कंपनी में छुट्टी लेने पर ताने देना या मना करना — जानिए कानून क्या कहता है
(Factory Act, 1948 और Shops & Establishment Act के तहत कर्मचारियों के अधिकारों पर एक विस्तृत लेख)
भूमिका
भारत जैसे विशाल और श्रमिक-प्रधान देश में “कामकाजी व्यक्ति” (working class) देश की आर्थिक रीढ़ मानी जाती है। ये कर्मचारी दिन-रात अपनी मेहनत से उद्योगों, कार्यालयों, फैक्टरियों और दुकानों का संचालन करते हैं। लेकिन अक्सर देखा गया है कि जब कोई कर्मचारी किसी व्यक्तिगत, चिकित्सकीय या पारिवारिक कारण से छुट्टी मांगता है, तो नियोक्ता (Employer) उसकी छुट्टी देने में टाल-मटोल करता है या उसे ताने देता है — “इतनी छुट्टियां लोगे तो काम कौन करेगा?”
ऐसे व्यवहार से कर्मचारियों की गरिमा (Dignity) और श्रम अधिकार (Labour Rights) दोनों का हनन होता है।
इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि भारत का कानून — विशेषकर Factory Act, 1948 और Shops & Establishment Act — कर्मचारियों को छुट्टी के क्या अधिकार देता है, और यदि कोई नियोक्ता इन अधिकारों से वंचित करता है, तो उसके खिलाफ क्या दंडात्मक प्रावधान हैं।
1. कानून की दृष्टि से ‘Leave’ का महत्व
छुट्टी केवल आराम या मनोरंजन के लिए नहीं होती, बल्कि यह कर्मचारी के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का हिस्सा है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने भी “Right to Rest and Leisure” को एक मूल श्रमिक अधिकार (Fundamental Labour Right) माना है।
भारत के संविधान का अनुच्छेद 42 (Article 42) राज्य को यह निर्देश देता है कि वह “काम करने की स्थितियों को मानवीय बनाए और विश्राम के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करे।”
इसलिए, कोई भी कंपनी या फैक्टरी अपने कर्मचारियों को छुट्टी देने से इनकार नहीं कर सकती।
2. Factory Act, 1948 के तहत छुट्टी के अधिकार
फ़ैक्टरी अधिनियम, 1948 (Factory Act, 1948) देश के औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों और कर्मचारियों के हितों की रक्षा करता है।
इस अधिनियम की धारा 79 (Section 79) के अंतर्गत वार्षिक अवकाश (Annual Leave with Wages) का विस्तृत प्रावधान है।
(a) Section 79 के प्रमुख प्रावधान:
- एक वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद छुट्टी का अधिकार:
- जो कर्मचारी एक कैलेंडर वर्ष में 240 दिन या उससे अधिक काम करता है, उसे अगले वर्ष के लिए अवकाश (Leave with Wages) का अधिकार मिलता है।
- छुट्टी की गणना का तरीका:
- वयस्क (Adult) कर्मचारी को 20 दिनों के काम पर 1 दिन की छुट्टी,
- किशोर (Adolescent) कर्मचारी को 15 दिनों के काम पर 1 दिन की छुट्टी दी जाती है।
- Leave Accumulation:
- यदि कर्मचारी अपनी छुट्टी का उपयोग नहीं कर पाता, तो वह अधिकतम 30 दिन तक Leave Carry Forward कर सकता है।
- बीमारी या दुर्घटना की स्थिति:
- यदि कर्मचारी कार्य के दौरान घायल हो जाता है या बीमार पड़ता है, तो उसे चिकित्सा अवकाश (Sick Leave) का अधिकार है।
3. Shops and Establishment Act के तहत छुट्टी के अधिकार
हर राज्य का Shops & Establishments Act अपने क्षेत्र में दुकानों, कार्यालयों, कॉल सेंटरों, और निजी कंपनियों के कर्मचारियों के लिए लागू होता है।
इन अधिनियमों का उद्देश्य कर्मचारियों को न्यायसंगत कार्य समय, आराम, और छुट्टियों का अधिकार देना है।
मुख्य प्रकार की छुट्टियाँ (Types of Leaves):
- Casual Leave (CL):
- आकस्मिक या निजी कार्यों के लिए।
- सामान्यतः 7–10 दिन प्रति वर्ष।
- Sick Leave (SL):
- बीमारी या दुर्घटना के कारण अवकाश।
- आमतौर पर 10–12 दिन प्रति वर्ष।
- Earned Leave (EL) या Privileged Leave (PL):
- लंबी सेवा के आधार पर अर्जित छुट्टी।
- लगभग 15–20 दिन प्रति वर्ष।
- Maternity Leave:
- महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 (Maternity Benefit Act) के तहत 26 सप्ताह तक।
रविवार और सरकारी छुट्टियाँ (Weekly and Festival Holidays):
- सप्ताह में एक दिन अनिवार्य छुट्टी देना कानूनी बाध्यता है।
- इसके अलावा, राष्ट्रीय अवकाश जैसे 26 जनवरी, 15 अगस्त और 2 अक्टूबर भी बाध्यकारी हैं।
4. Leave देने से मना करना — कानून का उल्लंघन
