” पिता द्वारा वसीयत न करने की स्थिति में भाई द्वारा संपत्ति पर अवैध कब्जा एवं बहनों को धमकाने पर संभावित सुप्रीम कोर्ट तक की कानूनी कार्रवाई “
🔷 भूमिका
भारत में पारिवारिक संपत्ति से जुड़े विवाद अक्सर तब उत्पन्न होते हैं जब किसी की मृत्यु के बाद उसने वसीयत नहीं छोड़ी होती। ऐसी स्थिति में उत्तराधिकार कानून (Succession Law) लागू होता है। विशेषकर जब भाई संपत्ति पर अवैध कब्जा कर ले और बहनों को उनका कानूनी हक न दे, उल्टा धमकी दे, तब बहनों के पास संविधान और न्यायालय के माध्यम से न्याय पाने का कानूनी मार्ग खुला रहता है। इस लेख में हम विस्तार से बताएंगे कि ऐसी परिस्थिति में बहनें सुप्रीम कोर्ट तक किन कानूनी कदमों के माध्यम से पहुँच सकती हैं।
🔷 1. वसीयत न होने पर संपत्ति का उत्तराधिकार (Succession in Absence of a Will)
यदि पिता की मृत्यु बिना वसीयत (Intestate) के हुई है, और वह हिंदू थे, तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 (Hindu Succession Act, 1956) के तहत उनकी संपत्ति सभी कानूनी उत्तराधिकारियों (legal heirs) में समान रूप से बाँटी जाएगी।
🧾 उत्तराधिकारियों में शामिल होते हैं:
- बेटा (Son)
- बेटी (Daughter)
- विधवा पत्नी (Widow)
- माता (Mother)
✅ सुप्रीम कोर्ट ने Vineeta Sharma v. Rakesh Sharma (2020) केस में यह स्पष्ट किया कि बेटियां भी बेटों के समान पिता की संपत्ति में बराबर की हकदार हैं, चाहे उनका जन्म किसी भी समय हुआ हो और चाहे वे विवाहित हों या नहीं।
🔷 2. जब भाई कब्जा कर ले और हिस्सा न दे
यदि भाई ने सारी संपत्ति पर एकतरफा कब्जा कर लिया हो और बहनों को उनका हिस्सा नहीं दे रहा, तो यह न केवल दीवानी अन्याय (civil wrong) है, बल्कि कुछ स्थितियों में आपराधिक अपराध (criminal offence) भी बन सकता है।
🔷 3. कानूनी विकल्प – बहनों के लिए उपाय
✅ (A) विभाजन वाद (Partition Suit) – दीवानी न्यायालय में
- बहनें सिविल कोर्ट में विभाजन (Partition) का मुकदमा दायर कर सकती हैं ताकि संपत्ति का न्यायपूर्ण बँटवारा हो।
- यदि संपत्ति बँटी नहीं है (Undivided Property), तो कोर्ट सभी उत्तराधिकारियों को बराबर हिस्सा देगा।
✅ (B) भाई द्वारा धमकी देना – आपराधिक शिकायत
- यदि भाई बहनों को धमका रहा है, उन्हें डराने-धमकाने या नुकसान पहुँचाने की धमकी दे रहा है, तो बहनें आई.पी.सी. की धारा 506 (आपराधिक धमकी), 323 (चोट पहुँचाना), 504 (उकसाना) के अंतर्गत FIR दर्ज करा सकती हैं।
✅ (C) स्थानीय राजस्व विभाग में शिकायत
- यदि संपत्ति कृषि भूमि है या जमीन पर अधिकार से जुड़ी है, तो तहसीलदार/SDM कार्यालय में शिकायत कर भूमि रिकॉर्ड (जैसे खतौनी) में अपने हक का दावा किया जा सकता है।
🔷 4. यदि निचली अदालतों में न्याय न मिले, तब सुप्रीम कोर्ट जाएं
यदि:
- जिला न्यायालय या उच्च न्यायालय में फैसला असंतोषजनक हो
- या भाई कोर्ट के आदेश का पालन न करे
तो बहनें सुप्रीम कोर्ट में Special Leave Petition (SLP) दायर कर सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट इस तरह के मामलों में कई बार बहनों के पक्ष में ऐतिहासिक फैसले दे चुका है।
🌟 उदाहरण:
Danamma @ Suman Surpur vs Amar (2018)
इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने दो विवाहित बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबर का हिस्सा देने का आदेश दिया, भले ही पिता की मृत्यु 2001 में हुई हो।
🔷 5. आवश्यक दस्तावेज (Documents Required)
- पिता की मृत्यु प्रमाणपत्र
- संपत्ति के कागज़ात (Registry, खतौनी, आदि)
- परिवार का विवरण (Family Tree)
- कोई भी पूर्व में लिखा-पढ़ी का साक्ष्य
- यदि धमकी दी गई हो तो कॉल रिकॉर्डिंग/गवाह/WhatsApp संदेश आदि
🔷 6. वकील से परामर्श और महिला सहायता
- किसी अनुभवी दीवानी वकील (civil lawyer) और महिला अधिकार विशेषज्ञ से तुरंत संपर्क करें।
- राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) या राज्य महिला आयोग से भी सहायता ली जा सकती है।
🔷 निष्कर्ष (Conclusion)
यदि पिता द्वारा वसीयत नहीं बनाई गई है, तो उनकी संपत्ति बेटियों और बेटों को समान रूप से मिलती है। यदि कोई भाई अवैध कब्जा कर लेता है और बहनों को उनका हिस्सा नहीं देता, तो बहनें कानूनी रूप से अपना हक पा सकती हैं — पहले सिविल कोर्ट, फिर ज़रूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट तक जाकर। संविधान और सुप्रीम कोर्ट की हालिया व्याख्याएं महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को पूरी तरह समर्थन देती हैं।
⚖️ न्याय पाने के लिए डरें नहीं, कानून आपके साथ है।