जबरन उगाही (Extortion) — लालच या धमकी से पैसे वसूलना अब बनेगा गंभीर अपराध (धारा 316, भारतीय न्याय संहिता, 2023)
परिचय
भारत के नए आपराधिक कानून — भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) ने अपराधों की परिभाषा और दंड के प्रावधानों को अधिक स्पष्ट और आधुनिक स्वरूप में प्रस्तुत किया है।
इन्हीं प्रावधानों में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और सामाजिक दृष्टि से प्रासंगिक धारा है — धारा 316, जो जबरन उगाही (Extortion) से संबंधित है।
आज के समाज में उगाही (Extortion) का अपराध तेजी से बढ़ा है — चाहे वह किसी व्यक्ति से पैसे मांगना हो, व्यापारियों से संरक्षण शुल्क वसूलना, सरकारी कर्मचारियों द्वारा रिश्वत की धमकी देना, या किसी महिला को डराकर लाभ उठाना।
ऐसे मामलों में कानून अब और भी कठोर हो गया है।
धारा 316, भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे को भय दिखाकर, धमकी देकर, या अनुचित दबाव डालकर किसी संपत्ति, धन या मूल्यवान वस्तु की प्राप्ति करता है, तो यह “जबरन उगाही” (Extortion) कहलाती है। इस अपराध के लिए 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना का प्रावधान है।
विधिक परिभाषा (Legal Definition under Section 316, BNS)
धारा 316 – जबरन उगाही (Extortion)
“जो कोई किसी व्यक्ति को किसी हानि पहुँचाने की धमकी देकर या भय उत्पन्न करके उससे किसी मूल्यवान वस्तु या संपत्ति की प्राप्ति करता है, या किसी व्यक्ति को ऐसी वस्तु या संपत्ति देने के लिए बाध्य करता है, वह जबरन उगाही का अपराध करता है।”
सरल शब्दों में अर्थ
जब कोई व्यक्ति डर, धमकी, या दबाव डालकर किसी से पैसा, संपत्ति, या कोई अन्य मूल्यवान वस्तु लेता है, तो यह जबरन उगाही कहलाती है।
इसमें मुख्य तत्व है —
“किसी को नुकसान पहुँचाने की धमकी देकर उससे कुछ मूल्यवान प्राप्त करना।”
यह धमकी शारीरिक, मानसिक, सामाजिक या आर्थिक किसी भी प्रकार की हो सकती है।
उदाहरण से समझें
- उदाहरण 1:
कोई व्यक्ति किसी व्यापारी से कहता है — “अगर तुमने मुझे 50,000 रुपये नहीं दिए तो मैं तुम्हारी दुकान जला दूँगा।”
👉 यह जबरन उगाही (Extortion) है। - उदाहरण 2:
एक पुलिस अधिकारी झूठे केस में फँसाने की धमकी देकर किसी व्यक्ति से पैसे मांगता है।
👉 यह भी जबरन उगाही है। - उदाहरण 3:
किसी महिला की निजी तस्वीरें वायरल करने की धमकी देकर उससे पैसे या अन्य लाभ मांगे जाते हैं।
👉 यह साइबर उगाही (Cyber Extortion) कहलाती है, और धारा 316 के अंतर्गत आती है। - उदाहरण 4:
किसी कंपनी के कर्मचारी अपने मालिक से कहते हैं कि अगर बोनस नहीं दिया गया तो वे झूठी शिकायत दर्ज कराएंगे।
👉 यह भी उगाही का अपराध है।
अपराध के आवश्यक तत्व (Essential Ingredients of Extortion)
धारा 316 के अंतर्गत जबरन उगाही सिद्ध करने के लिए निम्न तत्वों का होना आवश्यक है —
- किसी व्यक्ति पर भय या धमकी उत्पन्न की गई हो।
— यानी अभियुक्त ने किसी को ऐसा डर या भय दिखाया हो जिससे वह दबाव में आ जाए। - धमकी किसी प्रकार की हानि की होनी चाहिए।
— जैसे जान का खतरा, संपत्ति का नुकसान, बदनामी, या किसी रिश्ते को नुकसान पहुँचाने की धमकी। - उस भय के कारण पीड़ित व्यक्ति ने कुछ मूल्यवान वस्तु दी हो।
