डोमेस्टिक वॉयलेंस से कैसे मिले सुरक्षा? कानून क्या कहता है :

डोमेस्टिक वॉयलेंस से कैसे मिले सुरक्षा? कानून क्या कहता है :

🔷 प्रस्तावना

डोमेस्टिक वॉयलेंस (घरेलू हिंसा) आज भारत के हर वर्ग, क्षेत्र और समुदाय की एक गंभीर सामाजिक और कानूनी समस्या बन चुकी है। यह सिर्फ शारीरिक हिंसा तक सीमित नहीं है, बल्कि मानसिक, भावनात्मक, आर्थिक और यौन शोषण को भी अपने भीतर समेटे हुए है। भारत में महिलाओं की सुरक्षा हेतु “घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005” (Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005) लागू किया गया, जो पीड़ित महिलाओं को त्वरित राहत और न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।


🔷 घरेलू हिंसा क्या है?

घरेलू हिंसा का अर्थ है परिवार या घरेलू संबंधों में किसी महिला के साथ ऐसा व्यवहार करना जो उसकी शारीरिक, मानसिक, यौन, आर्थिक या भावनात्मक क्षति या उत्पीड़न का कारण बने।

यह हिंसा निम्न प्रकार की हो सकती है:

  1. शारीरिक हिंसा (Physical Abuse) – मारपीट, चोट पहुंचाना, बाल पकड़कर घसीटना आदि।
  2. मानसिक हिंसा (Emotional Abuse) – बार-बार ताने मारना, अपमान करना, धमकी देना, सामाजिक रूप से अलग-थलग करना।
  3. यौन हिंसा (Sexual Abuse) – जबरदस्ती संबंध बनाना, यौनिक रूप से प्रताड़ित करना।
  4. आर्थिक हिंसा (Economic Abuse) – महिला की कमाई को जबरदस्ती लेना, उसे खर्च के लिए पैसे न देना, वित्तीय निर्भरता को हथियार बनाना।

🔷 कानून क्या कहता है?

घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 (PWDVA, 2005) एक व्यापक कानून है जो केवल पत्नी ही नहीं बल्कि जीवनसाथी की तरह रहने वाली महिला, मां, बहन, बेटी, विधवा, तलाकशुदा महिला आदि को भी संरक्षण देता है।

इस कानून के तहत:

  • महिला को अपने ही घर में रहने का रहने का अधिकार (Right to Residence) मिलता है।
  • महिला को तुरंत सुरक्षा पाने के लिए प्रोटेक्शन ऑर्डर (Protection Order) मिल सकता है।
  • महिला की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भरण-पोषण आदेश (Monetary Relief) दिया जा सकता है।
  • यदि आवश्यक हो तो रोकथाम आदेश (Restraint Order) देकर हिंसक व्यक्ति को संपर्क से रोका जा सकता है।

🔷 कौन कर सकता है शिकायत?

  1. स्वयं पीड़िता (महिला)।
  2. कोई सामाजिक कार्यकर्ता या एनजीओ।
  3. पुलिस अधिकारी।
  4. महिला के रिश्तेदार या मित्र।

यह शिकायत प्रोटेक्शन ऑफिसर, महिला थाने, या सीधे न्यायालय में की जा सकती है।


🔷 कहां और कैसे दर्ज करें शिकायत?

  1. प्रोटेक्शन ऑफिसर से संपर्क करें: प्रत्येक जिले में सरकार द्वारा नियुक्त एक प्रोटेक्शन ऑफिसर होता है जो आपकी मदद करता है।
  2. पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करें: यदि मामला गंभीर है, तो 498A IPC के तहत एफआईआर की जा सकती है।
  3. मैजिस्ट्रेट के समक्ष याचिका दायर करें: घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष राहत के लिए आवेदन किया जा सकता है।
  4. वन-स्टॉप सेंटर और हेल्पलाइन: सरकार द्वारा स्थापित हेल्पलाइन जैसे 181 या 1091 पर कॉल कर तत्काल सहायता प्राप्त की जा सकती है।

🔷 क्या-क्या राहत मिल सकती है?

  1. रहने की व्यवस्था (Residence Order): पीड़िता को घर से निकाला नहीं जा सकता, भले ही वह घर पति के नाम पर हो।
  2. भरण-पोषण (Monetary Relief): महिला को खर्च चलाने के लिए आर्थिक सहायता मिलती है।
  3. संपर्क निषेध आदेश (Restraint Orders): हिंसक व्यक्ति को महिला के पास आने से रोका जा सकता है।
  4. कस्टडी ऑर्डर: बच्चों की देखभाल महिला को सौंपी जा सकती है।
  5. काउंसलिंग व पुनर्वास: मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक सहायता के लिए काउंसलिंग दी जाती है।

🔷 न्याय पाने की प्रक्रिया कितनी तेज है?

  • घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मैजिस्ट्रेट को 60 दिनों के अंदर निर्णय देना होता है।
  • यह एक सिविल कानून है, लेकिन इसके उल्लंघन पर दंडात्मक कार्रवाई भी हो सकती है।

🔷 झूठी शिकायतों की स्थिति

हालांकि इस कानून का उद्देश्य महिलाओं को संरक्षण देना है, लेकिन कुछ मामलों में झूठी शिकायतें भी सामने आई हैं। यदि यह सिद्ध हो जाए कि शिकायत झूठी थी, तो अदालत उसके विरुद्ध कार्रवाई कर सकती है।


🔷 पुरुषों की स्थिति

घरेलू हिंसा अधिनियम केवल महिलाओं को ही संरक्षण देता है। पुरुषों को इस अधिनियम में संरक्षण प्राप्त नहीं है, लेकिन यदि पुरुष उत्पीड़न का शिकार होते हैं, तो वे अन्य कानूनी प्रावधान जैसे IPC की धाराओं के अंतर्गत कानूनी मदद ले सकते हैं।


🔷 महिलाओं के लिए अन्य सहायक कानून

  • भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A: पति या ससुराल वालों द्वारा क्रूरता के विरुद्ध।
  • दहेज निषेध अधिनियम, 1961
  • भरण-पोषण हेतु दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125

🔷 सरकार द्वारा सहायता

  • वन-स्टॉप सेंटर: जहां पीड़िता को पुलिस, काउंसलिंग, कानूनी मदद और चिकित्सा एक ही स्थान पर मिलती है।
  • महिला हेल्पलाइन – 1091 या 181
  • NCRB पोर्टल पर शिकायतें ऑनलाइन दर्ज की जा सकती हैं।

🔷 निष्कर्ष

डोमेस्टिक वॉयलेंस एक ऐसी सामाजिक बुराई है जो महिलाओं के आत्मसम्मान, सुरक्षा और स्वतंत्रता पर आघात करती है। लेकिन आज भारतीय कानून महिलाओं को मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान करता है। जरूरत है जागरूक होने की, अपने अधिकार जानने की और निडर होकर अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की।

कोई भी महिला यदि घरेलू हिंसा की शिकार है तो उसे यह समझना चाहिए कि वह अकेली नहीं है, और कानून उसके साथ खड़ा है।


✅ याद रखें:

  • चुप रहना समस्या को बढ़ाता है।
  • कानूनी सहारा लेना आपका अधिकार है।
  • महिला होना कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत है।

यदि आप या कोई और घरेलू हिंसा का शिकार है, तो तुरंत हेल्पलाइन पर संपर्क करें और कानूनी सहायता प्राप्त करें। समाज तभी सुरक्षित होगा जब हर महिला सुरक्षित होगी।