“धारा 478 BNS, 2023: बिना वारंट गिरफ्तारी और गरीब अभियुक्तों की जमानत से जुड़ी विशेष कानूनी सुरक्षा”

लेख शीर्षक:
“धारा 478 BNS, 2023: बिना वारंट गिरफ्तारी और गरीब अभियुक्तों की जमानत से जुड़ी विशेष कानूनी सुरक्षा”


परिचय:
भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS), 2023 की धारा 478 अभियुक्त के बिना वारंट गिरफ्तारी और बाइलबल अपराध की स्थिति में जमानत की प्रक्रिया को स्पष्ट करती है। यह धारा न्याय तक समान पहुंच और गरीब अभियुक्तों के अधिकारों की रक्षा का संवैधानिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। इस लेख में हम धारा 478 की सभी प्रमुख विशेषताओं को सरल और व्यावहारिक भाषा में समझेंगे।


📘 धारा 478: प्रमुख विशेषताएं

🔹 1. बिना वारंट गिरफ्तारी और बाइलबल अपराध पर लागू

यह धारा उन मामलों पर लागू होती है:

  • जहाँ पुलिस ने किसी व्यक्ति को बिना वारंट गिरफ्तार किया हो, और
  • उसका अपराध बाइलबल (जमानती) हो, यानी वह स्वाभाविक रूप से जमानत का हकदार हो।

🔹 2. जमानत देने को तैयार हो, तो रिहाई का हकदार

यदि अभियुक्त जमानत देने के लिए तैयार है और उपयुक्त जमानती उपलब्ध करा देता है, तो उसे तत्काल रिहा किया जाना चाहिए। यह उसका कानूनी अधिकार है।

🔹 3. गरीबी के आधार पर ‘स्वयं के बांड’ पर रिहाई

अगर अभियुक्त:

  • जमानत की राशि या जमानती नहीं दे सकता है,
  • और वह गरीबी के कारण असमर्थ है,
    तो उसे स्वयं के निजी बांड पर रिहा किया जा सकता है।
    👉 यह गरीब व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण प्रावधान है।

🔹 4. 7 दिन में जमानत न देने पर ‘गरीब’ माना जाएगा

यदि गिरफ्तार अभियुक्त 7 दिन तक जमानत नहीं दे पाता,
तो यह माना जाएगा कि वह गरीब है, और तब उसे निजी बांड पर रिहा किया जा सकता है।

🔹 5. अन्य धाराओं से अप्रभावित

यह धारा विशेष रूप से यह भी कहती है कि यह:

  • धारा 135(3) (अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत अस्वीकार), और
  • धारा 492 (कठोर अपराधों में रिहाई पर रोक),
    से प्रभावित नहीं होगी, अर्थात इस धारा की स्वतंत्र और सर्वोपरि स्थिति है।

🔹 6. बांड की शर्तों के उल्लंघन पर जमानत अस्वीकार

यदि अभियुक्त अपने बांड की शर्तों का उल्लंघन करता है,
तो अगली बार उसे जमानत देने से न्यायालय इनकार कर सकता है।
👉 यह अभियुक्त पर कानूनी अनुशासन बनाए रखने का माध्यम है।

🔹 7. बांड की राशि की वसूली की कार्यवाही संभव

यदि अभियुक्त शर्तों के उल्लंघन के कारण बांड की राशि forfeited (जब्त) होती है,
तो न्यायालय धारा 491 के अंतर्गत वसूली की कार्रवाई शुरू कर सकता है।


⚖️ कानूनी उद्देश्य और महत्व

  • यह धारा गरीब और कमजोर वर्ग के अभियुक्तों को राहत प्रदान करती है,
  • पुलिस द्वारा मनमानी और गैर-जरूरी हिरासत को रोकती है,
  • और जमानत के संवैधानिक सिद्धांतबेल इज ए रूल, जेल इज एन एक्सेप्शन – को लागू करती है।

📌 निष्कर्ष:

धारा 478, BNS, 2023 जमानत की प्रक्रिया में समानता, पारदर्शिता और मानवीय दृष्टिकोण को शामिल करती है। यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी व्यक्ति केवल इसलिए जेल में न रहे क्योंकि वह जमानत की राशि नहीं दे सकता। यह धारा विशेष रूप से गरीब अभियुक्तों की न्याय तक पहुंच को सशक्त बनाती है।