IndianLawNotes.com

पत्नी का बिना कारण मायके में रहना: BNS 2023 और हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत प्रताड़ना नहीं, बल्कि तलाक का मजबूत आधार

पत्नी का बिना कारण मायके में रहना: BNS 2023 और हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत प्रताड़ना नहीं, बल्कि तलाक का मजबूत आधार

प्रस्तावना

भारतीय समाज में विवाह केवल दो व्यक्तियों का नहीं बल्कि दो परिवारों का पवित्र बंधन माना जाता है। विवाह संस्था का उद्देश्य पति-पत्नी के बीच पारस्परिक सहयोग, प्रेम और दाम्पत्य जीवन को आगे बढ़ाना है। लेकिन कई बार परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं कि पति-पत्नी एक साथ नहीं रह पाते और वैवाहिक जीवन संकट में आ जाता है। विशेषकर तब, जब पत्नी बिना किसी वैध कारण के लंबे समय तक अपने मायके में रहना शुरू कर दे और पति के साथ रहने से इंकार कर दे।

इस स्थिति में सवाल उठता है कि क्या यह प्रताड़ना (Cruelty) मानी जाएगी या फिर इसे वैधानिक रूप से “Desertion” यानी परित्याग माना जाएगा? भारतीय न्यायालयों ने समय-समय पर इस मुद्दे पर स्पष्ट किया है कि बिना उचित कारण एक वर्ष से अधिक समय तक दांपत्य घर छोड़ देना Hindu Marriage Act, 1955 और अब Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 (BNS 2023) की धारा-संबंधित प्रावधानों के अनुसार तलाक का मजबूत आधार है।


परित्याग (Desertion) की कानूनी परिभाषा

Hindu Marriage Act, 1955 की धारा 13(1)(ib) में परित्याग (Desertion) को तलाक का आधार माना गया है।

  • यदि पति या पत्नी बिना किसी उचित कारण के और बिना सहमति के लगातार दो वर्षों तक अपने जीवनसाथी को छोड़ देता/देती है, तो यह परित्याग माना जाएगा।
  • परित्याग केवल शारीरिक अलगाव नहीं है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक त्याग (animus deserendi) भी आवश्यक है।

यानी, यदि पत्नी मायके चली गई है और उसके पास ऐसा करने का कोई उचित कारण नहीं है, तो यह केवल अस्थायी दूरी नहीं बल्कि परित्याग माना जाएगा, बशर्ते समय अवधि और परिस्थितियां पूरी हों।


BNS 2023 का दृष्टिकोण

Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 ने पारिवारिक मामलों में क्रूरता और स्त्री-पुरुष अधिकारों के बीच संतुलन लाने का प्रयास किया है।

  • BNS 2023 के तहत पति पर झूठे घरेलू हिंसा या क्रूरता के मामलों की प्रवृत्ति को रोकने के लिए सख्त दृष्टिकोण अपनाया गया है।
  • यदि पत्नी केवल मानसिक दबाव बनाने के लिए पति को छोड़कर मायके चली जाती है और बिना किसी वैध कारण के लंबे समय तक वहीं रहती है, तो यह प्रताड़ना (Cruelty) नहीं माना जाएगा।
  • इसके विपरीत, यह स्थिति पति को तलाक का अधिकार देती है क्योंकि यह वैवाहिक जिम्मेदारियों से भागना (Desertion) है।

न्यायालयों के प्रमुख निर्णय

भारतीय उच्चतम न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि पत्नी का बिना कारण लंबे समय तक मायके में रहना तलाक का आधार है।

  1. बिपिनचंद्र बनाम प्रतिमा दासगुप्ता (1957 AIR 176)
    • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि Desertion के लिए दो तत्व आवश्यक हैं:
      • (i) दांपत्य संबंध से स्थायी दूरी बनाने का इरादा (Animus deserendi)
      • (ii) तथ्यात्मक अलगाव (Factum of separation)।
    • यदि पत्नी घर छोड़कर मायके चली जाए और लौटने की इच्छा न दिखाए, तो यह Desertion है।
  2. लक्ष्मीदेवी बनाम नारायण (SC, 2007)
    • अदालत ने माना कि पत्नी का लंबे समय तक पति के साथ न रहना और बिना कारण मायके में टिके रहना Desertion है और तलाक का आधार है।
  3. सावित्री बनाम गोविंद (SC, 2016)
    • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि पत्नी पति को केवल प्रताड़ित करने या दबाव डालने के लिए मायके में रह रही है, तो यह Cruelty नहीं बल्कि Desertion माना जाएगा और पति को तलाक का अधिकार होगा।

