपनी शिकायतों को दर्ज करते हैं और उनकी सुनवाई होती है।

42. ‘ब्यूरोक्रेसी’ क्या है?

उत्तर: ब्यूरोक्रेसी सरकारी अधिकारियों का एक संगठनात्मक ढांचा है जो विभिन्न सरकारी कार्यों को निष्पादित करता है।

43. ‘प्रशासनिक दंड’ क्या है?

उत्तर: प्रशासनिक दंड वह दंड होता है जो किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी को उसके अनुशासनहीन आचरण के लिए दिया जाता है।

44. ‘केंद्रीय प्रशासन’ और ‘राज्य प्रशासन’ के बीच अंतर क्या है?

उत्तर: केंद्रीय प्रशासन केंद्र सरकार द्वारा चलाया जाता है, जबकि राज्य प्रशासन राज्य सरकार द्वारा चलाया जाता है। दोनों के कार्यों और अधिकारों का क्षेत्र अलग-अलग होता है।

45. ‘सार्वजनिक नीति’ का क्या महत्व है?

उत्तर: सार्वजनिक नीति सरकार द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का समूह होती है, जो जनता के हित में कार्य करती है और प्रशासनिक कार्यों को मार्गदर्शन देती है।

46. ‘नियंत्रण’ और ‘अधिकार’ में क्या अंतर है?

उत्तर: नियंत्रण एक प्रशासनिक प्रक्रिया है जिसमें सरकारी संस्थाएं अपने अधिकारों का प्रयोग करके अन्य संस्थाओं या व्यक्तियों पर निगरानी रखती हैं, जबकि अधिकार वह विशेष अनुमति होती है जो किसी व्यक्ति या संस्था को दी जाती है।

47. ‘लोक सेवा’ क्या है?

उत्तर: लोक सेवा वह सेवाएं हैं जो सरकार द्वारा नागरिकों को प्रदान की जाती हैं, जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, और सुरक्षा सेवाएं।

48. ‘प्रशासनिक अधिकारों का उल्लंघन’ क्या है?

उत्तर: प्रशासनिक अधिकारों का उल्लंघन तब होता है जब सरकारी अधिकारी या संस्था अपने निर्धारित दायित्वों से बाहर जाकर किसी नागरिक के अधिकारों का हनन करते हैं।

49. ‘प्रशासनिक समीक्षा’ का क्या उद्देश्य है?

उत्तर: प्रशासनिक समीक्षा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी प्रशासनिक निर्णय और कार्य कानूनी, न्यायपूर्ण और संविधान के अनुरूप हों।

50. ‘जनहित याचिका’ क्या है?

उत्तर: जनहित याचिका एक प्रकार की याचिका है जिसे किसी भी नागरिक द्वारा जनता के हित में न्यायालय में दायर किया जा सकता है।

यहां प्रशासकीय विधि से संबंधित 51 से 100 तक के प्रश्न और उत्तर दिए जा रहे हैं:

51. ‘प्रशासनिक न्याय’ क्या होता है?

उत्तर: प्रशासनिक न्याय वह प्रक्रिया है जिसमें प्रशासनिक संस्थाएं और अधिकारी नागरिकों के मामलों में निर्णय लेते हैं, और यह सुनिश्चित किया जाता है कि निर्णय उचित और कानून के अनुसार हों।

52. ‘पारदर्शिता’ प्रशासनिक कार्यों में क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर: पारदर्शिता प्रशासनिक कार्यों में यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी अधिकारियों द्वारा लिए गए निर्णय नागरिकों के सामने स्पष्ट हों, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना कम होती है और विश्वास बढ़ता है।

53. ‘न्यायिक नियंत्रण’ प्रशासनिक निर्णयों पर कब लागू होता है?

उत्तर: न्यायिक नियंत्रण उन प्रशासनिक निर्णयों पर लागू होता है जो संविधान, कानून या सार्वजनिक नीति के खिलाफ होते हैं।

54. ‘लोक सेवक’ का क्या मतलब है?

उत्तर: लोक सेवक वह व्यक्ति होता है जो सरकारी कार्यों में नियुक्त होता है और जो जनता की सेवा के लिए जिम्मेदार होता है।

55. ‘विनियमन’ और ‘नियंत्रण’ में अंतर क्या है?

उत्तर: विनियमन वह प्रक्रिया है जिसमें नियम और दिशा-निर्देश तैयार किए जाते हैं, जबकि नियंत्रण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा इन नियमों और दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाता है।

56. ‘संविधान’ और ‘प्रशासकीय विधि’ के बीच संबंध क्या है?

उत्तर: संविधान प्रशासनिक विधि की नींव प्रदान करता है। यह सरकार की संरचना, कार्यों, और अधिकारों को निर्धारित करता है, जबकि प्रशासनिक विधि इन अधिकारों और कार्यों को लागू करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करती है।

57. ‘प्रशासनिक निर्णय’ को चुनौती देने का तरीका क्या है?