यदि कोई नियोक्ता किसी कर्मचारी की वैध छुट्टी मंजूर करने से मना करता है, या उसे जबरदस्ती काम पर बुलाता है, तो यह श्रम कानून का स्पष्ट उल्लंघन (Labour Law Violation) है।
Factory Act, 1948 की धारा 92 (Section 92):
- यदि नियोक्ता किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करता है, तो उसे
👉 ₹10,000 तक जुर्माना या
👉 3 महीने तक की कैद या
👉 दोनों दंड एक साथ हो सकते हैं।
Labour Department Complaint:
कर्मचारी संबंधित Labour Commissioner या Inspector of Factories के पास शिकायत दर्ज करा सकता है।
ऑनलाइन शिकायत पोर्टल भी अब अधिकांश राज्यों में उपलब्ध है।
5. अदालतों के दृष्टिकोण से
भारतीय न्यायपालिका ने भी बार-बार यह कहा है कि छुट्टी लेना कर्मचारी का मौलिक और वैधानिक अधिकार है।
महत्वपूर्ण निर्णय:
- M/s. Hindustan Lever Ltd. v. Workmen (1961)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “काम का अत्यधिक दबाव डालना या वैध अवकाश से वंचित करना श्रमिकों के मानवाधिकारों का उल्लंघन है।” - State of Gujarat v. Mirzapur Moti Kureshi Kassab (2005)
अदालत ने कहा कि “आराम, अवकाश और छुट्टी श्रमिक के स्वास्थ्य का अभिन्न अंग है।”
6. अगर Leave के कारण ताने या प्रताड़ना दी जाए
कई बार नियोक्ता सीधे छुट्टी से मना नहीं करता, बल्कि कर्मचारियों को मनोवैज्ञानिक रूप से दबाव डालता है —
जैसे कि:
- “इतनी बार छुट्टी लोगे तो प्रमोशन भूल जाओ।”
- “दूसरे तो बिना छुट्टी के काम कर रहे हैं, तुम क्यों नहीं कर सकते?”
ऐसे मामलों को “Workplace Harassment” या “Mental Cruelty” माना जा सकता है।
इस पर कर्मचारी Internal Complaints Committee (ICC), HR Department, या Labour Court में शिकायत कर सकता है।
अगर प्रताड़ना के कारण कर्मचारी नौकरी छोड़ने पर मजबूर हो जाए, तो वह Constructive Dismissal का दावा भी कर सकता है।
7. छुट्टी से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें
- Leave Salary:
- Earned Leave लेने पर कर्मचारी को वेतन सहित छुट्टी (Leave with Pay) मिलती है।
- छुट्टी का पैसा रोका नहीं जा सकता।
- Leave Encashment:
- नौकरी छोड़ने या सेवानिवृत्ति के समय बची हुई Earned Leave का भुगतान अनिवार्य है।
- Emergency Leave:
- आपातकालीन स्थिति में मौखिक सूचना भी पर्याप्त मानी जा सकती है।
- Medical Certificate:
- बीमार छुट्टी के लिए चिकित्सा प्रमाणपत्र देना आवश्यक होता है।
8. कर्मचारी को क्या करना चाहिए?
यदि आपको आपकी कंपनी में Leave देने से मना किया जा रहा है या आपको इसके लिए प्रताड़ित किया जा रहा है, तो आप निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:
- अपने Leave Application और Emails का रिकॉर्ड रखें।
- HR या Reporting Manager को लिखित रूप में शिकायत करें।
- यदि समाधान न मिले तो Labour Department में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें।
- आवश्यक होने पर Labour Court या Industrial Tribunal में याचिका दाखिल करें।
9. निष्कर्ष
कानून ने हर कर्मचारी को विश्राम (Rest), पुनरुत्थान (Recreation) और निजी जीवन (Personal Life) का अधिकार दिया है।
कंपनी या फैक्टरी का यह कर्तव्य है कि वह न केवल अपने कर्मचारियों को उचित कार्य परिस्थितियाँ दे, बल्कि उन्हें आराम और छुट्टियों का भी अधिकार प्रदान करे।
यदि कोई नियोक्ता Leave देने से इनकार करता है, या कर्मचारियों को इसके लिए ताने मारता है, तो यह Factory Act, 1948 और Shops & Establishment Act के तहत दंडनीय अपराध है।
ऐसे नियोक्ता पर ₹10,000 तक जुर्माना या तीन महीने तक की जेल भी हो सकती है।
इसलिए, हर कर्मचारी को अपने अधिकारों की जानकारी होना जरूरी है — ताकि जब अगली बार कोई कहे “इतनी छुट्टी लोगे तो काम कौन करेगा?”,
तो आप आत्मविश्वास से कह सकें —
👉 “कानून कहता है कि Leave लेना मेरा अधिकार है, एहसान नहीं!”
संक्षेप में
| प्रकार | छुट्टी के दिन | कानून का स्रोत |
|---|---|---|
| Casual Leave | 7–10 दिन | Shops & Establishment Act |
| Sick Leave | 10–12 दिन | Shops & Establishment Act |
| Earned Leave | 15–20 दिन | Factory Act, 1948 (Sec. 79) |
| Maternity Leave | 26 सप्ताह | Maternity Benefit Act, 1961 |
| साप्ताहिक अवकाश | 1 दिन प्रति सप्ताह | Shops & Establishment Act |