धारा 106, भारतीय न्याय संहिता, 2023 : लापरवाही से मृत्यु कारित करना (Causing Death by Negligence)
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) का मुख्य उद्देश्य आपराधिक विधि को अधिक स्पष्ट, सरल और समयानुकूल बनाना है। इसके अंतर्गत कई पुराने प्रावधानों को संशोधित किया गया है और समाज की बदलती आवश्यकताओं के अनुसार नए प्रावधान भी सम्मिलित किए गए हैं। धारा 106 विशेष रूप से लापरवाही से मृत्यु कारित करने (Causing Death by Negligence) के अपराध से संबंधित है। यह धारा पूर्व भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 304A के समकक्ष है, किंतु इसमें कुछ संशोधनों के साथ इसे प्रस्तुत किया गया है।
1. धारा 106 का विधिक प्रावधान
धारा 106, भारतीय न्याय संहिता, 2023 में कहा गया है:
“जो कोई भी किसी ऐसे उतावले या लापरवाह कार्य से किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करता है, जो अपराध ‘दोषपूर्ण हत्या’ (culpable homicide) का अपराध न हो, उसे दो वर्ष तक के कारावास, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।”
2. उद्देश्य
धारा 106 का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी लापरवाही या असावधानी के कारण किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु कारित करता है, तो उसे दंडित किया जाए, भले ही उसका उद्देश्य हत्या करने का न हो। यह प्रावधान ऐसे मामलों को नियंत्रित करता है जहां “इरादा (intention)” या “ज्ञान (knowledge)” की कमी होती है, किंतु लापरवाह आचरण के कारण गंभीर परिणाम उत्पन्न होते हैं।
3. अपराध के आवश्यक तत्व (Essential Ingredients)
धारा 106 के अंतर्गत अपराध स्थापित करने के लिए निम्नलिखित तत्व आवश्यक हैं:
- मृत्यु का होना (Causing Death): किसी व्यक्ति की मृत्यु होनी चाहिए।
- लापरवाह या उतावला कार्य (Rash or Negligent Act): मृत्यु ऐसे कार्य के कारण होनी चाहिए, जिसमें लापरवाही या उतावलेपन का तत्व हो।
- दोषपूर्ण हत्या का अभाव (Not Amounting to Culpable Homicide): कार्य ऐसा न हो जो ‘दोषपूर्ण हत्या’ की श्रेणी में आए।
- कारण-परिणाम संबंध (Causal Connection): कार्य और मृत्यु के बीच प्रत्यक्ष संबंध होना चाहिए।
4. दंड का प्रावधान
- कारावास: दो वर्ष तक
- जुर्माना: न्यायालय के विवेकानुसार
- या दोनों
यह दंड अपेक्षाकृत हल्का है क्योंकि अपराध में इरादतन हत्या का तत्व नहीं होता, बल्कि यह केवल असावधानी या लापरवाही के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है।
5. व्यावहारिक उदाहरण (Practical Examples)
- चिकित्सकीय लापरवाही (Medical Negligence): यदि कोई चिकित्सक उचित देखभाल न करके, गलत दवा देकर या आवश्यक सावधानियां न बरतकर किसी रोगी की मृत्यु कारित करता है।
- सड़क दुर्घटना (Road Accidents): यदि कोई वाहन चालक नशे की हालत में, तेज गति से या बिना यातायात नियमों का पालन किए वाहन चलाकर किसी की मृत्यु कारित करता है।
- निर्माण कार्य में लापरवाही (Negligence in Construction): यदि किसी इमारत या मशीनरी के रख-रखाव में लापरवाही से कार्य किया जाता है और उसके ढह जाने से मृत्यु हो जाती है।
6. न्यायिक दृष्टिकोण (Judicial Interpretation)
भारतीय न्यायालयों ने कई मामलों में यह स्पष्ट किया है कि—
- लापरवाही मात्र त्रुटि नहीं है, बल्कि ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति साधारण सावधानी बरतने में विफल रहता है।
- उतावलेपन का अर्थ है ऐसा कार्य करना जिसमें संभावित परिणामों पर ध्यान न दिया गया हो।
- चिकित्सकीय लापरवाही के मामलों में डॉक्टर को तभी दोषी ठहराया जाएगा जब उसका आचरण सामान्य मानक से बहुत नीचे हो।
7. पूर्ववर्ती कानून से तुलना (Comparison with IPC, 1860)
- भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 304A में भी यही प्रावधान था।
- भारतीय न्याय संहिता, 2023 में इसे धारा 106 के अंतर्गत रखा गया है।
- भाषा को अधिक सरल और स्पष्ट बनाया गया है।
- दंड की सीमा वही रखी गई है (दो वर्ष तक का कारावास या जुर्माना)।
8. धारा 106 का महत्व
- यह धारा समाज में सावधानी और सतर्कता बनाए रखने के लिए प्रेरित करती है।
