पंजीकृत क्रेन व एक्सकैवेटर भी ‘मोटर वाहन’ की श्रेणी में: सड़क उपयोग की अनुमति हो तो बीमा कंपनी होगी दुर्घटना के लिए उत्तरदायी — मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए यह स्पष्ट किया है कि यदि कोई क्रेन या एक्सकैवेटर सड़क पर उपयोग के लिए पंजीकृत है और उसे रोड का परमिट प्राप्त है, तो वह मोटरयान अधिनियम (Motor Vehicles Act) के तहत ‘मोटर व्हीकल’ माना जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि बीमा कंपनी की देयता (Liability) केवल इस आधार पर समाप्त नहीं हो सकती कि दुर्घटना खदान (Mine) के अंदर हुई थी। यह निर्णय मोटर दुर्घटना दावों (Motor Accident Claims) से जुड़े मामलों में एक महत्वपूर्ण नज़ीर स्थापित करता है।
भूमिका
मोटरयान अधिनियम के अंतर्गत ‘मोटर वाहन’ की परिभाषा व्यापक है, जिसमें न केवल सड़क पर चलने वाले सामान्य वाहन बल्कि वे मशीनें भी शामिल हो सकती हैं जो सड़क पर उपयोग के लिए पंजीकृत होती हैं। एक्सकैवेटर, क्रेन, जेसीबी आदि जैसी भारी मशीनरी कई बार सड़कों का उपयोग न भी करे, फिर भी वे मोटर व्हीकल के रूप में पंजीकृत होती हैं। ऐसे कई मामलों में बीमा कंपनियां यह तर्क देती हैं कि मशीनरी का उपयोग सड़क पर नहीं था या दुर्घटना किसी खदान/कारखाने/प्रोजेक्ट क्षेत्र में हुई थी, इसलिए बीमा पॉलिसी लागू नहीं होती।
इन्हीं विवादित परिस्थितियों में आया मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का यह निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मामले की पृष्ठभूमि
मामले में एक एक्सकैवेटर दुर्घटनाग्रस्त होने से एक व्यक्ति घायल हुआ/मृत हुआ (केस फैक्ट के अनुसार)। पीड़ित पक्ष ने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) में मुआवजा याचिका दायर की।
बीमा कंपनी ने दावा किया कि—
- एक्सकैवेटर सड़क पर चलने वाला वाहन नहीं है, इसलिए मोटरयान अधिनियम लागू नहीं होता।
- दुर्घटना खदान परिसर में हुई, जहां सामान्य सड़क यातायात नियम लागू नहीं होते।
- बीमा कंपनी की देयता केवल सड़क उपयोग के लिए कवर्ड है।
इसी आधार पर बीमा कंपनी ने मुआवजे से स्वयं को मुक्त करने की मांग की।
MACT ने बीमा कंपनी की दलीलों को अस्वीकार करते हुए मुआवजा देने का आदेश दिया। बीमा कंपनी ने इसी आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दाखिल की।
हाईकोर्ट के समक्ष मुख्य प्रश्न
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मामले में निम्न प्रमुख प्रश्नों पर विचार किया—
- क्या एक्सकैवेटर/क्रेन यदि पंजीकृत हो और सड़क पर उपयोग की अनुमति रखता हो, तो उसे मोटर वाहन माना जाएगा?
- क्या बीमा कंपनी यह कहकर अपनी देयता से बच सकती है कि दुर्घटना किसी खदान या निजी परिसर में हुई?
- क्या खदान के अंदर हुए हादसे पर मोटरयान अधिनियम लागू होगा?
- क्या बीमा पॉलिसी केवल सड़क दुर्घटनाओं के लिए ही लागू होती है?
