धर्मार्थ ट्रस्टों की कर छूट और निगरानी (Charitable Trusts: Tax Exemptions and Regulatory Oversight – लॉन्ग लेख)
🔷 प्रस्तावना
धर्मार्थ ट्रस्ट समाज में परोपकारी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए गठित किए जाते हैं। ये ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य, निर्धनों की सहायता, पर्यावरण संरक्षण, महिला और बाल कल्याण जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। सरकार इन्हें कर राहत प्रदान करती है ताकि ये संस्थाएं अधिक प्रभावी ढंग से जनसेवा कर सकें। परंतु इस छूट का दुरुपयोग न हो, इसके लिए सरकार ने कठोर निगरानी व्यवस्था और नियमित ऑडिट की व्यवस्था भी की है।
🔷 धर्मार्थ ट्रस्ट की परिभाषा
भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के अंतर्गत गठित धर्मार्थ ट्रस्ट, वे गैर-लाभकारी संस्थाएं होती हैं जो किसी सार्वजनिक उद्देश्य जैसे शिक्षा, चिकित्सा, राहत कार्य, या धार्मिक सेवा हेतु कार्य करती हैं। इन ट्रस्टों को “Public Charitable Trust” कहा जाता है।
🔷 कर छूट का उद्देश्य
सरकार इन ट्रस्टों को कर में छूट इसलिए देती है ताकि—
- जनसेवा प्रोत्साहित हो
- गरीब एवं वंचित वर्ग को अधिक सहायता मिल सके
- समाज में निजी योगदान बढ़े
- परोपकारी संस्थाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हो
🔷 कर छूट के लिए आवश्यक पंजीकरण
धर्मार्थ ट्रस्ट को कर छूट पाने के लिए आयकर अधिनियम, 1961 के अंतर्गत विशेष पंजीकरण आवश्यक होता है:
1. धारा 12A पंजीकरण –
इसका उद्देश्य ट्रस्ट की आय को कर मुक्त करना है। यदि ट्रस्ट ने यह पंजीकरण नहीं कराया हो, तो उसकी समस्त आय पर आयकर लागू हो सकता है।
2. धारा 80G प्रमाणन –
यह दानदाताओं को उनके दान पर आयकर में छूट का लाभ देता है। यदि ट्रस्ट के पास 80G प्रमाणन है, तो दाता अपनी आयकर रिटर्न में उस दान को घटा सकता है।
3. धारा 10(23C) और धारा 11 –
धर्मार्थ ट्रस्ट को आयकर अधिनियम की इन धाराओं के अंतर्गत भी विशेष छूटें मिलती हैं यदि वे संबंधित शर्तों का पालन करते हैं।
🔷 कर छूट हेतु आवश्यक शर्तें
- ट्रस्ट को किसी भी लाभ या व्यक्तिगत उपयोग के उद्देश्य से कार्य नहीं करना चाहिए।
- ट्रस्ट की आय का कम-से-कम 85% उस वित्तीय वर्ष में परोपकारी उद्देश्यों पर खर्च किया जाना चाहिए।
- ट्रस्ट को वार्षिक आय एवं व्यय का लेखा परीक्षण (Audit) कराना अनिवार्य है।
- लाभ केवल सार्वजनिक हित में होना चाहिए, न कि किसी विशेष जाति, धर्म, या वर्ग तक सीमित।
🔷 पंजीकरण की प्रक्रिया (12A और 80G के लिए)
- आवेदन आयकर विभाग के अधीन आयुक्त (Exemption) के पास किया जाता है।
- ऑनलाइन आवेदन पोर्टल: www.incometax.gov.in
- आवश्यक दस्तावेज़:
- ट्रस्ट डीड की कॉपी
- PAN कार्ड
- ऑडिट रिपोर्ट (यदि उपलब्ध हो)
- पिछले वर्षों की गतिविधियों का विवरण
- बैंक खाता विवरण
🔷 निगरानी और अनुपालन व्यवस्था
सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कठोर निगरानी रखती है कि कर छूट का दुरुपयोग न हो।
1. वार्षिक रिपोर्टिंग:
- ट्रस्ट को फॉर्म 10B में ऑडिट रिपोर्ट और फॉर्म 10 में अनुपयुक्त आय का विवरण देना होता है।
- 80G स्वीकृत ट्रस्ट को प्राप्त दान की सूचना फॉर्म 10BD के माध्यम से देना अनिवार्य है।
2. रिटर्न फाइलिंग:
- ट्रस्ट को हर वर्ष आईटीआर-7 फॉर्म के माध्यम से आयकर रिटर्न दाखिल करना होता है।
3. कर समीक्षा एवं जांच:
- आयकर अधिकारी किसी भी समय ट्रस्ट के रिकॉर्ड की जांच कर सकते हैं।
- यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो ट्रस्ट की छूट रद्द की जा सकती है।
4. पुनःपंजीकरण और वैधता:
- 2021 से सभी धर्मार्थ ट्रस्टों को हर 5 वर्ष में नवीनीकरण कराना अनिवार्य हो गया है।
🔷 FCRA और विदेशी फंड की निगरानी (यदि लागू हो)
यदि कोई धर्मार्थ ट्रस्ट विदेशी फंड प्राप्त करता है, तो उसे FCRA (Foreign Contribution Regulation Act, 2010) के अंतर्गत पंजीकृत होना अनिवार्य है। इसमें:
- केवल स्वीकृत बैंक खाते में विदेशी अंशदान लिया जा सकता है।
- प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में फॉर्म FC-4 के माध्यम से विवरण देना होता है।
- फंड का उपयोग केवल अधिसूचित उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए।
🔷 कर छूट का दुरुपयोग और दंड
कुछ संस्थाएं कर छूट का दुरुपयोग भी करती हैं, जैसे:
- दिखावे के प्रकल्प
- नकली दानदाता
- स्वार्थ से जुड़ा व्यय
- लाभ का व्यक्तिगत उपयोग
ऐसी स्थिति में:
- 12A/80G पंजीकरण रद्द किया जा सकता है
- ब्याज और जुर्माने सहित कर वसूला जा सकता है
- आयकर और FCRA अधिनियम के तहत सजा और दंड हो सकते हैं
🔷 निष्कर्ष
धर्मार्थ ट्रस्टों की कर छूट एक अत्यंत लाभप्रद सुविधा है, जो परोपकारी संस्थाओं को उनके सामाजिक लक्ष्यों की पूर्ति में सहायता देती है। लेकिन इस छूट का लाभ केवल उन्हीं ट्रस्टों को मिलना चाहिए जो ईमानदारी, पारदर्शिता और समाजसेवा की भावना से कार्य करते हैं। सरकार की निगरानी व्यवस्था और कानूनी प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि यह तंत्र जनहित में सही दिशा में उपयोग हो। इसलिए, धर्मार्थ ट्रस्टों को चाहिए कि वे सभी कानूनी और लेखा मानदंडों का पालन करें।