गर्भपात कानून और डॉक्टरों की भूमिका: चिकित्सा बनाम अपराध – एक विस्तृत विश्लेषण

गर्भपात कानून और डॉक्टरों की भूमिका: चिकित्सा बनाम अपराध – एक विस्तृत विश्लेषण


भूमिका

गर्भपात (Abortion) एक ऐसा विषय है जो चिकित्सा विज्ञान, आपराधिक कानून और महिला के मौलिक अधिकारों—तीनों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती प्रस्तुत करता है।
भारतीय कानूनी ढांचे में गर्भपात का स्वरूप परिस्थिति के अनुसार बदलता है—

  • वैध परिस्थितियों में यह चिकित्सा (Medical Procedure) है,
  • और कानून के बाहर होने पर यह अपराध (Criminal Offence) बन जाता है।

इस द्वंद्व की वजह से डॉक्टरों की भूमिका अत्यंत संवेदनशील हो जाती है, क्योंकि उन्हें मरीज की सुरक्षा, कानून के अनुपालन और नैतिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाना पड़ता है।


भारत में गर्भपात का कानूनी ढांचा

1. भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860

  • धारा 312–316: गर्भपात को सामान्यतः अपराध माना गया है।
    • धारा 312: गर्भपात कराना या कराना – अधिकतम 7 वर्ष कारावास और जुर्माना।
    • धारा 313: महिला की सहमति के बिना गर्भपात – आजीवन कारावास तक की सजा।
    • धारा 315–316: भ्रूण की मृत्यु का कारण बनना – कठोर दंड।
  • अपवाद: यदि गर्भपात महिला के जीवन की रक्षा के लिए किया गया हो, तो यह अपराध नहीं है।

2. चिकित्सा गर्भपात अधिनियम (MTP Act) 1971 और संशोधन 2021

  • MTP Act, 1971: गर्भपात को चिकित्सकीय कारणों से वैध बनाता है।
  • 2021 संशोधन की प्रमुख बातें:
    1. गर्भपात की समय सीमा:
      • सामान्य मामलों में: 20 सप्ताह तक
      • विशेष श्रेणी की महिलाएं (बलात्कार पीड़िता, नाबालिग आदि): 24 सप्ताह तक
    2. मेडिकल बोर्ड की अनुमति: समय सीमा से अधिक होने पर
    3. विवाहित और अविवाहित महिलाओं के अधिकार समान
    4. भ्रूण में गंभीर विकृति होने पर गर्भपात की अनुमति (समय सीमा से अधिक भी)

चिकित्सा बनाम अपराध – कानूनी दृष्टिकोण

स्थिति कानूनी दर्जा डॉक्टर की भूमिका
महिला की जान या स्वास्थ्य खतरे में वैध (MTP Act के तहत) तुरंत सुरक्षित चिकित्सा प्रदान करना
भ्रूण में गंभीर विकृति वैध (मेडिकल बोर्ड की अनुमति आवश्यक) जांच और रिपोर्टिंग
बलात्कार या यौन शोषण से गर्भ वैध (निर्धारित समय सीमा में) संवेदनशील उपचार और गोपनीयता बनाए रखना
लैंगिक चयन के बाद गर्भपात अवैध (PCPNDT Act के तहत अपराध) पूरी तरह निषिद्ध
महिला की सहमति के बिना गर्भपात गंभीर अपराध (IPC धारा 313) पूरी तरह वर्जित
निर्धारित समय सीमा से अधिक अवैध, सिवाय मेडिकल बोर्ड अनुमति के तभी संभव जब महिला की जान बचाना जरूरी हो

डॉक्टरों की भूमिका और जिम्मेदारियां

1. कानूनी अनुपालन (Legal Compliance)

  • MTP Act और PCPNDT Act का पालन करना।
  • गर्भपात की अनुमति केवल पंजीकृत और मान्यता प्राप्त संस्थानों में देना।
  • महिला की लिखित सहमति लेना (18 वर्ष से कम आयु की महिला या मानसिक रूप से अस्वस्थ महिला के मामले में अभिभावक की सहमति आवश्यक)।

