“झूठे केस में फंसाने वालों की अब खैर नहीं: भारतीय न्याय संहिता की धारा 24 का प्रभाव और दंड”

शीर्षक:
“झूठे केस में फंसाने वालों की अब खैर नहीं: भारतीय न्याय संहिता की धारा 24 का प्रभाव और दंड”


परिचय:

भारतीय न्याय व्यवस्था में सच्चाई और न्याय के मूल सिद्धांतों की रक्षा सर्वोपरि है। लेकिन जब कोई व्यक्ति किसी निर्दोष को जानबूझकर झूठे केस में फंसाने की कोशिश करता है, तो न केवल वह न्याय व्यवस्था का दुरुपयोग करता है, बल्कि पीड़ित व्यक्ति के जीवन, प्रतिष्ठा और स्वतंत्रता पर भी कुठाराघात करता है। इसी गंभीर कृत्य को रोकने के लिए भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita), 2023 में धारा 24 को शामिल किया गया है, जो ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान करती है।


धारा 24: क्या कहती है यह धारा?

भारतीय न्याय संहिता, धारा 24 के अनुसार:

यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर झूठी शिकायत करता है, झूठी एफआईआर दर्ज कराता है, या गलत जानकारी देता है, जिससे किसी निर्दोष व्यक्ति को नुकसान या आपराधिक कार्रवाई का सामना करना पड़े — तो यह एक गंभीर अपराध माना जाएगा।


अपराध के तत्व (Ingredients of the Offence):

  1. व्यक्ति ने जानबूझकर (intentionally) झूठी सूचना दी हो।
  2. उसका उद्देश्य किसी निर्दोष व्यक्ति को फँसाना हो।
  3. वह शिकायत, रिपोर्ट या सूचना किसी विधिक अधिकारी (जैसे पुलिस) को दी गई हो।
  4. शिकायत या रिपोर्ट कानूनन दंडनीय अपराध से जुड़ी हो।

दंड का प्रावधान:

यदि अपराध सिद्ध होता है, तो अपराधी को:

  • 5 वर्ष से 10 वर्ष तक की कठोर कारावास की सज़ा दी जा सकती है।
  • ₹2 लाख रुपये तक का आर्थिक जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • कोर्ट यह भी आदेश दे सकता है कि दोषी व्यक्ति पीड़ित को उचित मुआवज़ा दे।

कानून का उद्देश्य:

  • न्यायिक संसाधनों का दुरुपयोग रोकना।
  • निर्दोष नागरिकों को झूठे मामलों से सुरक्षा देना।
  • बदले की भावना से दायर मामलों पर रोक लगाना।
  • कानून में जनविश्वास बनाए रखना।

प्रभाव और महत्त्व:

इस प्रावधान के लागू होने से:

  • झूठे मुकदमे दर्ज कराने की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी।
  • पुलिस और न्यायालय का समय और संसाधन बर्बाद नहीं होगा।
  • निर्दोष व्यक्तियों को मानसिक, सामाजिक और आर्थिक शोषण से राहत मिलेगी।

न्यायपालिका की दृष्टि:

भारतीय न्यायपालिका ने कई बार झूठे मामलों को “न्याय के विरुद्ध अपराध” कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे मामलों में सख्ती बरतने के लिए सरकार को निर्देश दिए हैं।


निष्कर्ष:

भारतीय न्याय संहिता की धारा 24 एक ऐसा सशक्त कदम है, जो न्याय प्रणाली को और अधिक पारदर्शी, प्रभावशाली और निष्पक्ष बनाने में मदद करेगा। झूठी शिकायतों से न केवल निर्दोषों को नुकसान होता है, बल्कि असली अपराधी भी छूट जाते हैं। अतः कानून का सम्मान करें, झूठ से बचें और अपने अधिकारों का सही उपयोग करें।


संदेश:
“झूठ मत बोलो, कानून से मत खेलो – क्योंकि अब झूठे केस में सज़ा पक्की है!”