इन सभी प्रश्नों का कोर्ट ने स्पष्ट समाधान दिया।
कोर्ट की विस्तृत व्याख्या
1. एक्सकैवेटर/क्रेन ‘मोटर वाहन’ है
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि—
- वाहन पंजीकृत है,
- रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र (RC) जारी हुआ है,
- वाहन सड़क उपयोग के लिए सक्षम घोषित किया गया है,
तो वह मोटरयान अधिनियम की परिभाषा के अंदर मोटर वाहन है, चाहे उसकी रोजमर्रा की गतिविधि सड़क पर चलना हो या न हो।
अदालत ने कहा:
“यदि वाहन सड़क पर चलने योग्य है और विधि के अनुसार पंजीकृत है, तो उसे मोटर वाहन न मानना विधि के उद्देश्य के विपरीत है।”
2. दुर्घटना खदान में होना भी बीमा देयता समाप्त नहीं करता
कोर्ट ने यह कहा कि दुर्घटना का स्थान इस बात का निर्धारण करने का आधार नहीं हो सकता कि बीमा कंपनी जिम्मेदार है या नहीं।
यदि—
- वाहन पंजीकृत था,
- बीमा करवाया गया था,
- वाहन में मोटर फिट है और वह चलने में सक्षम है,
तो दुर्घटना किसी भी स्थान पर हो — सड़क, खदान, फैक्ट्री, साइट — बीमा कंपनी की देयता बनी रहती है।
यहाँ कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के कई फैसलों का उल्लेख किया, विशेषत: उन मामलों का जिनमें खदान और फैक्ट्री क्षेत्र में हुई दुर्घटनाओं को भी कवर्ड माना गया था।
3. बीमा पॉलिसी वाहन के संपूर्ण उपयोग को कवर करती है
बीमा कंपनी का दावा था कि खदान में उपयोग ‘सड़क उपयोग’ नहीं है, इसलिए पॉलिसी लागू नहीं होती। कोर्ट ने इसे गलत माना और कहा—
- बीमा पॉलिसी में यदि कोई विशेष अपवाद (Exclusion Clause) नहीं है,
- और वाहन विधिक रूप से पंजीकृत है,
तो बीमा कंपनी अपने दायित्व से पीछे नहीं हट सकती।
कोर्ट का निर्णय
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा—
- एक्सकैवेटर/क्रेन मोटर वाहन है।
- बीमा कंपनी दुर्घटना के लिए जिम्मेदार है।
- MACT द्वारा दिए गए मुआवजे के आदेश में कोई त्रुटि नहीं।
इस प्रकार बीमा कंपनी की अपील को खारिज किया गया।
फैसले का महत्व
यह निर्णय कई कारणों से महत्वपूर्ण है—
1. मोटर वाहन की परिभाषा का विस्तार
यह स्पष्ट करता है कि मोटर वाहन सिर्फ कार, बाइक, ट्रक नहीं होते; भारी मशीनरी भी मोटर वाहन हो सकती है यदि वह पंजीकृत है।
2. बीमा दावा अस्वीकृत करने की प्रवृत्ति पर रोक
बीमा कंपनियां अक्सर तकनीकी आधार पर दावा अस्वीकार करती हैं; इस निर्णय से ऐसी प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा।
3. खदान, निर्माण स्थल, औद्योगिक क्षेत्रों की सुरक्षा
इन क्षेत्रों में भारी मशीनें अधिक दुर्घटनाएँ करती हैं; पीड़ितों को मुआवजा पाने में सुविधा होगी।
4. मजदूरों/ऑपरेटरों के हितों की रक्षा
निर्णय से यह सुनिश्चित हुआ कि—
“जहां भी वाहन चलाया जा रहा है, वहां होने वाली दुर्घटनाओं में बीमा कंपनी जिम्मेदार होगी।”
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का यह निर्णय मोटर वाहन दावों से जुड़े कानूनी विवादों में एक महत्वपूर्ण दिशा प्रदान करता है। यह न केवल मोटर वाहन की परिभाषा को स्पष्ट करता है बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि बीमा कंपनियां तकनीकी आधार का उपयोग करके अपने दायित्वों से नहीं बच सकतीं।
यह फैसला उन मजदूरों, ऑपरेटरों और आम नागरिकों के हितों की रक्षा करता है जो भारी मशीनरी वाली साइटों—जैसे खदान, निर्माण स्थल और औद्योगिक परियोजनाओं—में काम करते हैं। निर्णय से यह सिद्ध होता है कि—
“जहां वाहन चल रहा है, वहां बीमा भी प्रभावी है।”