क्रिप्टो करेंसी और भारतीय कानूनः वैधता की दुविधा
प्रस्तावना
वर्तमान वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में क्रिप्टोकरेंसी एक अत्यंत चर्चित विषय बन चुकी है। बिटकॉइन, एथेरियम जैसी डिजिटल मुद्राओं ने वित्तीय लेनदेन की पारंपरिक अवधारणाओं को चुनौती दी है। हालांकि, भारत में इसकी वैधता को लेकर लगातार भ्रम की स्थिति बनी हुई है। भारतीय कानून अब तक स्पष्ट रुख नहीं अपना पाया है कि क्रिप्टो करेंसी को कानूनी मान्यता दी जाए या नहीं। यह लेख इसी वैधता की दुविधा, उसके कानूनी पहलुओं और भावी संभावनाओं पर गहन दृष्टिपात करता है।
क्रिप्टो करेंसी क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की डिजिटल या वर्चुअल मुद्रा है जिसे क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित किया जाता है। यह ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होती है और इसकी कोई केंद्रीकृत नियंत्रण प्रणाली नहीं होती, जैसे किसी केंद्रीय बैंक का हस्तक्षेप। बिटकॉइन, सबसे प्रसिद्ध क्रिप्टोकरेंसी, 2009 में पहली बार सामने आई थी।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का उदय और विकास
भारत में क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता 2016 के नोटबंदी के बाद तेज़ी से बढ़ी। युवाओं और निवेशकों में बिटकॉइन, डॉजकॉइन जैसी मुद्राओं में निवेश का रुझान देखा गया। देश में कई क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म जैसे वज़ीरएक्स, कॉइनDCX, ज़ेबपे आदि ने भी अपनी सेवाएं शुरू कीं।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका
मार्च 2020 तक, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) क्रिप्टोकरेंसी को लेकर संदेह की दृष्टि रखता था। अप्रैल 2018 में RBI ने बैंकों को निर्देश दिया कि वे किसी भी प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित सेवा न दें। इससे क्रिप्टो ट्रेडिंग को गंभीर झटका लगा। परंतु मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने ‘Internet and Mobile Association of India बनाम RBI’ मामले में RBI के इस प्रतिबंध को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया।
वर्तमान कानूनी स्थिति
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद क्रिप्टो ट्रेडिंग को कुछ हद तक राहत मिली, लेकिन भारत में अभी भी क्रिप्टोकरेंसी को वैधानिक मुद्रा (legal tender) के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है। इसका अर्थ है कि आप किसी को वस्तु या सेवा के बदले में क्रिप्टोकरेंसी देने को बाध्य नहीं कर सकते।
वर्तमान में भारत में क्रिप्टो करेंसी:
- अवैध नहीं है (No blanket ban)
- लेकिन वैध मुद्रा भी नहीं है (Not legal tender)
- व्यापार की अनुमति है, पर नियंत्रण और निगरानी के अंतर्गत।
क्रिप्टो बिल और सरकारी रुख
भारत सरकार ने वर्ष 2021 में “Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill” लाने की बात कही, जो निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने और एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा शुरू करने की योजना को दर्शाता है। हालांकि, यह विधेयक संसद में पारित नहीं हो पाया और इसके प्रावधान अस्पष्ट रह गए।
सरकार की प्रमुख चिंताएं:
- मनी लॉन्ड्रिंग
- उपभोक्ता संरक्षण
- कर चोरी
- आर्थिक स्थिरता पर प्रभाव
कर व्यवस्था और नियामकीय दृष्टिकोण
वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में, भारत सरकार ने क्रिप्टो संपत्तियों पर कर लगाने की व्यवस्था की –
- 30% टैक्स लाभ पर
- 1% TDS लेनदेन पर
- नुकसान की समायोजन की अनुमति नहीं
यह कदम यह स्पष्ट करता है कि सरकार क्रिप्टो को एक संपत्ति वर्ग (asset class) मान रही है, भले ही उसे कानूनी मुद्रा नहीं मानती।
क्रिप्टोकरेंसी और मनी लॉन्ड्रिंग का खतरा
क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन गुमनाम होते हैं, जिससे अवैध गतिविधियों जैसे हवाला, आतंकवादी फंडिंग, ड्रग ट्रैफिकिंग आदि के लिए इनके दुरुपयोग की आशंका बनी रहती है। FATF (Financial Action Task Force) जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन भी भारत पर दबाव बना रहे हैं कि वह क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने हेतु ठोस कानून बनाए।
CBDC की दिशा में कदम – डिजिटल रुपया
RBI ने वर्ष 2023 में Central Bank Digital Currency (CBDC) अर्थात डिजिटल रुपया की शुरुआत की। यह क्रिप्टोकरेंसी की तकनीक पर आधारित एक अधिक सुरक्षित और सरकार समर्थित मुद्रा है। इससे सरकार डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रही है, लेकिन निजी क्रिप्टो पर अब भी संशय कायम है।
सारांशः वैधता की दुविधा
भारत में क्रिप्टोकरेंसी की स्थिति “न तो पूरी तरह वैध और न ही अवैध” की है। एक ओर जहां इस पर कर लगाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसके अवैध उपयोग से चिंतित होकर इसे प्रतिबंधित करने की चर्चाएं भी चलती रहती हैं। यह दुविधा निवेशकों, नियामकों और कानूनी संस्थाओं के लिए चुनौती बनी हुई है।
निष्कर्ष
क्रिप्टो करेंसी भारत में तकनीकी नवाचार, निवेश और डिजिटल वित्त की नई दिशा है, परंतु इसकी वैधता को लेकर सरकार और कानून का अस्पष्ट रुख इसके विकास में बाधा बना हुआ है। भारत को चाहिए कि वह स्पष्ट नीति बनाए जो न केवल नवाचार को प्रोत्साहित करे, बल्कि वित्तीय सुरक्षा और उपभोक्ता संरक्षण को भी सुनिश्चित करे। एक सुदृढ़ नियामक ढांचा, पारदर्शिता और जनजागरूकता के साथ क्रिप्टो करेंसी को भारत में संतुलित रूप से अपनाया जा सकता है।