उत्तर: प्रशासनिक निर्णय को चुनौती देने के लिए न्यायालय में याचिका दायर की जा सकती है, जिसमें यह दावा किया जाता है कि निर्णय अवैध, अनुचित या अन्यथा गलत था।

58. ‘जवाबदेही’ प्रशासनिक कार्यों में कैसे लागू होती है?

उत्तर: जवाबदेही यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी अधिकारी और संस्थाएं अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार हों और यदि वे गलत कार्य करते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

59. ‘लोक नीति’ के निर्माण में प्रशासन की भूमिका क्या है?

उत्तर: प्रशासनिक संस्थाएं लोक नीति के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाती हैं, क्योंकि वे नीतियों के कार्यान्वयन और समाज के विभिन्न वर्गों के हितों को ध्यान में रखते हुए सलाह देती हैं।

60. ‘सार्वजनिक अधिकार’ और ‘निजी अधिकार’ में अंतर क्या है?

उत्तर: सार्वजनिक अधिकार वह अधिकार होते हैं जो समाज और समुदाय के भले के लिए होते हैं, जबकि निजी अधिकार व्यक्तिगत रूप से किसी व्यक्ति को प्रदान किए जाते हैं, जैसे संपत्ति का अधिकार।

61. ‘संविधान’ में प्रशासनिक विधि के लिए क्या प्रावधान हैं?

उत्तर: भारतीय संविधान में प्रशासनिक विधि से संबंधित प्रावधानों में कार्यपालिका के अधिकार, लोक सेवकों की नियुक्ति, अनुशासन और नीतियों का पालन शामिल है।

62. ‘प्रशासनिक समीक्षा’ के क्या प्रमुख सिद्धांत हैं?

उत्तर: प्रशासनिक समीक्षा के प्रमुख सिद्धांतों में वैधता, निष्पक्षता, पारदर्शिता, और उपयुक्तता शामिल हैं।

63. ‘सार्वजनिक हित’ का प्रशासकीय कार्यों में क्या महत्व है?

उत्तर: सार्वजनिक हित प्रशासनिक कार्यों के उद्देश्य को स्पष्ट करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सरकारी निर्णय और नीतियां जनता के कल्याण के लिए बनाई जाएं।

64. ‘प्रशासनिक हस्तक्षेप’ कब होता है?

उत्तर: प्रशासनिक हस्तक्षेप तब होता है जब सरकार या प्रशासन किसी विशेष मामले में हस्तक्षेप करके सार्वजनिक नीति, कानून या व्यवस्था बनाए रखता है।

65. ‘न्यायिक समीक्षा’ किस प्रकार के प्रशासनिक निर्णयों पर लागू होती है?

उत्तर: न्यायिक समीक्षा प्रशासनिक निर्णयों पर लागू होती है जो संविधान या कानूनी प्रावधानों के खिलाफ होते हैं, जैसे कि अधिकारों का उल्लंघन या अनुचित निर्णय।

66. ‘प्रशासनिक अनुशासन’ का क्या उद्देश्य है?

उत्तर: प्रशासनिक अनुशासन का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों की कार्यशैली की निगरानी करना और यह सुनिश्चित करना कि वे अपने कर्तव्यों का पालन सही तरीके से करें।

67. ‘न्यायिक स्वतंत्रता’ का प्रशासनिक कार्यों में क्या महत्व है?

उत्तर: न्यायिक स्वतंत्रता प्रशासनिक कार्यों की निगरानी में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न्यायालयों को बिना किसी बाहरी दबाव के प्रशासनिक निर्णयों की समीक्षा करने की अनुमति देती है।

68. ‘लोक प्रशासन’ में पारदर्शिता का क्या महत्व है?

उत्तर: पारदर्शिता लोक प्रशासन में यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी निर्णय नागरिकों के लिए स्पष्ट और खुला हो, जिससे नागरिकों का विश्वास बढ़े और भ्रष्टाचार कम हो।

69. ‘प्रशासनिक न्यायालय’ का क्या कार्य है?

उत्तर: प्रशासनिक न्यायालय प्रशासनिक विवादों का समाधान करता है, जैसे कि सरकारी सेवाओं से संबंधित मामलों, अनुशासनात्मक कार्रवाइयों, और अन्य प्रशासनिक निर्णयों की समीक्षा।

70. ‘लोकपाल’ और ‘लोकायुक्त’ के बीच अंतर क्या है?

उत्तर: लोकपाल केंद्रीय सरकार के भ्रष्टाचार मामलों की जांच करता है, जबकि लोकायुक्त राज्य सरकारों के भ्रष्टाचार मामलों की जांच करता है।

71. ‘सार्वजनिक प्रशासन’ की शाखाएँ कौन सी हैं?