— जैसे पैसा, गहना, संपत्ति, या किसी अनुबंध पर हस्ताक्षर। - अभियुक्त का उद्देश्य लाभ प्राप्त करना हो।
— अभियुक्त ने जानबूझकर भय उत्पन्न किया ताकि उसे आर्थिक या व्यक्तिगत लाभ हो।
धमकी (Threat) के प्रकार
जबरन उगाही में दी जाने वाली धमकी कई प्रकार की हो सकती है —
- शारीरिक धमकी (Physical Threat):
किसी को मारने, चोट पहुँचाने, या परिवार को नुकसान पहुँचाने की धमकी देना। - आर्थिक धमकी (Economic Threat):
नौकरी से निकालने, व्यापार बंद करवाने, या संपत्ति छीनने की धमकी। - सामाजिक धमकी (Social Threat):
किसी की बदनामी करने या झूठी अफवाह फैलाने की धमकी। - साइबर धमकी (Cyber Threat):
सोशल मीडिया या इंटरनेट के माध्यम से निजी जानकारी या फोटो वायरल करने की धमकी।
जबरन उगाही और चोरी में अंतर
| बिंदु | चोरी (Theft) | जबरन उगाही (Extortion) |
|---|---|---|
| सहमति (Consent) | पीड़ित की सहमति नहीं होती | पीड़ित की सहमति भय या धमकी के कारण होती है |
| माध्यम (Means) | चोरी चुपके से की जाती है | धमकी या दबाव के माध्यम से की जाती है |
| इरादा | बिना अनुमति किसी की संपत्ति लेना | डराकर या धमकाकर संपत्ति प्राप्त करना |
| उदाहरण | किसी की जेब से बटुआ निकाल लेना | डर दिखाकर पैसे दिलवाना |
जबरन उगाही और डकैती में अंतर
| बिंदु | डकैती (Robbery) | जबरन उगाही (Extortion) |
|---|---|---|
| बल प्रयोग | प्रत्यक्ष बल का प्रयोग होता है | मानसिक दबाव या भय उत्पन्न किया जाता है |
| संख्या | पाँच या अधिक व्यक्ति शामिल | अकेला व्यक्ति भी कर सकता है |
| स्थान | सार्वजनिक या निजी स्थान पर | कहीं भी हो सकता है |
| उदाहरण | बैंक लूटना | व्यापारी को फोन कर पैसे मांगना |
धारा 316 के अंतर्गत दंड (Punishment under Section 316 BNS)
इस अपराध के लिए दंड के रूप में निम्न प्रावधान हैं —
- अधिकतम सजा: 7 वर्ष तक का कारावास,
- साथ में जुर्माना (Fine) लगाया जा सकता है।
यह अपराध गैर-जमानती (Non-bailable) और संज्ञेय (Cognizable) श्रेणी में आता है।
अर्थात, पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है और अदालत से जमानत आसानी से नहीं मिलती।
उग्र या गंभीर उगाही (Aggravated Extortion)
यदि उगाही में जान का खतरा, चोट पहुँचाने, या किसी को अपहरण करने की धमकी दी गई हो, तो यह अपराध और अधिक गंभीर माना जाएगा।
उदाहरण:
- किसी व्यक्ति से कहा जाए — “अगर पैसे नहीं दिए तो तुम्हारे बच्चे का अपहरण कर लेंगे।”
- या “तेरे घर पर हमला कर देंगे।”
ऐसे मामलों में सजा 10 वर्ष या उससे अधिक भी हो सकती है, और अदालत जुर्माने के अलावा संपत्ति की जब्ती का आदेश भी दे सकती है।
साइबर युग में उगाही (Cyber Extortion)
आज डिजिटल माध्यमों के बढ़ते उपयोग ने उगाही के रूप बदल दिए हैं।
अब अपराधी सोशल मीडिया, ईमेल, या फोन कॉल के माध्यम से धमकी देते हैं —
- “अगर पैसे नहीं भेजे तो तुम्हारी फोटो वायरल कर दूँगा।”
- “हमारे पास तुम्हारे डाटा हैं, पैसे दो नहीं तो कंपनी की जानकारी लीक कर देंगे।”
इसे साइबर एक्सटॉर्शन (Cyber Extortion) कहा जाता है, जो धारा 316 के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act) की धारा 66D और 67 के तहत भी दंडनीय है।
न्यायिक दृष्टांत (Judicial Precedents)
- Romesh Chandra Arora v. State (AIR 1960 SC 154)
— सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “जब कोई व्यक्ति भय उत्पन्न कर किसी से संपत्ति प्राप्त करता है, वह जबरन उगाही का अपराध है, चाहे संपत्ति वास्तव में हस्तांतरित हुई हो या नहीं।” - State of Maharashtra v. Mohan Lal (2000 CrLJ 3337)
— अदालत ने माना कि झूठे केस में फँसाने की धमकी देकर पैसे मांगना भी जबरन उगाही है। - Vikram v. State of NCT Delhi (2015)
— आरोपी ने युवती की तस्वीरें वायरल करने की धमकी दी; अदालत ने इसे साइबर उगाही मानते हुए कठोर सजा दी।
जांच और साक्ष्य (Investigation & Evidence)
धारा 316 के अंतर्गत अपराध साबित करने के लिए अभियोजन को यह दिखाना होता है कि —
- आरोपी ने जानबूझकर भय उत्पन्न किया,
- धमकी से प्रेरित होकर पीड़ित ने संपत्ति या लाभ दिया,
- आरोपी को वास्तविक लाभ मिला, या लाभ प्राप्त करने का प्रयास किया।
साक्ष्य (Evidence) के रूप में निम्न का उपयोग किया जा सकता है —
- ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग,
- मोबाइल चैट या कॉल रिकॉर्ड,
- बैंक ट्रांजैक्शन या ई-भुगतान का विवरण,
- प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के बयान।
समाज पर प्रभाव
जबरन उगाही का अपराध केवल आर्थिक हानि नहीं पहुंचाता, बल्कि समाज में भय, असुरक्षा और भ्रष्टाचार का वातावरण बनाता है।
ऐसे अपराधों से —
- व्यापारियों का मनोबल गिरता है,
- सरकारी सेवाओं में रिश्वतखोरी बढ़ती है,
- आम जनता का कानून पर से विश्वास कम होता है।
इसलिए धारा 316 का उद्देश्य केवल अपराधियों को दंडित करना नहीं, बल्कि समाज में भयमुक्त और न्यायसंगत वातावरण स्थापित करना भी है।
निवारक उपाय (Preventive Measures)
- धमकी या उगाही का तुरंत पुलिस में शिकायत करें।
- साक्ष्य सुरक्षित रखें — जैसे कॉल रिकॉर्ड, संदेश, ईमेल, आदि।
- ब्लैकमेलिंग या धमकी के मामलों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को रिपोर्ट करें।
- पुलिस या साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) से संपर्क करें।
- झूठे वादों या भय से प्रभावित न हों।
धारा 316 का उद्देश्य और महत्व
भारतीय न्याय संहिता की धारा 316 समाज में न्याय, सुरक्षा और विश्वास बनाए रखने की दिशा में एक ठोस कदम है।
यह धारा यह संदेश देती है कि —
“किसी को धमकाकर या डराकर पैसा या संपत्ति लेना अब गंभीर अपराध है, चाहे वह अपराधी कोई आम व्यक्ति हो या प्रभावशाली।”
यह कानून उन सभी परिस्थितियों को कवर करता है जहाँ किसी की स्वतंत्र इच्छा (Free Consent) को डर या धमकी से दबाया जाता है।
निष्कर्ष
धारा 316, भारतीय न्याय संहिता, 2023 के माध्यम से सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि जबरन उगाही जैसे अपराधों को सख्ती से नियंत्रित किया जाए।
यह प्रावधान न केवल अपराधियों के लिए चेतावनी है, बल्कि ईमानदार नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी भी है।
“किसी से भय दिखाकर, धमकी देकर, या अनुचित दबाव डालकर धन या लाभ प्राप्त करना — कानून की नज़र में अपराध है।”
इस अपराध के लिए 7 वर्ष तक की सजा और जुर्माना का प्रावधान है, जो समाज में यह संदेश देता है कि कानून से ऊपर कोई नहीं।
अंततः, धारा 316 का सार यही है —
“डर से नहीं, न्याय से जीने वाला समाज ही सभ्य समाज होता है।”