- यह व्यक्ति को यह चेतावनी देती है कि असावधानी या लापरवाही से किया गया कार्य भी गंभीर अपराध का रूप ले सकता है।
- यह पीड़ित के परिवार को न्याय प्रदान करने का माध्यम बनती है।
9. आलोचना (Criticism)
- कई विधि विशेषज्ञों का मानना है कि दो वर्ष तक की सजा बहुत कम है, विशेषकर गंभीर सड़क दुर्घटनाओं या बड़े पैमाने पर हुई लापरवाही के मामलों में।
- इसमें “लापरवाही” और “उतावलेपन” की परिभाषा स्पष्ट नहीं है, जिससे न्यायालयों में विवेचना पर निर्भरता बढ़ जाती है।
10. निष्कर्ष (Conclusion)
धारा 106, भारतीय न्याय संहिता, 2023 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति केवल अपनी लापरवाही या उतावलेपन से यदि किसी अन्य की मृत्यु का कारण बनता है, तो उसे कानूनन दंडित किया जाएगा। यह धारा न्याय और सामाजिक उत्तरदायित्व दोनों के बीच संतुलन बनाती है। भले ही इसमें इरादा न हो, किंतु समाज के लिए खतरनाक लापरवाही पर अंकुश लगाना आवश्यक है। यह प्रावधान यह संदेश देता है कि कानून केवल हत्या के इरादे पर ही नहीं, बल्कि असावधानी से हुई मृत्यु पर भी कठोर दृष्टिकोण अपनाता है।
धारा 106, भारतीय न्याय संहिता 2023 : परीक्षा-उपयोगी प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. धारा 106, भारतीय न्याय संहिता 2023 का मूल प्रावधान लिखिए।
उत्तर:
धारा 106 में यह प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति किसी उतावले या लापरवाह कार्य द्वारा किसी अन्य की मृत्यु कारित करता है और वह अपराध दोषपूर्ण हत्या (Culpable Homicide) की श्रेणी में न आता हो, तो उसे दो वर्ष तक के कारावास, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
प्रश्न 2. धारा 106 का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
इस धारा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु किसी अन्य की लापरवाही या उतावलेपन से हो जाती है, तो उसे दंडित किया जा सके, भले ही उसका हत्या करने का कोई इरादा (intention) या ज्ञान (knowledge) न हो। यह समाज में सावधानी और उत्तरदायित्व की भावना पैदा करता है।
प्रश्न 3. धारा 106 के अंतर्गत अपराध सिद्ध करने के आवश्यक तत्व (Ingredients) कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
धारा 106 के लिए आवश्यक तत्व इस प्रकार हैं—
- किसी व्यक्ति की मृत्यु होना।
- मृत्यु का कारण उतावले या लापरवाह कार्य का होना।
- कार्य दोषपूर्ण हत्या (culpable homicide) की श्रेणी में न आना।
- कार्य और मृत्यु के बीच प्रत्यक्ष कारण-परिणाम संबंध होना।
प्रश्न 4. धारा 106 के अंतर्गत दंड का प्रावधान क्या है?
उत्तर:
इस धारा के अंतर्गत—
- दो वर्ष तक का कारावास,
- अथवा जुर्माना,
- अथवा दोनों का प्रावधान है।
दंड अपेक्षाकृत हल्का है क्योंकि इसमें हत्या का इरादा नहीं होता, केवल लापरवाही होती है।
प्रश्न 5. धारा 106 के अंतर्गत लापरवाही (Negligence) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
लापरवाही का अर्थ है वह स्थिति जब कोई व्यक्ति साधारण सावधानी (reasonable care) बरतने में विफल रहता है और उसके कारण किसी अन्य व्यक्ति को मृत्यु का सामना करना पड़ता है। यह केवल साधारण गलती नहीं है, बल्कि वह आचरण है जिसमें गंभीर असावधानी या उतावलापन शामिल हो।
प्रश्न 6. धारा 106 के अंतर्गत आने वाले अपराधों के व्यावहारिक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- सड़क दुर्घटना, जहाँ चालक तेज गति या नशे की हालत में गाड़ी चलाकर मृत्यु कारित करता है।
- चिकित्सकीय लापरवाही, जैसे डॉक्टर द्वारा गलत दवा देना।
- निर्माण कार्य में लापरवाही, जिससे इमारत गिरकर मृत्यु हो जाए।
प्रश्न 7. धारा 106 और दोषपूर्ण हत्या (Culpable Homicide) में क्या अंतर है?
उत्तर:
- धारा 106: इसमें इरादा (intention) या ज्ञान (knowledge) का अभाव होता है, केवल लापरवाही या उतावलापन होता है।
- दोषपूर्ण हत्या: इसमें अपराधी को मृत्यु कारित करने का इरादा या परिणाम की संभावना का ज्ञान होता है।
इस प्रकार धारा 106 कम गंभीर अपराध है, जबकि दोषपूर्ण हत्या अधिक गंभीर अपराध है।
प्रश्न 8. न्यायालयों द्वारा धारा 106 की क्या व्याख्या की गई है?