प्रताड़ना (Cruelty) और परित्याग (Desertion) में अंतर

  • Cruelty (प्रताड़ना): इसमें शारीरिक या मानसिक यातना, अपमान, हिंसा या असहनीय व्यवहार शामिल होता है।
  • Desertion (परित्याग): इसमें साथी को छोड़ देना, उसके साथ न रहना और विवाहिक कर्तव्यों का परित्याग करना शामिल है।

यदि पत्नी केवल मायके में जाकर पति के साथ संबंध तोड़ देती है, तो यह प्रताड़ना नहीं बल्कि Desertion है।


पत्नी के मायके में रहने के वैध कारण

हालांकि, सभी मामलों में पत्नी का मायके में रहना Desertion नहीं माना जाएगा। यदि उसके पास ठोस कारण हैं, तो वह न्यायिक दृष्टि से उचित होगा, जैसे:

  1. पति द्वारा शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना।
  2. पति द्वारा भरण-पोषण न देना।
  3. पति का विवाहेतर संबंध।
  4. गंभीर स्वास्थ्य या सुरक्षा कारण।

लेकिन यदि ऐसे कोई कारण मौजूद नहीं हैं और पत्नी केवल बिना वजह मायके में रह रही है, तो पति के पक्ष में अदालत जाएगी।


पति के अधिकार

यदि पत्नी बिना कारण लंबे समय तक मायके में रहती है, तो पति के पास निम्न अधिकार हैं:

  1. तलाक का दावा: हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1)(ib) के तहत Desertion का आधार लेकर।
  2. Restitution of Conjugal Rights (धारा 9 HMA): पत्नी को दांपत्य जीवन में वापस लाने के लिए वाद दायर करना।
  3. झूठे मामलों से सुरक्षा: BNS 2023 के अंतर्गत पति को झूठे आरोपों से सुरक्षा दी गई है।
  4. भरण-पोषण का प्रतिरोध: यदि पत्नी Desertion की दोषी है, तो उसे धारा 125 CrPC या अन्य प्रावधानों के तहत Maintenance नहीं दिया जाएगा।

व्यावहारिक दृष्टिकोण

आज की स्थिति में न्यायालय इस मुद्दे को बड़ी गंभीरता से देख रहे हैं।

  • यदि पत्नी केवल “इच्छा” से मायके में रह रही है, तो अदालतें पति को राहत देती हैं।
  • आधुनिक न्यायशास्त्र पति-पत्नी दोनों से यह अपेक्षा करता है कि वे विवाह को निभाने का वास्तविक प्रयास करें।
  • लेकिन एकतरफा त्याग (Desertion) विवाह संस्था के साथ धोखा है और कानून इसे स्वीकार नहीं करता।

आलोचना और सामाजिक पहलू

कुछ लोग मानते हैं कि इस तरह के मामलों में कानून अक्सर पति के पक्ष में चला जाता है, जिससे महिलाओं की सुरक्षा कमजोर हो सकती है। लेकिन वास्तविकता यह है कि कानून संतुलित दृष्टिकोण अपनाता है—जहां पत्नी के पास वास्तविक कारण है तो उसे संरक्षण मिलता है, लेकिन बिना कारण त्याग पति के साथ अन्याय है।


निष्कर्ष

यदि पत्नी बिना किसी ठोस कारण के एक वर्ष से अधिक समय तक मायके में रह रही है, तो यह भारतीय कानून के अनुसार Desertion (परित्याग) है, न कि Cruelty (प्रताड़ना)। Hindu Marriage Act, 1955 की धारा 13(1)(ib) और BNS 2023 के प्रावधानों के अनुसार यह तलाक का मजबूत आधार है।

इस स्थिति में पति कुछ नहीं कर पाएगा सिवाय कानूनी रास्ता अपनाने के—क्योंकि विवाह तभी चल सकता है जब दोनों पक्ष अपनी जिम्मेदारियां निभाएं। यदि पत्नी ने स्वयं ही इस बंधन को त्याग दिया है, तो कानून पति के पक्ष में खड़ा होगा और उसे तलाक का अधिकार देगा।