शीर्षक: “नियोजित क्षेत्राधिकार क्लॉज वैध: सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय — Rakesh Kumar Verma v. HDFC Bank Ltd“
(Exclusive Jurisdiction Clauses in Employment Contracts Not Hit by Section 28 of the Indian Contract Act)
परिचय:
संविदा कानून में न्यायालय क्षेत्राधिकार से संबंधित प्रावधानों की वैधता को लेकर वर्षों से भ्रम बना हुआ है, विशेषकर जब यह मामला रोजगार अनुबंधों (employment contracts) से जुड़ा हो। Rakesh Kumar Verma v. HDFC Bank Ltd में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक अहम निर्णय देते हुए स्पष्ट किया कि नियोजित क्षेत्राधिकार (Exclusive Jurisdiction) क्लॉज रोजगार अनुबंधों में वैध और प्रवर्तनीय होते हैं, और इन पर भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 28 की रोक लागू नहीं होती।
मामले की पृष्ठभूमि:
राकेश कुमार वर्मा द्वारा दायर याचिका में यह मुद्दा उठा कि उनके रोजगार अनुबंध में एक क्लॉज था, जिसमें कहा गया था कि अनुबंध से संबंधित किसी भी विवाद की सुनवाई केवल एक विशेष स्थान की अदालत में होगी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह क्लॉज अनुचित है और भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 की धारा 28 के अंतर्गत शून्य (void) है, क्योंकि यह कानूनी उपायों को अनुचित रूप से प्रतिबंधित करता है।
मुख्य कानूनी प्रश्न:
- क्या रोजगार अनुबंध में शामिल “Exclusive Jurisdiction” क्लॉज भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 28 के अधीन शून्य (void) माना जाएगा?
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपनी राय दी:
- अनुबंध स्वतंत्रता का सिद्धांत (Doctrine of Freedom of Contract):
- न्यायालय ने माना कि जब कोई पक्ष दोनों संभव क्षेत्राधिकारों में से किसी एक को चुनकर अनुबंध में स्पष्ट रूप से उसे निर्धारित करता है, तो यह वैध विकल्प है।
- यह चयन तब तक वैध माना जाएगा जब तक कि वह किसी अवैध उद्देश्य या धोखाधड़ी पर आधारित न हो।
- धारा 28 की व्याख्या:
- धारा 28 केवल उन अनुबंधों को अमान्य करती है जो किसी व्यक्ति को कानूनी उपायों को पूरी तरह समाप्त करने या निर्धारित अवधि में कानूनी कार्रवाई करने से रोकते हैं।
- लेकिन जहां एक पक्ष क्षेत्राधिकार की संभावित अदालतों में से किसी एक अदालत को अनुबंध द्वारा चुनता है, वह कानूनी उपाय से वंचित नहीं होता, इसलिए धारा 28 का उल्लंघन नहीं होता।
- पूर्व निर्णयों का समर्थन:
- न्यायालय ने Hakam Singh v. Gammon (India) Ltd. और Swastik Gases Pvt. Ltd. v. Indian Oil Corporation Ltd. जैसे मामलों का हवाला दिया, जिसमें इसी तरह के क्लॉज को वैध माना गया है।
निर्णय का प्रभाव:
- यह निर्णय भारत में कार्यरत निजी कंपनियों और बहुराष्ट्रीय संगठनों को स्पष्टता प्रदान करता है कि वे अपने रोजगार अनुबंधों में विशिष्ट क्षेत्राधिकार क्लॉज शामिल कर सकते हैं।
- यह निर्णय श्रमिकों के लिए भी एक चेतावनी है कि वे अनुबंधों को पढ़कर समझें क्योंकि क्षेत्राधिकार क्लॉज वैध माने जाएंगे।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय रोजगार अनुबंधों में अनुबंध स्वतंत्रता को बल प्रदान करता है और यह स्पष्ट करता है कि Exclusive Jurisdiction Clauses को केवल इस आधार पर शून्य नहीं ठहराया जा सकता कि वे एक विशेष अदालत को ही विवाद निपटान का अधिकार देते हैं। जब तक ऐसा क्लॉज सहमति, निष्पक्षता और वैधानिक प्रक्रिया के अनुसार बनाया गया है, वह संविधान और संविदा कानून के अनुरूप वैध रहेगा।