भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 में पुलिस और आम नागरिकों से संबंधित कई नए और संशोधित प्रावधान जोड़े गए हैं। इनमें अपराधों की परिभाषा, जांच प्रक्रिया, सजा के नए प्रावधान और पुलिस की जवाबदेही से जुड़े नियम शामिल हैं।
पुलिस से जुड़े प्रावधान:
- ई-एफआईआर और शून्य एफआईआर:
- अब नागरिक किसी भी पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करा सकते हैं, भले ही अपराध कहीं और हुआ हो।
- कुछ मामलों में ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराने की सुविधा दी गई है।
- गिरफ्तारी और जांच प्रक्रिया:
- गिरफ्तार व्यक्ति को उसके अधिकारों की जानकारी देना अनिवार्य है।
- गिरफ्तारी की सूचना परिवार को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से दी जाएगी।
- पुलिस को 90 दिनों में जांच पूरी कर चार्जशीट दाखिल करनी होगी (विशेष परिस्थितियों में 180 दिन तक बढ़ाया जा सकता है)।
- डिजिटल साक्ष्य और टेक्नोलॉजी का उपयोग:
- अब इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल साक्ष्यों को कानूनी रूप से अधिक महत्व दिया गया है।
- वीडियो रिकॉर्डिंग, कॉल डिटेल्स और अन्य डिजिटल प्रूफ अदालत में मान्य होंगे।
- पुलिस की जवाबदेही:
- यदि पुलिस गलत तरीके से गिरफ्तारी करती है, तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान है।
- किसी व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक हिरासत में रखने के लिए मजिस्ट्रेट की अनुमति आवश्यक होगी।
आम नागरिकों से जुड़े प्रावधान:
- सामुदायिक सेवा:
- छोटे अपराधों के लिए जेल की सजा के बजाय सामुदायिक सेवा की सजा दी जा सकती है।
- इससे जेलों में भीड़ कम होगी और सुधारात्मक न्याय की अवधारणा को बढ़ावा मिलेगा।
- लिंचिंग पर सख्त कानून:
- यदि भीड़ किसी व्यक्ति की हत्या करती है, तो दोषियों को उम्रकैद या फांसी तक की सजा हो सकती है।
- यह पहली बार है जब मॉब लिंचिंग के लिए विशेष प्रावधान जोड़े गए हैं।
- महिलाओं की सुरक्षा:
- यौन अपराधों की रिपोर्टिंग आसान बनाई गई है।
- साइबर क्राइम, स्टॉकिंग और डिजिटल उत्पीड़न के मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।
- झूठी शिकायतों पर कार्रवाई:
- झूठी एफआईआर या गवाही देने वालों पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।
- मतदाताओं को रिश्वत देने पर सजा:
- यदि कोई व्यक्ति चुनाव के दौरान मतदाताओं को रिश्वत देता है, तो उसे एक साल तक की सजा हो सकती है।
निष्कर्ष:
भारतीय न्याय संहिता 2023 का उद्देश्य न्याय प्रणाली को अधिक पारदर्शी, आधुनिक और जवाबदेह बनाना है। इसमें पुलिस की कार्यप्रणाली को अधिक प्रभावी और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
यदि आप किसी विशेष प्रावधान पर विस्तृत जानकारी चाहते हैं, तो बता सकते हैं!