शीर्षक: चीफ जस्टिस गवई का BJP-योगी पर कसा तंज—“संविधान को हल्के में न लें, सत्ता में बैठे भी उसकी सीमाएं समझें”
प्रारंभिक सार
🔹 मंच से दिए गए मुख्य संदेश:
1. संविधान की सर्वोच्चता पर जोर
2. सत्ता में बैठने वालों के लिए संदेश
3. लोकतांत्रिक संतुलन की वकालत
4. भूमिका की पहचान से जुड़ी चेतावनी
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🎤 संदर्भ: वह कार्यक्रम और पृष्ठभूमि
इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय कानून मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश और राज्य प्रशासनिक प्रतिष्ठान ने भी भाग लिया था।
⚖️ क्यों है यह अहम्?
कारण | विवरण |
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नीतिगत संदेश | सत्ता में बैठा व्यक्ति भी संविधान की मर्यादा को नहीं भूल सकता |
संविधान की आत्मा | केवल क़ानून या नियमन ही नहीं, संविधान एक साझा आदर्श है |
तत्काल प्रासंगिकता | हालिया ‘प्रोटोकॉल’ विवाद जैसी घटनाओं के बीच यह नसीहत और सार्थक है |
लोकतंत्र का संतुलन | न्यायपालिका, legislature और कार्यपालिका—तीनों को संविधान का आदर करना चाहिए |
🧭 निष्कर्ष
चीफ जस्टिस गवई ने मंच से एक साफ़ संदेश दिया—सत्ता चाहे किसी भी स्तर की हो, संविधान उसकी सर्वोच्चता से ऊपर है। निहितार्थ है कि योगी आदित्यनाथ जैसे मुख्यमंत्री, भाजपा नेतृत्व, और सम्पूर्ण व्यवस्था—सभी को संविधान के आदर्शों की रक्षा और उसको गंभीरता से अपनाने की जिम्मेदारी लेना चाहिए।