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पुलिस द्वारा गाली देना :

पुलिस द्वारा गाली देना: क्या आप केस कर सकते हैं? मानव अधिकारों और विधिक उपायों का विश्लेषण

भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ प्रत्येक नागरिक को सम्मान और गरिमा के साथ जीने का अधिकार संविधान और कानून द्वारा दिया गया है। जब कोई आम व्यक्ति आपको अपमानित करता है तो आप कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं, लेकिन जब वही अपमान पुलिस के द्वारा किया जाता है, तब यह न केवल व्यक्तिगत गरिमा का उल्लंघन है बल्कि मानव अधिकारों और संवैधानिक मूल्यों का भी हनन है।

अक्सर देखा जाता है कि कुछ पुलिसकर्मी अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए नागरिकों को गाली-गलौज कर देते हैं। यह स्थिति केवल असहनीय ही नहीं, बल्कि नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का गंभीर हनन है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि यदि पुलिस आपको गाली देती है या अपमान करती है, तो आपके पास कौन-कौन से कानूनी और संवैधानिक उपाय उपलब्ध हैं।


1. पुलिस का आचरण और कानूनी अपेक्षाएँ

भारतीय पुलिस का मुख्य कर्तव्य है—कानून-व्यवस्था बनाए रखना, अपराध की रोकथाम करना और नागरिकों की सुरक्षा करना। पुलिस मैनुअल और पुलिस आचार संहिता के तहत प्रत्येक पुलिस अधिकारी से अपेक्षा की जाती है कि वह निष्पक्ष, संयमित और मर्यादित व्यवहार करे।

जब पुलिस किसी नागरिक को अपमानित करती है या गाली देती है, तब यह न केवल अनुशासनहीनता है, बल्कि कानून के राज (Rule of Law) के विरुद्ध भी है।


2. भारतीय संविधान के अंतर्गत संरक्षण

संविधान के विभिन्न अनुच्छेद नागरिकों को गरिमा और सम्मान से जीने का अधिकार प्रदान करते हैं:

  • अनुच्छेद 14 – कानून के समक्ष समानता।
  • अनुच्छेद 19(1)(a) – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जिसमें अपमान से मुक्त रहना भी सम्मिलित है।
  • अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार, जिसमें गरिमा के साथ जीना शामिल है।

यदि पुलिस आपको अपमानित करती है या गाली देती है तो यह इन संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन माना जा सकता है।


3. भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 के प्रावधान

भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) ने पुराने भारतीय दंड संहिता (IPC) को प्रतिस्थापित किया है। इसके अंतर्गत कई धाराएँ लागू हो सकती हैं:

  • धारा 352 BNSजानबूझकर अपमान करना। यदि कोई व्यक्ति किसी को गाली देता है जिससे उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचती है, तो यह अपराध है।
  • धारा 356 BNSआपराधिक धमकी या अपमान। यदि किसी व्यक्ति को डराने, धमकाने या नीचा दिखाने के उद्देश्य से गाली दी जाती है, तो यह अपराध माना जाएगा।

इस प्रकार, यदि पुलिस आपको गाली देती है तो आप लिखित शिकायत कर सकते हैं और इन धाराओं के तहत कार्यवाही की मांग कर सकते हैं।


4. आप क्या कदम उठा सकते हैं?

यदि पुलिस आपको अपमानित करती है या गाली देती है, तो आप निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:

(i) लिखित शिकायत दर्ज कराएँ

  • नजदीकी पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दें।
  • यदि वही थानेदार/कर्मचारी आरोपी है, तो शिकायत उच्च पुलिस अधिकारी (SP, DIG, IG) को दें।
  • शिकायत में समय, स्थान, घटना का विवरण और उपस्थित गवाहों के नाम लिखें।

(ii) मैजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत

यदि पुलिस आपकी शिकायत दर्ज नहीं करती है, तो आप दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC/BNSS) की धारा 190 के अंतर्गत सीधे न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत कर सकते हैं।

(iii) मानव अधिकार आयोग में शिकायत

  • राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) या राज्य मानव अधिकार आयोग (SHRC) के समक्ष लिखित शिकायत कर सकते हैं।
  • आयोग पुलिस के खिलाफ जाँच कर सकता है और मुआवजा व अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश कर सकता है।

(iv) न्यायालय में वाद दायर करना

यदि पुलिस का अपमान आपके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो आप उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका (अनुच्छेद 32/226) दायर कर सकते हैं।

(v) लोकायुक्त / पुलिस शिकायत प्राधिकरण

कई राज्यों में पुलिस शिकायत प्राधिकरण (Police Complaints Authority) और लोकायुक्त (Lokayukta) बने हुए हैं, जहाँ आप पुलिस की अभद्रता या भ्रष्ट आचरण की शिकायत कर सकते हैं।


5. मानव अधिकार आयोग की भूमिका

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत NHRC और SHRC को अधिकार प्राप्त हैं कि वे:

  • पुलिस द्वारा किए गए दुराचार की जाँच करें।
  • पीड़ित को मुआवजा दिलाएँ।
  • दोषी पुलिस अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति करें।

यह नागरिकों को एक वैकल्पिक मंच देता है, जहाँ वे बिना ज्यादा औपचारिकता के अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।


6. न्यायालय के महत्वपूर्ण निर्णय

भारतीय न्यायपालिका ने कई बार कहा है कि पुलिस का दुर्व्यवहार या अपमान अस्वीकार्य है:

  • DK Basu बनाम State of West Bengal (1997) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस हिरासत में भी किसी व्यक्ति के सम्मान और अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
  • Prakash Singh बनाम Union of India (2006) – सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया और नागरिकों के साथ गरिमामय व्यवहार की अनिवार्यता बताई।

इन निर्णयों से स्पष्ट है कि पुलिस नागरिकों का अपमान नहीं कर सकती और यदि ऐसा करती है तो उसके खिलाफ कार्यवाही संभव है।


7. व्यावहारिक सुझाव

  • हमेशा लिखित शिकायत दें, मौखिक नहीं।
  • घटना का ऑडियो/वीडियो सबूत होने पर सुरक्षित रखें।
  • यदि थाने में डर का माहौल हो तो सीधे SP या जिला मजिस्ट्रेट से संपर्क करें।
  • शिकायत करते समय शांत और कानूनी भाषा का उपयोग करें।
  • जरूरत पड़ने पर वकील की सहायता लें।

8. सामाजिक और नैतिक दृष्टिकोण

पुलिस का गाली देना केवल एक व्यक्ति का अपमान नहीं, बल्कि पूरे समाज और लोकतंत्र के मूल्यों का अपमान है। यह नागरिकों में भय और अविश्वास पैदा करता है।
इसलिए जरूरी है कि—

  • पुलिस में संवेदनशीलता प्रशिक्षण हो।
  • मानवाधिकार शिक्षा दी जाए।
  • शिकायतों का त्वरित निपटारा किया जाए।

निष्कर्ष

पुलिस को संविधान और कानून ने विशेष शक्तियाँ दी हैं, ताकि वह समाज में शांति और व्यवस्था बनाए रख सके। लेकिन जब वही पुलिस अपने कर्तव्यों का उल्लंघन कर नागरिकों को गाली-गलौज करती है, तो यह अस्वीकार्य है।

ऐसी स्थिति में नागरिक चुप न रहें। वे BNS की धारा 352 और 356 के तहत केस कर सकते हैं, मानव अधिकार आयोग में शिकायत कर सकते हैं, न्यायालय का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं, और यहाँ तक कि पुलिस शिकायत प्राधिकरण तक भी जा सकते हैं।

लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक का सम्मान सर्वोपरि है। यदि पुलिस का आचरण गरिमा का उल्लंघन करता है, तो कानून आपके साथ खड़ा है।


1. क्या पुलिस द्वारा गाली देना अपराध है?

हाँ, पुलिस द्वारा गाली देना अपराध है क्योंकि यह मानव गरिमा का उल्लंघन करता है और BNS की धारा 352 व 356 के तहत दंडनीय है।


2. पुलिस गाली दे तो सबसे पहला कदम क्या होना चाहिए?

सबसे पहले घटना की लिखित शिकायत निकटतम पुलिस अधिकारी या उच्चाधिकारियों (SP, DIG) को करनी चाहिए।


3. क्या आप थाने में शिकायत दर्ज कर सकते हैं?

हाँ, लेकिन यदि आरोपी वही थाना है तो शिकायत उच्च पुलिस अधिकारियों या मजिस्ट्रेट के पास करनी चाहिए।


4. क्या मानव अधिकार आयोग मदद करता है?

हाँ, NHRC और SHRC पुलिस द्वारा अपमान और गाली की शिकायत पर जाँच कर सकते हैं और मुआवजा दिलवा सकते हैं।


5. क्या अदालत में केस किया जा सकता है?

हाँ, आप मजिस्ट्रेट कोर्ट में आपराधिक शिकायत और उच्च न्यायालय/सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर सकते हैं।


6. कौन सी धाराएँ लागू होती हैं?

मुख्य रूप से BNS की धारा 352 (जानबूझकर अपमान) और धारा 356 (धमकी/गाली से अपमान) लागू होती हैं।


7. अगर पुलिस शिकायत न ले तो क्या करें?

आप मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 190 BNSS के तहत प्रत्यक्ष शिकायत दर्ज कर सकते हैं।


8. क्या सबूत की आवश्यकता होती है?

हाँ, ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग या गवाहों के बयान आपके केस को मज़बूत करते हैं।


9. क्या पुलिस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है?

हाँ, उच्च अधिकारी दोषी पुलिसकर्मी पर निलंबन, विभागीय जाँच और दंडात्मक कार्यवाही कर सकते हैं।


10. क्यों नागरिक को चुप नहीं रहना चाहिए?

क्योंकि पुलिस का गाली देना केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और मानव अधिकारों का उल्लंघन है।