2. चिकित्सा मानक (Medical Standards)

  • सुरक्षित तकनीक का उपयोग
  • संक्रमण, अत्यधिक रक्तस्राव और अन्य जटिलताओं की रोकथाम
  • योग्य और प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा प्रक्रिया करना

3. नैतिक जिम्मेदारी (Ethical Responsibility)

  • महिला की गोपनीयता और गरिमा बनाए रखना
  • महिला को गर्भपात के विकल्प, जोखिम और परिणाम स्पष्ट रूप से बताना
  • सामाजिक या पारिवारिक दबाव से मुक्त होकर निर्णय लेने में महिला की मदद करना

4. रिपोर्टिंग और रिकॉर्ड-कीपिंग

  • सभी गर्भपात मामलों का रिकॉर्ड रखना
  • PCPNDT Act के तहत अल्ट्रासोनोग्राफी का लिंग निर्धारण न करना
  • समय-समय पर प्राधिकरण को रिपोर्ट भेजना

चिकित्सा से अपराध में बदलने की स्थितियां

  1. लैंगिक चयन के उद्देश्य से गर्भपात
    • PCPNDT Act, 1994 के तहत गंभीर अपराध
    • डॉक्टर की पंजीकरण रद्द, कैद और जुर्माना
  2. सहमति के बिना गर्भपात
    • IPC धारा 313 – आजीवन कारावास तक की सजा
  3. अनधिकृत व्यक्ति द्वारा गर्भपात
    • MTP Act के बाहर किया गया गर्भपात अपराध माना जाएगा
  4. समय सीमा से अधिक गर्भपात (बिना मेडिकल बोर्ड अनुमति)
    • कानूनन अवैध

सुप्रीम कोर्ट के दृष्टिकोण

  1. Suchita Srivastava v. Chandigarh Administration (2009)
    • महिला के प्रजनन अधिकार को Article 21 के तहत संरक्षण।
  2. X v. Principal Secretary, Delhi (2022)
    • अविवाहित महिलाओं को भी गर्भपात का समान अधिकार।
  3. Murugan Nayakkar v. Union of India (2017)
    • बलात्कार पीड़िता नाबालिग को देर से गर्भपात की अनुमति।

चुनौतियां

  • ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षित डॉक्टरों और सुविधाओं की कमी
  • सामाजिक दबाव और कलंक
  • अवैध क्लीनिकों का संचालन
  • कानून की जटिलता और डॉक्टरों में डर (Defensive Medicine)

सुझाव और समाधान

  1. कानूनी स्पष्टता – डॉक्टरों के लिए गर्भपात संबंधी नियम सरल और स्पष्ट होना चाहिए।
  2. प्रशिक्षण और सुविधाएं – ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सुरक्षित गर्भपात सुविधाएं उपलब्ध कराना।
  3. जागरूकता – महिलाओं को उनके कानूनी और प्रजनन अधिकारों की जानकारी देना।
  4. डॉक्टरों की सुरक्षा – कानूनी कार्यवाही से बचाने के लिए ‘Good Faith’ क्लॉज का सही उपयोग।

निष्कर्ष

गर्भपात का मुद्दा चिकित्सा और अपराध के बीच एक संतुलन का मामला है। डॉक्टरों को जहां महिला के स्वास्थ्य और अधिकारों की रक्षा करनी है, वहीं उन्हें कानून के नियमों का पालन भी करना होता है। अगर गर्भपात कानूनी और नैतिक मानकों के अनुसार किया जाता है, तो यह एक चिकित्सा सेवा है; लेकिन अगर इसे कानून के उल्लंघन में किया जाता है, तो यह अपराध बन जाता है। समाज, कानून और चिकित्सा – तीनों का सामंजस्य ही इस संवेदनशील विषय का समाधान है।