उत्तर: सार्वजनिक प्रशासन की शाखाएँ हैं – वित्तीय प्रशासन, मानव संसाधन प्रबंधन, सार्वजनिक नीति, और शासन व्यवस्था आदि।

72. ‘प्रशासनिक कार्यों में अनुशासन’ का क्या महत्व है?

उत्तर: अनुशासन प्रशासनिक कार्यों में यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी अधिकारी और कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाएं और किसी प्रकार के भ्रष्टाचार या गलत कार्यों से बचें।

73. ‘कार्यपालिका’ और ‘न्यायपालिका’ के बीच संबंध क्या है?

उत्तर: कार्यपालिका सरकारी नीतियों का कार्यान्वयन करती है, जबकि न्यायपालिका संविधान और कानून की व्याख्या करती है और कार्यपालिका द्वारा किए गए कार्यों की वैधता की समीक्षा करती है।

74. ‘प्रशासनिक विधि’ में ‘निर्णय’ कैसे लिया जाता है?

उत्तर: प्रशासनिक विधि में निर्णय सरकारी अधिकारी या संस्था द्वारा कानूनी और न्यायिक सिद्धांतों के आधार पर लिया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्णय वैध और उचित हैं।

75. ‘न्यायिक नियंत्रण’ क्या होता है?

उत्तर: न्यायिक नियंत्रण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा न्यायालय प्रशासनिक निर्णयों की वैधता की जांच करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रशासनिक कार्य कानूनी और संवैधानिक रूप से सही हैं।

76. ‘अधिकारों का संरक्षण’ प्रशासनिक कार्यों में कैसे किया जाता है?

उत्तर: प्रशासनिक कार्यों में नागरिकों के अधिकारों का संरक्षण यह सुनिश्चित करके किया जाता है कि सभी निर्णय और कार्य संविधान और कानून के अनुसार हों।

77. ‘विधायिका’ का प्रशासन में क्या योगदान है?

उत्तर: विधायिका नए कानून बनाती है और कार्यपालिका की गतिविधियों की निगरानी करती है, ताकि प्रशासनिक कार्यों में संतुलन और जवाबदेही सुनिश्चित हो।

78. ‘सार्वजनिक नीति’ का निर्माण कैसे होता है?

उत्तर: सार्वजनिक नीति का निर्माण सरकार द्वारा किया जाता है, जो प्रशासनिक संस्थाओं, विशेषज्ञों, और नागरिकों के सुझावों के आधार पर बनाई जाती है।

79. ‘प्रशासनिक निर्णय’ में ‘विधिकता’ की क्या भूमिका है?

उत्तर: विधिकता यह सुनिश्चित करती है कि प्रशासनिक निर्णय सभी कानूनी और संवैधानिक मानकों के अनुरूप हों, ताकि किसी भी प्रकार का अवैध कार्य न हो।

80. ‘सार्वजनिक हित’ को सर्वोपरि रखते हुए प्रशासनिक कार्य कैसे किए जाते हैं?

उत्तर: प्रशासनिक कार्य सार्वजनिक हित को सर्वोपरि रखते हुए किए जाते हैं, ताकि सरकारी निर्णय और नीतियां समाज के भले के लिए हों।

81. ‘सार्वजनिक नीतियों’ में जनता की भागीदारी का क्या महत्व है?

उत्तर: सार्वजनिक नीतियों में जनता की भागीदारी यह सुनिश्चित करती है कि नीतियां जनहित में हों और समाज के विभिन्न वर्गों के दृष्टिकोण को ध्यान में रखा जाए।

82. ‘प्रशासनिक तंत्र’ की संरचना क्या है?

उत्तर: प्रशासनिक तंत्र सरकार के विभिन्न विभागों और एजेंसियों का एक संगठनात्मक ढांचा है, जिसमें विभिन्न स्तरों पर अधिकारी और कर्मचारी कार्य करते हैं।

83. ‘लोक प्रशासन’ के सुधार के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?

उत्तर: लोक प्रशासन के सुधार के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं, जैसे कि पारदर्शिता बढ़ाना, भ्रष्टाचार उन्मूलन, और अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करना।

84. ‘प्रशासनिक अधिकार’ का दुरुपयोग किस प्रकार हो सकता है?

उत्तर: प्रशासनिक अधिकार का दुरुपयोग तब होता है जब सरकारी अधिकारी या संस्थाएं अपने अधिकारों का प्रयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए करती हैं या जनता के हितों का उल्लंघन करती हैं।

85. ‘सार्वजनिक प्रशासन’ में ‘कानूनी नियंत्रण’ की क्या भूमिका है?

उत्तर: कानूनी नियंत्रण यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक प्रशासन के सभी कार्य और निर्णय संविधान और कानून के अनुरूप हों।

86. ‘लोक सेवा’ की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए क्या उपाय किए जाते हैं?

