प्रश्न:
“दहेज की परिभाषा और प्रकारों की विस्तृत व्याख्या कीजिए। साथ ही यह बताइए कि यह अधिनियम भारतीय दंड संहिता की किन धाराओं से संबंधित है?”
उत्तर:
परिचय (Introduction):
भारतीय समाज में दहेज प्रथा एक प्राचीन लेकिन खतरनाक सामाजिक बुराई के रूप में व्याप्त रही है, जिसने न केवल महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया है, बल्कि कई बार उनकी मृत्यु का भी कारण बनी है। इसे रोकने के लिए दहेज निषेध अधिनियम, 1961 लागू किया गया। इस अधिनियम में दहेज की परिभाषा स्पष्ट की गई है और इससे जुड़े अपराधों को दंडनीय घोषित किया गया है।
1. दहेज की परिभाषा (Definition of Dowry):
दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 2 के अनुसार –
“दहेज” का अर्थ है – कोई भी संपत्ति, धन, मूल्यवान वस्तु जो विवाह से पहले, विवाह के समय या विवाह के बाद प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से वर (पति) या वधु (पत्नी) अथवा उनके माता-पिता या रिश्तेदारों को दी जाती है या देने का वचन दिया जाता है।
नोट: यदि कोई उपहार स्वेच्छा से और बिना किसी मांग के दिया गया हो, तो वह दहेज की श्रेणी में नहीं आता, लेकिन उसकी सीमा और रिकॉर्ड रखना अनिवार्य है।
2. दहेज के प्रकार (Types of Dowry):
दहेज को कई प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
(i) नकद दहेज (Cash Dowry):
विवाह के अवसर पर लड़के या उसके परिवार को नकद राशि देना – जैसे लाखों रुपये नकद।
(ii) चल संपत्ति (Movable Property):
गहने, गाड़ी, इलेक्ट्रॉनिक सामान, मोबाइल, बर्तन, फर्नीचर आदि।
(iii) अचल संपत्ति (Immovable Property):
प्लॉट, मकान, जमीन या फ्लैट इत्यादि।
(iv) वस्त्र एवं आभूषण (Clothing and Ornaments):
महंगी साड़ियाँ, सूट, सोने-चाँदी के आभूषण, घड़ियाँ आदि।
(v) उच्च शिक्षा या विदेश यात्रा:
लड़के को उच्च शिक्षा या विदेश यात्रा के लिए धन देना, जो विवाह के एवज में हो।
(vi) सेवा या लाभ की पेशकश (Services/Benefits):
सरकारी नौकरी लगवाने, व्यापार में पूंजी देने या किसी अन्य लाभ का वादा।
3. दहेज निषेध अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराएं:
(i) धारा 498A IPC – पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता (Cruelty):
- यदि कोई महिला अपने पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा दहेज के लिए प्रताड़ित की जाती है, तो यह अपराध माना जाएगा।
- सजा: 3 वर्ष तक की कारावास और जुर्माना।
(ii) धारा 304B IPC – दहेज मृत्यु (Dowry Death):
- यदि विवाह के 7 वर्ष के भीतर महिला की मृत्यु होती है और यह सिद्ध होता है कि उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया, तो यह दहेज मृत्यु मानी जाएगी।
- सजा: न्यूनतम 7 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक।
(iii) साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 113B (Section 113B of Evidence Act):
- यदि दहेज मृत्यु होती है, तो कोर्ट यह मान लेता है कि पति या उसके परिवार ने ही प्रताड़ना की है, जब तक कि वे इसका खंडन न करें।
निष्कर्ष (Conclusion):
दहेज एक ऐसी सामाजिक बुराई है जो आधुनिक समाज में भी परंपरा के नाम पर जीवित है। दहेज की परिभाषा और उसके विभिन्न रूपों को समझना आवश्यक है ताकि समाज में इसके प्रति जागरूकता फैलाई जा सके। दहेज निषेध अधिनियम, 1961 और IPC की धाराएं 498A और 304B ने इस कुप्रथा को कानूनी रूप से रोकने का प्रयास किया है, लेकिन इसके उन्मूलन के लिए समाज की मानसिकता में बदलाव और शिक्षा आवश्यक है।