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पुलिस आपको जबरन थाने नहीं बुला सकती: भारतीय न्याय संहिता BNS, 2023 की धारा 120

पुलिस आपको जबरन थाने नहीं बुला सकती: भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita), 2023 की धारा 120 का विस्तृत विश्लेषण


भूमिका (Introduction)

भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ प्रत्येक नागरिक को संविधान द्वारा मौलिक अधिकार प्राप्त हैं। इन अधिकारों में सबसे महत्वपूर्ण है व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Personal Liberty) और मानव गरिमा (Human Dignity)। संविधान का अनुच्छेद 21 स्पष्ट रूप से कहता है कि —

“किसी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त वंचित नहीं किया जाएगा।”

यही संवैधानिक भावना भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita – BNSS) के प्रावधानों में भी परिलक्षित होती है।

पुलिस का कर्तव्य है नागरिकों की सुरक्षा करना, अपराध की जाँच करना और समाज में कानून-व्यवस्था बनाए रखना। परंतु, कई बार पुलिस के दुरुपयोग, जबरन थाने बुलाने, धमकाने या प्रताड़ित करने की घटनाएँ सामने आती हैं। इन परिस्थितियों में यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि आपके कानूनी अधिकार क्या हैं, और पुलिस की सीमाएँ क्या हैं।


भारतीय न्याय संहिता की धारा 120 (Section 120 of BNS, 2023): सारांश

धारा 120, भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 स्पष्ट रूप से नागरिकों की रक्षा के लिए बनाई गई है।
यह प्रावधान कहता है कि —

“कोई भी पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को बिना विधिक प्रक्रिया या उचित लिखित नोटिस के थाने बुलाने, धमकाने या प्रताड़ित करने का अधिकारी नहीं होगा।”

अर्थात्, पुलिस आपको जबरन थाने नहीं बुला सकती, न ही आपको धमका सकती है या आपके साथ मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न कर सकती है।


पुलिस द्वारा बुलाने की वैध प्रक्रिया (Legal Procedure to Summon a Person)

भारतीय न्याय संहिता (BNS) और नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के तहत, पुलिस को किसी भी व्यक्ति को पूछताछ या जाँच के लिए बुलाने हेतु स्पष्ट प्रक्रिया का पालन करना होता है —

1. लिखित नोटिस (Written Notice) आवश्यक है

  • पुलिस किसी व्यक्ति को मौखिक रूप से, फोन कॉल या व्हाट्सएप संदेश द्वारा नहीं बुला सकती।
  • केवल लिखित नोटिस (Written Notice) जो पुलिस स्टेशन से जारी किया गया हो, मान्य माना जाएगा।
  • यह नोटिस डाक (Registered Post) या ईमेल (Official Mail) द्वारा भेजा जाना चाहिए।
  • व्हाट्सएप, मैसेज या फोन कॉल से भेजा गया नोटिस कानूनी रूप से वैध नहीं होता।

2. नोटिस का उद्देश्य और विवरण स्पष्ट होना चाहिए

नोटिस में निम्न विवरण होना आवश्यक है –

  • आपका पूरा नाम और पता
  • अपराध संख्या (Crime Number / FIR Number)
  • संबंधित धारा और अपराध का विवरण
  • पूछताछ की तारीख, समय और स्थान
  • नोटिस जारी करने वाले अधिकारी का नाम, पद और हस्ताक्षर

3. महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष संरक्षण

  • महिलाओं को सामान्यतः थाने बुलाने की अनुमति नहीं है।
    पूछताछ उनके घर या किसी सुरक्षित स्थान पर महिला अधिकारी की उपस्थिति में की जानी चाहिए।
  • वरिष्ठ नागरिकों, विकलांग व्यक्तियों और बीमार लोगों के लिए भी यही नियम लागू होता है।

धारा 120 का उद्देश्य (Purpose of Section 120, BNS)

इस प्रावधान का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को पुलिस की मनमानी और शक्ति के दुरुपयोग से बचाना है।
पहले अक्सर यह शिकायत आती थी कि पुलिस —

  • बिना नोटिस किसी व्यक्ति को थाने बुला लेती है,
  • घंटों पूछताछ में बैठा रखती है,
  • मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न करती है,
  • या रिश्वत के लिए डराती-धमकाती है।

ऐसे व्यवहार से नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होता था।
BNS की धारा 120 ऐसे मामलों में मानवाधिकारों की सुरक्षा की गारंटी देती है।


संविधानिक आधार (Constitutional Foundation)

धारा 120 का सीधा संबंध संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 से है —

अनुच्छेद विषय धारा 120 से संबंध
अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार सभी नागरिकों को पुलिस के समक्ष समान व्यवहार का अधिकार।
अनुच्छेद 19 स्वतंत्र अभिव्यक्ति और आवाजाही की स्वतंत्रता किसी को अनुचित रूप से बुलाना इस स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार पुलिस द्वारा जबरन बुलाना या प्रताड़ित करना इस अनुच्छेद का सीधा उल्लंघन है।

धारा 120 और पुलिस की सीमाएँ (Limits on Police Power under Section 120)

  1. बिना लिखित नोटिस पुलिस आपको थाने नहीं बुला सकती।
  2. आपको धमकाना या डराना अपराध है।
  3. मानवाधिकारों का उल्लंघन होने पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
  4. पुलिस पूछताछ केवल कानूनन उचित समय पर और सीमित अवधि के लिए कर सकती है।
  5. रात के समय (8 बजे के बाद) किसी महिला को थाने बुलाना अवैध है।