उत्तर: लोक सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण, सुधार, और निगरानी की प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिससे नागरिकों को बेहतर सेवाएं मिल सकें।

87. ‘प्रशासनिक अधिकारियों’ की जिम्मेदारी क्या होती है?

उत्तर: प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी नीतियों का सही तरीके से कार्यान्वयन हो और नागरिकों को उचित सेवाएं प्रदान की जाएं।

88. ‘लोक प्रशासन’ में ‘सामाजिक न्याय’ कैसे सुनिश्चित किया जाता है?

उत्तर: सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए सरकार यह सुनिश्चित करती है कि सभी नागरिकों को समान अवसर और अधिकार मिलें, और कोई भी वर्ग या व्यक्ति शोषित न हो।

89. ‘प्रशासनिक विवाद’ क्या होते हैं?

उत्तर: प्रशासनिक विवाद वे कानूनी या प्रशासनिक मामले होते हैं जिनमें सरकारी अधिकारियों, विभागों या संस्थाओं द्वारा लिए गए निर्णयों पर सवाल उठाया जाता है।

90. ‘केंद्र और राज्य’ के प्रशासनिक कार्यों में अंतर क्या है?

उत्तर: केंद्र सरकार के प्रशासनिक कार्य राष्ट्रीय मुद्दों से संबंधित होते हैं, जबकि राज्य सरकार के प्रशासनिक कार्य राज्य के अंदर के मामलों से संबंधित होते हैं।

91. ‘प्रशासनिक निगरानी’ क्या है?

उत्तर: प्रशासनिक निगरानी वह प्रक्रिया है जिसमें सरकारी अधिकारियों और संस्थाओं के कार्यों पर निगरानी रखी जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे कानून और नीतियों के अनुसार काम करें।

92. ‘प्रशासनिक सुधार’ की आवश्यकता क्यों होती है?

उत्तर: प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता इसलिए होती है ताकि सरकारी कार्य अधिक प्रभावी, पारदर्शी, और जवाबदेह हो, और नागरिकों को बेहतर सेवाएं मिल सकें।

93. ‘लोक नीति’ का मूल्यांकन कैसे किया जाता है?

उत्तर: लोक नीति का मूल्यांकन परिणामों के आधार पर किया जाता है, जिसमें यह देखा जाता है कि नीति ने लक्षित उद्देश्यों को कितना प्राप्त किया है।

94. ‘प्रशासनिक योजना’ क्या होती है?

उत्तर: प्रशासनिक योजना वह दस्तावेज होती है जिसमें सरकारी नीति और उसके कार्यान्वयन के लिए समयसीमा, संसाधन और प्रक्रियाएं निर्धारित की जाती हैं।

95. ‘प्रशासनिक स्वतंत्रता’ का क्या अर्थ है?

उत्तर: प्रशासनिक स्वतंत्रता का अर्थ है कि सरकारी अधिकारी और संस्थाएं निर्णय लेने में स्वतंत्र होती हैं, बशर्ते वे संविधान और कानून के दायरे में काम करें।

96. ‘सार्वजनिक प्रशासन’ में मानवाधिकारों की रक्षा कैसे की जाती है?

उत्तर: सार्वजनिक प्रशासन में मानवाधिकारों की रक्षा यह सुनिश्चित करने के द्वारा की जाती है कि सभी सरकारी निर्णय और कार्य नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न करें।

97. ‘प्रशासनिक न्याय’ में ‘न्यायिक स्वतंत्रता’ का क्या महत्व है?

उत्तर: प्रशासनिक न्याय में न्यायिक स्वतंत्रता का महत्व यह है कि न्यायालय बिना किसी दबाव के प्रशासनिक निर्णयों की समीक्षा कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे न्यायपूर्ण हों।

98. ‘प्रशासनिक नियंत्रण’ में न्यायालयों की भूमिका क्या है?

उत्तर: न्यायालयों की भूमिका प्रशासनिक नियंत्रण में यह है कि वे प्रशासनिक निर्णयों की वैधता की समीक्षा करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि वे संविधान और कानून के अनुरूप हों।

99. ‘कार्यपालिका’ और ‘प्रशासन’ के बीच क्या अंतर है?

उत्तर: कार्यपालिका सरकार के आदेशों का पालन करती है, जबकि प्रशासन उन आदेशों को लागू करने की प्रक्रिया है और इसमें सरकारी अधिकारियों का कार्य शामिल है।

100. ‘लोक सेवा आयोग’ का क्या कार्य है?

उत्तर: लोक सेवा आयोग का कार्य सरकारी सेवाओं में नियुक्तियों, पदोन्नतियों, और भर्ती प्रक्रियाओं को नियंत्रित करना और सुनिश्चित करना है कि वे निष्पक्ष और न्यायपूर्ण हों।