प्रवासन (Migration) से संबंधित भारतीय कानूनी ढांचे का वर्णन :

प्रवासन (Migration) से संबंधित भारतीय कानूनी ढांचे का वर्णन :


प्रस्तावना:

प्रवासन (Migration) का अर्थ है — किसी व्यक्ति या जनसमूह का एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर स्थायी या अस्थायी रूप से स्थानांतरण। भारत जैसे विविधतापूर्ण और जनसंख्या-प्रधान देश में प्रवासन एक व्यापक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिघटना है। भारत में प्रवासन दो रूपों में होता है — आंतरिक (Internal Migration) और अंतर्राष्ट्रीय (International Migration)
इन दोनों स्वरूपों के नियमन और नियंत्रण हेतु भारत में कई कानूनी और नीतिगत ढाँचे अस्तित्व में हैं।


प्रवासन से संबंधित भारतीय कानूनी ढांचे का स्वरूप:

भारत में प्रवासन का कोई समग्र और एकीकृत “Migration Code” नहीं है, परंतु विभिन्न अधिनियमों, नियमों, और नीति-निर्देशों के माध्यम से इसे विनियमित किया जाता है। निम्नलिखित प्रमुख अधिनियम प्रवासन के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करते हैं:


1. विदेशी नागरिकों से संबंधित प्रवासन (International Migration):

(i) पासपोर्ट अधिनियम, 1967 (The Passport Act, 1967):

यह अधिनियम भारत में प्रवेश के लिए वैध यात्रा दस्तावेज की अनिवार्यता सुनिश्चित करता है। इसके तहत, भारत में प्रवेश केवल वैध पासपोर्ट और वीजा के माध्यम से ही संभव है।

(ii) विदेशियों अधिनियम, 1946 (The Foreigners Act, 1946):

इस कानून के तहत भारत सरकार को अधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी विदेशी के प्रवेश, निवास, और निष्कासन (deportation) से संबंधित नियम बना सकती है।

  • इसमें “विदेशी” की परिभाषा भी दी गई है।
  • यह अधिनियम अवैध अप्रवासियों (illegal migrants) को हटाने की प्रक्रिया का आधार बनाता है।

(iii) विदेशी नागरिक (पंजीकरण) आदेश, 1956 (Registration of Foreigners Order):

यह आदेश विदेशी नागरिकों के पंजीकरण की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। उन्हें भारत में आगमन के बाद एक निश्चित अवधि में स्थानीय अधिकारियों के पास पंजीकरण कराना होता है।

(iv) नागरिकता अधिनियम, 1955 (The Citizenship Act, 1955):

यह अधिनियम भारत की नागरिकता प्राप्त करने, त्यागने और समाप्त होने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। इसमें संशोधन के माध्यम से प्रवासियों को नागरिकता देने या न देने के अधिकार भी निर्धारित किए गए हैं।

  • 2019 का नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) इसी कानून में बदलाव है, जिससे अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के कुछ धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।

(v) आप्रवासन (नियंत्रण) अधिनियम, 1983 (Immigration (Control) Act):

यह अधिनियम भारत में अवैध रूप से रहने वाले व्यक्तियों पर कार्रवाई के लिए प्रयुक्त होता है, विशेषकर उन देशों के नागरिकों पर जिनसे भारत का कोई प्रत्यक्ष प्रत्यर्पण समझौता नहीं है।


2. प्रवासी भारतीय और विदेशों में प्रवासन:

(i) विदेश रोजगार प्रवर्तन अधिनियम, 1983 (The Emigration Act, 1983):

यह अधिनियम उन भारतीय नागरिकों के विदेशों में रोजगार हेतु प्रवासन को नियंत्रित करता है, जो “Emigration Check Required” (ECR) देशों में जाते हैं।

  • इसका उद्देश्य धोखाधड़ी रोकना और रोजगार की गारंटी देना है।
  • इस अधिनियम के अंतर्गत Protector of Emigrants (POE) की नियुक्ति होती है।

(ii) प्रवासी भारतीय मंत्रालय (Ministry of Overseas Indian Affairs – MOIA):

यह मंत्रालय विदेशों में रह रहे भारतीय नागरिकों और अनिवासी भारतीयों (NRIs) के मामलों को देखता है। अब इसे विदेश मंत्रालय में विलय कर दिया गया है।


3. आंतरिक प्रवासन (Internal Migration):

भारत में आंतरिक प्रवासन संविधान के अनुच्छेद 19(1)(d) और 19(1)(e) के तहत “भारत में कहीं भी आने-जाने” और “कहीं भी बसने” के मौलिक अधिकार से संरक्षित है। फिर भी कुछ अधिनियम और नीतियाँ हैं जो आंतरिक प्रवास को प्रभावी बनाते हैं:

(i) अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिक अधिनियम, 1979 (Inter-State Migrant Workmen Act):

  • यह अधिनियम उन श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करता है जो एक राज्य से दूसरे राज्य में कार्य हेतु प्रवास करते हैं।
  • इसके तहत नियोक्ता को श्रमिकों का पंजीकरण, वेतन, आवास, यात्रा भत्ता आदि सुनिश्चित करना होता है।

(ii) निर्माण श्रमिक अधिनियम, 1996 (Building and Other Construction Workers Act):

इस कानून में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के कल्याण हेतु प्रावधान किए गए हैं, जिनमें अधिकांश प्रवासी मजदूर होते हैं।

(iii) श्रम कल्याण कोड, 2020 (Code on Occupational Safety, Health and Working Conditions):

यह कोड पुराने श्रम कानूनों को समेकित करता है और प्रवासी श्रमिकों के पंजीकरण, सामाजिक सुरक्षा, और न्यूनतम सुविधाओं की गारंटी देता है।


4. प्रवासन से संबंधित अन्य नीति-स्तरीय पहल:

  • राष्ट्रीय प्रवासन नीति (Proposed): भारत में एक समर्पित राष्ट्रीय प्रवासन नीति के अभाव को ध्यान में रखते हुए सरकार ने नीति आयोग के माध्यम से एक व्यापक प्रवासन नीति का खाका तैयार करने का सुझाव दिया है।
  • e-Migrate Portal:
    विदेशों में जाने वाले कामगारों की पारदर्शी जानकारी और पंजीकरण के लिए यह पोर्टल बनाया गया है।
  • PM Shram Yogi Yojana, One Nation One Ration Card, etc.
    ये योजनाएँ प्रवासी मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू की गई हैं।

निष्कर्ष:

भारत में प्रवासन के संबंध में विभिन्न अधिनियम, नियम और नीतियाँ तो मौजूद हैं, लेकिन इनका कार्यान्वयन और समन्वय अनेक चुनौतियों से ग्रस्त है। अंतर्राष्ट्रीय और आंतरिक प्रवास दोनों ही प्रकारों के लिए एक समग्र, संवेदनशील और व्यावहारिक नीति की आवश्यकता है। आधुनिक संदर्भों — जैसे जलवायु प्रवासन, आपदा प्रवास, और शहरी प्रवासन — को ध्यान में रखते हुए भारत को प्रवासन कानूनों का समेकन और अद्यतन करना चाहिए, ताकि प्रवासियों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके और राष्ट्रीय हित भी संरक्षित रहे।