शिकायत का अधिकार (Right to Complain)

यदि कोई पुलिस अधिकारी आपको धमकाता है, प्रताड़ित करता है या बिना कारण थाने बुलाता है, तो आप निम्न संस्थानों में शिकायत दर्ज करा सकते हैं –

1. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)

  • टोल-फ्री नंबर: 14433
  • ईमेल/ऑनलाइन पोर्टल: www.nhrc.nic.in
  • आप अपनी शिकायत डाक द्वारा भी भेज सकते हैं।

2. राज्य मानवाधिकार आयोग (SHRC)

हर राज्य में अलग आयोग कार्यरत है।
वे पुलिस द्वारा किए गए मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच करते हैं।

3. जिला मजिस्ट्रेट / पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत

अगर थाने में न्याय नहीं मिलता, तो जिला स्तर पर आप शिकायत कर सकते हैं।

4. न्यायालय (Court) का सहारा

आप धारा 482 CrPC / BNSS के तहत हाईकोर्ट में आवेदन कर सकते हैं कि पुलिस ने अवैध रूप से कार्य किया है।


महिला सुरक्षा से जुड़ा विशेष प्रावधान

भारतीय न्याय संहिता (BNS) में महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
यदि पुलिस किसी महिला को पूछताछ के लिए बुलाना चाहती है –

  • तो महिला अधिकारी की उपस्थिति में ही पूछताछ की जाएगी।
  • थाने में रात के समय पूछताछ पूर्णतः निषिद्ध है।
  • महिला की इच्छा के विरुद्ध पुलिस प्रवेश नहीं कर सकती।

यह सभी प्रावधान धारा 74 से 77 (BNS) और धारा 120 (BNS) के संयुक्त उद्देश्य को दर्शाते हैं।


महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय (Important Judicial Rulings)

  1. डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य (1997)
    सुप्रीम कोर्ट ने कहा —

    किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तारी या पूछताछ के समय उसके अधिकारों से अवगत कराना आवश्यक है।

    • पुलिस द्वारा यातना (custodial torture) संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
    • पूछताछ के दौरान वकील की उपस्थिति की अनुमति दी जानी चाहिए।
  2. जोगिंदर कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (1994)
    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि —

    पुलिस किसी व्यक्ति को केवल संदेह के आधार पर थाने नहीं बुला सकती।
    पहले यह सिद्ध होना चाहिए कि पूछताछ वास्तव में आवश्यक है।

  3. प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ (2006)
    इस केस में पुलिस सुधारों की दिशा में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि —

    पुलिस का कार्य केवल जांच करना है, न कि लोगों को डराना या धमकाना।


नागरिकों के लिए सुझाव (Guidelines for Citizens)

  1. यदि पुलिस आपको थाने बुलाए, तो लिखित नोटिस अवश्य माँगें।
  2. नोटिस का फोटो, दस्तावेज़ और तारीख सुरक्षित रखें।
  3. पूछताछ के समय किसी परिजन या वकील को साथ रखें।
  4. रात में या अनधिकृत स्थान पर पूछताछ से इंकार करें।
  5. यदि धमकाया जाए, तो तुरंत मानवाधिकार आयोग या वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को सूचित करें।
  6. सोशल मीडिया पर गलत जानकारी साझा करने से बचें, पर अपने अधिकारों को समझें।

धारा 120 के उल्लंघन पर क्या कार्रवाई हो सकती है?

यदि कोई पुलिस अधिकारी धारा 120 का उल्लंघन करता है, तो –

  • उस अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई (Departmental Action) हो सकती है।
  • गंभीर मामलों में आपराधिक मुकदमा (Criminal Case) भी दर्ज किया जा सकता है।
  • पीड़ित व्यक्ति क्षतिपूर्ति (Compensation) का हकदार होगा।

पुलिस और नागरिकों के बीच संतुलन (Balance between Police Power and Citizen Rights)

धारा 120 केवल नागरिकों की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि पुलिस की जवाबदेही तय करने के लिए भी बनाई गई है।
कानून का उद्देश्य यह है कि —

  • पुलिस अपनी शक्ति का दुरुपयोग न करे,
  • नागरिक कानून के प्रति विश्वास बनाए रखें,
  • और न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष एवं पारदर्शी रहे।

यह धारा भारत को उस दिशा में ले जाती है जहाँ “पुलिस सेवा का प्रतीक है, भय का नहीं।”


निष्कर्ष (Conclusion)

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 120 एक ऐतिहासिक और नागरिक-हितैषी प्रावधान है।
यह नागरिकों की स्वतंत्रता, मानवाधिकारों और न्यायिक सुरक्षा को सुदृढ़ बनाती है।

पुलिस का उद्देश्य कानून लागू करना है, न कि नागरिकों को डराना या प्रताड़ित करना।
इस धारा के माध्यम से नागरिक अब अपने अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक हो सकते हैं और मनमानी के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं।

याद रखें:

  • पुलिस आपको बिना लिखित नोटिस थाने नहीं बुला सकती।
  • व्हाट्सएप या फोन कॉल द्वारा बुलाना अवैध है।
  • महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को विशेष संरक्षण प्राप्त है।
  • उत्पीड़न या धमकी की स्थिति में मानवाधिकार आयोग (14433) पर शिकायत करें।

यह धारा केवल एक कानूनी प्रावधान नहीं, बल्कि नागरिक गरिमा की रक्षा का प्रतीक है —
“कानून भय का नहीं, न्याय का माध्यम है।”