शीर्षक: दिल्ली कोर्ट ने निजता के अधिकार को माना, पत्नी के अफेयर के आरोप में होटल की सीसीटीवी फुटेज मांगने वाली याचिका खारिज
लेख:
हाल ही में दिल्ली की एक अदालत ने निजता के अधिकार (Right to Privacy) की महत्ता को दोहराते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने एक व्यक्ति की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने अपनी पत्नी के कथित अफेयर की जांच के लिए एक होटल की सीसीटीवी फुटेज की मांग की थी।
याचिकाकर्ता का आरोप था कि उसकी पत्नी का विवाहेतर संबंध (extra-marital affair) है और उसने अदालत से मांग की कि एक विशेष दिन की होटल की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग प्रदान की जाए, ताकि वह अपने दावे को साबित कर सके।
हालाँकि, अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा आदेश निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा। न्यायालय ने कहा कि व्यक्ति की निजता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत संरक्षित है और इसे बिना पर्याप्त कानूनी आधार के भंग नहीं किया जा सकता।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि विवाहेतर संबंध, यदि कोई हो, तब भी वह किसी की निजता में अनधिकृत हस्तक्षेप का आधार नहीं बन सकता, जब तक कि कोई गंभीर आपराधिक मामला न हो।
महत्व:
यह निर्णय न्यायपालिका द्वारा निजता के अधिकार की रक्षा के प्रति सजगता का प्रतीक है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा “के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ” मामले में 2017 में दिए गए ऐतिहासिक फैसले को ध्यान में रखते हुए, निजता को एक मौलिक अधिकार घोषित किया गया था। दिल्ली कोर्ट का यह निर्णय उसी सिद्धांत की पुष्टि करता है।
निष्कर्ष:
यह मामला न्याय और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संतुलन स्थापित करने का एक उदाहरण बन गया है। अदालत ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि व्यक्तिगत रिश्तों के तनाव के बावजूद भी कानून निजता का सम्मान करना नहीं छोड़ता।