उत्तर:
भारतीय न्यायालयों ने माना है कि—
- लापरवाही मात्र त्रुटि नहीं है, बल्कि साधारण सावधानी न बरतना है।
- उतावला कार्य वह है जिसमें संभावित परिणामों पर ध्यान नहीं दिया गया।
- चिकित्सकीय लापरवाही के मामलों में तभी दंड होगा जब डॉक्टर का आचरण सामान्य मानक से बहुत नीचे हो।
प्रश्न 9. धारा 106 की तुलना भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 304A से कीजिए।
उत्तर:
- IPC की धारा 304A में भी लापरवाही से मृत्यु कारित करने का ही प्रावधान था।
- BNS, 2023 में इसे धारा 106 के रूप में स्थानांतरित किया गया है।
- भाषा को अधिक स्पष्ट और सरल बनाया गया है।
- दंड की सीमा वही है (दो वर्ष तक का कारावास या जुर्माना)।
प्रश्न 10. धारा 106 का महत्व और आलोचना स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
महत्व:
- यह समाज में उत्तरदायित्व और सावधानी बनाए रखने का साधन है।
- लापरवाही से हुई मृत्यु पर भी न्याय सुनिश्चित करती है।
आलोचना:
- दो वर्ष तक का दंड गंभीर दुर्घटनाओं के मामलों में अपर्याप्त माना जाता है।
- लापरवाही और उतावलेपन की स्पष्ट परिभाषा न होने से विवेचना पर अधिक निर्भरता रहती है।
धारा 106 BNS, 2023 : महत्वपूर्ण केस लॉ (Case Laws)
1. Jacob Mathew v. State of Punjab (2005) 6 SCC 1
- तथ्य: एक डॉक्टर ने ऑक्सीजन सिलेंडर समय पर उपलब्ध न कर पाने की वजह से मरीज की मृत्यु हो गई।
- निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चिकित्सकीय लापरवाही तभी आपराधिक बनती है जब डॉक्टर का आचरण सामान्य चिकित्सा मानक से बहुत नीचे हो और यह ‘गंभीर लापरवाही’ (gross negligence) हो।
- सिद्धांत: हर चिकित्सकीय त्रुटि को आपराधिक लापरवाही नहीं माना जाएगा।
2. Kurban Hussein v. State of Maharashtra (1965) AIR 1616 (SC)
- तथ्य: एक फैक्ट्री मालिक ने उचित सुरक्षा उपाय नहीं अपनाए, जिससे आग लग गई और मृत्यु हो गई।
- निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 304A (अब BNS धारा 106) तभी लागू होगी जब लापरवाह कार्य और मृत्यु के बीच प्रत्यक्ष कारण-परिणाम संबंध हो।
3. Suleman Rahiman Mulani v. State of Maharashtra (1968) AIR 829 (SC)
- तथ्य: वाहन चालक ने तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए एक व्यक्ति को कुचल दिया।
- निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अत्यधिक गति और यातायात नियमों की अनदेखी आपराधिक लापरवाही है।
4. P.B. Desai v. State of Maharashtra (2013) 15 SCC 481
- निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर तभी जिम्मेदार ठहराया जाएगा जब यह सिद्ध हो कि उसने “उचित सावधानी और कौशल” का पालन नहीं किया।
5. Naresh Giri v. State of M.P. (2001) 9 SCC 615
- तथ्य: एक वाहन चालक ने उतावलेपन से गाड़ी चलाते हुए पैदल यात्री की मृत्यु कारित की।
- निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में धारा 304A (अब धारा 106 BNS) पूरी तरह लागू होती है क्योंकि यह केवल लापरवाही से हुई मृत्यु है, न कि जानबूझकर।
Case Laws को Q&A में कैसे जोड़ें?
👉 उदाहरण के लिए —
प्रश्न 8. न्यायालयों द्वारा धारा 106 की क्या व्याख्या की गई है?
उत्तर (संवर्धित):
भारतीय न्यायालयों ने धारा 106 (पूर्व धारा 304A IPC) की व्याख्या करते हुए कहा है—
- Jacob Mathew v. State of Punjab (2005): चिकित्सकीय लापरवाही तभी अपराध बनेगी जब यह गंभीर (gross) स्तर की हो।
- Suleman Rahiman Mulani v. State of Maharashtra (1968): तेज गति और यातायात नियमों की अनदेखी आपराधिक लापरवाही है।
- Kurban Hussein v. State of Maharashtra (1965): कार्य और मृत्यु के बीच प्रत्यक्ष कारण-परिणाम होना चाहिए।
इस प्रकार न्यायालयों ने स्पष्ट किया है कि केवल साधारण त्रुटि या दुर्घटना अपराध नहीं है, बल्कि गंभीर लापरवाही ही धारा 106 के अंतर्गत दंडनीय है।