“तारा हिल्स को ‘ग्रीन एरिया’ घोषित करने पर हिमाचल हाईकोर्ट की मुहर: बाहरी राज्यों के निवेशकों को झटका”

“तारा हिल्स को ‘ग्रीन एरिया’ घोषित करने पर हिमाचल हाईकोर्ट की मुहर: बाहरी राज्यों के निवेशकों को झटका”

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण याचिका को खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया है कि बिना वैध अनुमति के बाहरी राज्यों के निवासी हिमाचल प्रदेश में भूमि खरीद नहीं सकते, विशेषकर जब वह भूमि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संवेदनशील क्षेत्र में आती हो।

पृष्ठभूमि:

6 जून 2025 को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग, हिमाचल प्रदेश द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई, जिसमें सोलन जिले के तारा हिल्स क्षेत्र को ‘ग्रीन एरिया’ (Green Area) घोषित किया गया। इसका तात्पर्य यह है कि उस क्षेत्र में कोई नया निर्माण कार्य, वाणिज्यिक परियोजना या भूमि उपयोग परिवर्तन बिना राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के नहीं किया जा सकेगा।

याचिका की मुख्य बातें:

  • एक बाहरी राज्य के निवेशक (विविध विकास परियोजना से जुड़ा) ने इस अधिसूचना को चुनौती दी थी।
  • याचिकाकर्ता का तर्क था कि यह अधिसूचना मनमानी है और उसकी प्रस्तावित परियोजना के अधिकारों का उल्लंघन करती है।
  • याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि उसने भूमि खरीदने के लिए पहले से प्रक्रिया आरंभ कर दी थी।

हाईकोर्ट का निर्णय:

हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की:

  1. हिमाचल प्रदेश एक विशेष श्रेणी का राज्य है जहाँ भूमि संरक्षण एवं पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है।
  2. राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह पर्यावरण की रक्षा के लिए ग्रीन जोन निर्धारित करे और वहाँ अंधाधुंध शहरीकरण को रोके।
  3. बिना वैध अनुमति के कोई भी बाहरी व्यक्ति हिमाचल में भूमि नहीं खरीद सकता; यह प्रतिबंध हिमाचल प्रदेश टेनेंसी एंड लैंड रिफॉर्म्स एक्ट, 1972 के तहत है।
  4. याचिकाकर्ता के पास न तो वैध अनुमति थी और न ही पर्यावरणीय मंजूरी, अतः उसकी याचिका कानूनन निराधार है।

ग्रीन एरिया का महत्व:

‘ग्रीन एरिया’ घोषित करने का मुख्य उद्देश्य है:

  • प्राकृतिक वनों की रक्षा,
  • भू-स्खलन से सुरक्षा,
  • जल स्रोतों का संरक्षण,
  • और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना।

इस फैसले के प्रभाव:

  • बाहरी निवेशकों को अब जागरूक रहना होगा कि हिमाचल में कोई भी भूमि निवेश राज्य सरकार की अनुमति और अधिसूचनाओं के अनुसार ही संभव है।
  • यह निर्णय स्थानीय पारिस्थितिकी की रक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है।
  • भविष्य में ग्रीन एरिया घोषित इलाकों में किसी भी प्रकार के विकास कार्य के लिए अधिक कड़ी पर्यावरणीय और कानूनी जांच होगी।