“गुजरात हाई कोर्ट का निर्णय: थर्ड पार्टी और यात्री बीमा जोखिम पर बीमा कंपनी उत्तरदायी — LAWS(GJH)-2025-3-148”

“गुजरात हाई कोर्ट का निर्णय: थर्ड पार्टी और यात्री बीमा जोखिम पर बीमा कंपनी उत्तरदायी — LAWS(GJH)-2025-3-148”


पूरा लेख:
गुजरात उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण फैसला: समग्र बीमा पॉलिसी के अंतर्गत बीमाकर्ता की पूर्ण जिम्मेदारी

🔷 केस कोड: LAWS(GJH)-2025-3-148
🔷 विधि: मोटर वाहन अधिनियम, 1988 — धारा 147 एवं 166
🔷 विषय: समग्र बीमा (Composite Insurance) में यात्री और थर्ड पार्टी दावों पर बीमा कंपनी की जिम्मेदारी

गुजरात उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट किया कि यदि बीमा पॉलिसी के अंतर्गत थर्ड पार्टी और यात्री जोखिम के लिए प्रीमियम का भुगतान किया गया है, तो बीमा कंपनी उन दावों से मुकर नहीं सकती। यह फैसला बीमा कानून और मोटर दुर्घटना दावों के क्षेत्र में एक मार्गदर्शक मिसाल के रूप में उभरा है।


🔷 केस की पृष्ठभूमि:

इस मामले में एक सड़क दुर्घटना के उपरांत दावा किया गया कि वाहन में बैठे यात्री को चोट आई थी। वाहन की बीमा पॉलिसी एक “Composite Policy” थी, जिसमें थर्ड पार्टी और यात्री जोखिम दोनों शामिल थे। बीमा कंपनी ने दावा खारिज करने की कोशिश करते हुए यह कहा कि पॉलिसी की कुछ शर्तों का उल्लंघन हुआ है।


🔷 न्यायालय की मुख्य टिप्पणी:

“जहाँ बीमा पॉलिसी में स्पष्ट रूप से यात्री और तीसरे पक्ष के लिए प्रीमियम का भुगतान किया गया हो, वहाँ बीमा कंपनी किसी भी तकनीकी आधार पर अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती।”

कोर्ट ने कहा कि बीमाकर्ता की जिम्मेदारी पॉलिसी की स्पष्ट शर्तों और बीमाकृत जोखिमों के लिए लिए गए प्रीमियम पर निर्भर करती है। इस मामले में, बीमा कंपनी की यह दलील कि वाहन मालिक ने पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन किया, अदालत द्वारा अस्वीकार कर दी गई।


🔷 निर्णय के मुख्य बिंदु:

  1. समग्र बीमा पॉलिसी प्रभावी:
    पॉलिसी में थर्ड पार्टी और यात्री दोनों को शामिल किया गया था, और उसके लिए उचित प्रीमियम लिया गया था।
  2. बीमा कंपनी की दलील अस्वीकार:
    बीमा कंपनी द्वारा “पॉलिसी उल्लंघन” के आधार पर उत्तरदायित्व से बचने का प्रयास असफल रहा।
  3. बीमाकर्ता की उत्तरदायित्व की पुष्टि:
    कोर्ट ने बीमा पॉलिसी की शर्तों की विस्तृत समीक्षा के बाद बीमाकर्ता को उत्तरदायी ठहराया।
  4. प्रीमियम का भुगतान निर्णायक कारक:
    यात्री जोखिम के लिए प्रीमियम लिया गया था, इसीलिए बीमाकर्ता को दावा चुकाना ही होगा।

🔷 विधिक संदर्भ:

  • धारा 147, मोटर वाहन अधिनियम, 1988:
    बीमाकर्ता द्वारा थर्ड पार्टी जोखिम के लिए आवश्यक कवर।
  • धारा 166, मोटर वाहन अधिनियम, 1988:
    दुर्घटना दावे हेतु दावा न्यायाधिकरण के समक्ष याचिका।

🔷 निष्कर्ष:

इस निर्णय में गुजरात हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बीमा पॉलिसी के तहत ली गई ज़िम्मेदारियों से बीमा कंपनी भाग नहीं सकती, खासकर जब प्रीमियम लिया गया हो और जोखिमों को स्पष्ट रूप से पॉलिसी में शामिल किया गया हो। यह फैसला उन मामलों में विशेष महत्व रखता है जहाँ बीमाकर्ता दावों से बचने के लिए तकनीकी या अनुबंधात्मक बहाने प्रस्तुत करता है।

यह निर्णय बीमा क्षेत्र में उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा को मजबूत करता है और बीमा कंपनियों को पॉलिसी की शर्तों का ईमानदारी से पालन करने की कानूनी बाध्यता की याद दिलाता है।