गैर-सरकारी संगठन (NGO) और धर्मार्थ ट्रस्ट कानून (NGO & Charitable Trust Law) पर एक विस्तृत लेख :

गैर-सरकारी संगठन (NGO) और धर्मार्थ ट्रस्ट कानून (NGO & Charitable Trust Law) पर एक विस्तृत लेख :

प्रस्तावना

भारत में सामाजिक कल्याण, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और मानवाधिकारों जैसे क्षेत्रों में कार्य करने वाले संगठनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ये संगठन गैर-सरकारी संगठन (NGO) अथवा धर्मार्थ ट्रस्ट (Charitable Trust) के रूप में स्थापित किए जाते हैं। ये लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से नहीं, बल्कि सार्वजनिक हित में कार्य करते हैं। भारत में ऐसे संगठनों को नियंत्रित और विनियमित करने के लिए विभिन्न विधिक प्रावधान हैं।


NGO की परिभाषा और स्वरूप

NGO (Non-Governmental Organization) एक ऐसा गैर-लाभकारी संगठन होता है, जो किसी सरकारी नियंत्रण के बाहर रहकर सामाजिक हित में कार्य करता है। यह एक स्वैच्छिक संस्था होती है जिसे विभिन्न रूपों में पंजीकृत किया जा सकता है, जैसे—

  1. ट्रस्ट (Trust)
  2. सोसाइटी (Society)
  3. धारा 8 कंपनी (Section 8 Company) – (कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत)

1. ट्रस्ट (Trust) कानून

भारत में ट्रस्ट के गठन और संचालन के लिए प्रमुख कानून है – भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882

मुख्य बिंदु:

  • ट्रस्ट का उद्देश्य लाभ नहीं बल्कि धार्मिक या परोपकारी कार्य होता है।
  • न्यासकर्ता (Trustee) और लाभार्थी (Beneficiary) की भूमिका होती है।
  • ट्रस्ट एक ट्रस्ट डीड (Trust Deed) के माध्यम से स्थापित किया जाता है।
  • इसमें न्यास की संपत्ति और उद्देश्य का उल्लेख होता है।

पंजीकरण:

  • ट्रस्ट का पंजीकरण राज्य स्तर पर रजिस्ट्रार के पास होता है।
  • आमतौर पर यह प्रक्रिया सरल होती है और न्यूनतम दस्तावेज की आवश्यकता होती है।

2. सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860

यह अधिनियम उन संगठनों को नियंत्रित करता है जो सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, शैक्षिक या कल्याणकारी कार्य करते हैं। सोसाइटी एक सदस्यता-आधारित संस्था होती है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • कम से कम 7 सदस्य आवश्यक होते हैं।
  • एक गवर्निंग बॉडी होती है जो संचालन करती है।
  • कार्य पारदर्शी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया से होते हैं।

पंजीकरण:

  • संबंधित राज्य के सोसाइटी रजिस्ट्रार के पास पंजीकरण होता है।
  • संविधान/बाइलॉज, सदस्य सूची, और उद्देश्य स्पष्ट करने वाले दस्तावेज अनिवार्य होते हैं।

3. धारा 8 कंपनी (Section 8 Company)

यह कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के अंतर्गत पंजीकृत होती है। इसका उद्देश्य सामाजिक, धार्मिक, शैक्षिक, व्यावसायिक या कल्याणकारी कार्य करना होता है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • लाभांश नहीं बांटा जा सकता।
  • कंपनी अधिनियम के सभी नियम लागू होते हैं।
  • संचालन में अधिक औपचारिकता और पारदर्शिता होती है।

पंजीकरण प्रक्रिया:

  • ROC (Registrar of Companies) के माध्यम से।
  • MOA, AOA, PAN, DIN आदि दस्तावेज़ जरूरी होते हैं।

धर्मार्थ ट्रस्ट और NGO को मिलने वाले लाभ

  1. कर छूट (Tax Exemption):
    • आयकर अधिनियम की धारा 12A, 80G के अंतर्गत छूट मिलती है।
  2. सरकारी अनुदान व CSR फंडिंग:
    • योग्य NGO को सरकारी परियोजनाओं एवं CSR के अंतर्गत वित्तीय सहायता मिलती है।
  3. विदेशी अंशदान (FCRA):
    • विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के तहत अनुमति प्राप्त NGO विदेशी फंडिंग ले सकते हैं।

महत्त्वपूर्ण कानून और प्रावधान

कानून/अधिनियम उद्देश्य
भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 ट्रस्ट की स्थापना और संचालन
सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 सोसाइटी की मान्यता और पंजीकरण
कंपनी अधिनियम, 2013 (धारा 8) गैर-लाभकारी कंपनी का गठन
आयकर अधिनियम, 1961 NGO/ट्रस्ट को कर छूट प्रदान करना
विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 (FCRA) विदेशी फंडिंग का नियमन

चुनौतियाँ और दुरुपयोग

  • कुछ NGO का उपयोग धनशोधन (Money Laundering) या धार्मिक रूपांतरण के लिए भी होता है।
  • पारदर्शिता की कमी और फर्जी संगठन भी एक बड़ी समस्या है।
  • सरकार द्वारा FCRA के अंतर्गत समय-समय पर सख्त निगरानी रखी जाती है।

निष्कर्ष

भारत में गैर-सरकारी संगठन और धर्मार्थ ट्रस्ट समाज के कमजोर वर्गों की मदद के लिए एक सशक्त माध्यम हैं। उनके विधिक ढांचे की मजबूती और पारदर्शिता सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि वे जनकल्याण के लिए प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें। उचित पंजीकरण, लेखा परीक्षा, कर अनुपालन और संचालन में ईमानदारी इनकी सफलता की कुंजी है।